राजस्थानी समाज में शादी-ब्याह में झाले-वारणे लेने की प्रथा है। लेकिन आजकल की पीढ़ी को झाले न आने के कारण झाले सिर्फ़ शगुन के तौर पर होने लगे है। अत: ...पेश है झाले...!
राजस्थानी समाज के शादी-ब्याह में झाले-वारणे लेने की प्रथा है। लेकिन लेडिज संगीत के चलते झाले-वारणे सिर्फ़ रस्म-अदायगी के तौर पर होने लगे है। वारणे तो फ़िर भी लिए जाते है लेकिन आजकल की पीढ़ी को झाले न आने के कारण झाले सिर्फ़ शगुन के तौर पर होने लगे है। मुझे अच्छे से याद है, आज से 20-25 साल पहले झाले के दौराण जो मजा आती थी, वो मजा शादी के दूसरे रस्मों में नहीं आती थी। क्योंकि झाले की रस्म एक स्पर्धात्मक रूप में होती है। दुल्हा/दुल्हन को एक कुर्सी पर बैठाकर उनके दोनों ओर सभी युवतियां एवं महिलाएं दो गुट बनाकर खडी हो जाती है। एक के बाद एक झाले बोले जाते है। कोई भी गुट हार मानने को तैयार नहीं होता! एक तरह का सस्पेंस पैदा होता था कि कौनसा गुट जितेगा...! सही मायने में यह एक बहुत ही मनोरंजक रस्म होती थी। लेकिन आजकल की पीढ़ी को झाले न आने के कारण....!! यदि आप अपने यहां की शादी में एक मनोरंजक रस्म रखना चाहते है... तो रिश्तेदारी और परिचित की सभी महिलाओंं और युवतियोंं को ये झाले याद करने बोलिए...और लीजिए, एक पुरानी लेकिन दिलचस्प रस्म का मजा! तो...पेश है झाले...!
कोई भी एक गुट एक झाला बोलेगा उसके तुरंत बाद दूसरा गुट दुसरा झाला बोलेगा। यह झाले क्रम वार ही बोलने है ऐसा नहीं है। याद रखने में आसानी हो इसलिए इन्हें एक शब्द से शुरू होनेवाले या एकसमान लगनेवाले झाले क्रमवार लिखे गए है।
1) सिमरत सिमरु शारदा जिवराज भंंवरजी गणपत लागु पाय।
‘….’ क ब्याव म जी ओ राज भंंवरजी, झाला की करुं शुरवात।।
[‘….’ में दुल्हा या दुल्हन का नाम लेना होता है]
2) सगळो सामान तो लायो रोकडों जी ओ राज भंंवरजी कुछ न लायो उधार।
बिनायक जी स विनति जी ओ राज भंंवरजी पेला आप पधार॥
[ सगळो- सब, रोकडों- नगद, पेला-पहले]
3) उंचो सिंहासन आपको जी ओ राज भंंवरजी रेशम गादी बिछाय।
बिंदायक जी स बिनति जी ओ राज भंंवरजी रिद्धि-सिद्धि साथ म लाय॥
4) छ छ्ल्ला छे मुंदडा जी ओ राज भंंवरजी छल्ला भरी परात।
एक छल्ला र कारण जी ओ राज भंंवरजी छोड्या माय न बाप॥
5) छ छ्ल्ला छे मुंदडा जी ओ राज भंंवरजी छल्ला भरी परात।
साजन महला नहीं आया जी ओ राज भंंवरजी म जागी सारी रात॥
6) सात सुपारी चिकनी जी ओ राज भंंवरजी फ़ोडु एक ही साथ।
घणा दिनारा ओळमा जी ओ राज भंंवरजी काढु एक ही साथ॥
[ओळमा-शिकायते]
7) कच्ची सुपारी चिकनी जी ओ राज भंंवरजी कुचका बोल्या बोल।
7) कच्ची सुपारी चिकनी जी ओ राज भंंवरजी कुचका बोल्या बोल।
हम परदेशी पावणा जी ओ राज भंंवरजी हंस कर घुंघट खोल॥
8) मेहंदी भरियों बाट को जी ओ राज भंंवरजी लिख लिख मांड्या हाथ।
घणा दिनारा ओळमा जी ओ राज भंंवरजी काढु एक ही साथ॥
9) मेहंदी भरियों बाट को जी ओ राज भंंवरजी लिख लिख मांड्या हाथ।
लिखना-पढ़ना छोड़ के जी ओ राज भंंवरजी निखरों गोरी रा हाथ॥
10) मेहंदी भरियो बाट को जी ओ राज भंंवरजी डोरा काढ्या सात।
म्हे राजन न पुरसतिया जी ओ राज भंंवरजी मिठा केसरिया भात।।
[पुरसतिया-परोसना]
11) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी पड्यो पेमली बोर।
11) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी पड्यो पेमली बोर।
निची होय उठावती जी ओ राज भंंवरजी गयो कमरको जोर॥
12) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी चार लुगाया जाय।
दो गोरी दो सांवली जी ओ राज भंंवरजी दो-दो फलका खाय॥
13) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी बिकन आया बोर।
म बोर खावती जी ओ राज भंंवरजी सहेल्यान लेग्यो चोर॥
14) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी बिकन आया उस।
म म्हारी उस खावती जी ओ राज भंंवरजी सहेल्यान लेग्यो घुस॥
15) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी पलंग बिकाउ आय।
परण्या तो खरीद लेव जी ओ राज भंंवरजी कवांरा करें बिचार॥
[परण्या-शादीशुदा]
16) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी आड्यो पड्यो नाग।
16) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी आड्यो पड्यो नाग।
मरती पण बच गई जी ओ राज भंंवरजी साजन थारो भाग॥
17) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी बुढ़ो रांध खीर।
फूंक मारता दाढ़ी बढ़ी जी ओ राज भंंवरजी मुछ्या को तकदीर॥
18) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी धबधब नालो जाय।
राजन धोती धोवता जी ओ राज भंंवरजी राण्या सुखाबा जाय॥
19) जयपुर क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी दस कबुतर जाय।
सीटी देव उडाय दू जी ओ राज भंंवरजी जोडी बिछडी जाय।
20) जयपुर स आयो पार्सल जी ओ राज भंंवरजी जिसम आयो सूट।
म झाला लेवती जी ओ राज भंंवरजी सहेल्या न लेग्यो भुत॥
21) रविवार क बाजार म जी ओ राज भंंवरजी उस बिकाऊ आय।
म्हे म्हारी उस लेवती जी ओ राज भंंवरजी सहेल्या चुस्या चार॥
22) दाल-चावल री रसोई बनाई जी ओ राज भंंवरजी फ़लका जेठमजेठ।
पहल जिमाऊ म्हारा सायबा जी ओ राज भंंवरजी बादमं देवर-जेठ॥
23) दाल-चावल री रसोई बनाई जी ओ राज भंंवरजी मटर पनीर रो साग।
प्याज रो काई खावनो जी ओ राज भंंवरजी मुख म आवे बास॥
24) दाल-चावल री रसोई बनाई जी ओ राज भंंवरजी पुरणपोली रो थाट।
म पुरण पीसती जी ओ राज भंंवरजी सहेल्या पाटो चाट॥
25) दाल-चावल री खिचडी बनाई जी ओ राज भंंवरजी घी बिन खाई न जाय।
सास-नणंद रा ओळमा जी ओ राज भंंवरजी म्हासं सह्या न जाय॥
26) फ़लका पोया पतला जी ओ राज भंंवरजी सेक्या चोखा आखरा।
सासु-नणंदा जिमती जी ओ राज भंंवरजी कर घणा नखरा॥
27) फ़लका तो म्हे पोवती जी ओ राज भंंवरजी पोई जेठम-जेठ।
देवर-जिठ्यान्या लड पडी जी ओ राज भंंवरजी भुखा रह गया सेठ॥
28) फ़लका पोया पतला जी ओ राज भंंवरजी दोय जनां म आठ।
साहेब साग जिमती जी ओ राज भंंवरजी बाईजी होग्या ताठ।।
29) अयोध्या म्हारो सासरो जी ओ राज भंंवरजी जनकपुरी म्हारो पीर।
रामजी म्हारा सायबा जी ओ राज भंंवरजी चोखा ह तकदीर॥
30) नथ को मोती चमकिलो जी ओ राज भंंवरजी कंगन ससुरजी लाय।
देवरानी-जिठानी लड पडी जी ओ राज भंंवरजी साजन लिया मनाय॥
31) सुरज म्हारा सासरा जी ओ राज भंंवरजी तारा देवर-जेठ।
ननदल आभा बिजली जी ओ राज भंंवरजी चमक चारो देश॥
32) बाबुल रो घर छोडके जी ओ राज भंंवरजी आई थाक लार।
प्रेम पुजारण थाकी जी ओ राज भंंवरजी दिजो मती बिसार।।
33) म्हार सासुजी र पांच पुत जी ओ राज भंंवरजी दो देवर दो जेठ।
अधबिचला म्हारा सायबा जी ओ राज भंंवरजी छोड़ गया परदेश॥
34) म्हे म्हारी माँ की लाड़ली जी ओ राज भंंवरजी चुनडी लालमलाल।
आपा सीनेमॅक्स म जावश्या जी ओ राज भंंवरजी मत करो टालमटाल॥
35) म्हे बाबुल री लाड़ली जी ओ राज भंंवरजी मायड जनम देवाल।
अब थे म्हारा देवता जी ओ राज भंंवरजी लेवो म्हान संभाल॥
36) म्हे एक छोटी नाव हूं जी ओ राज भंंवरजी थे नैया पथवार।
होशियारी सु नाव चलाइजो जी ओ राज भंंवरजी उतरा दोनु पार।।
37) म्हे दिपकरी बात हूं जी ओ राज भंंवरजी थे दिपक रो तेल।
प्रेम की ज्योत जगावश्या जी ओ राज भंंवरजी कर हिवडारो मेल॥
38) थे प्रकाश म्हे ज्योति जी ओ राज भंंवरजी जग म फ़ैलावा प्रकाश।
नियत साफ़ राखियो जी ओ राज भंंवरजी मन म रखो विश्वास॥
39) गुड्डी-गुड्डी काई करो जी ओ राज भंंवरजी ज्योति म्हारो नाव।
काल म्हारी सगाई हुई जी ओ राज भंंवरजी परसो म्हारो ब्याव॥
40) महादेव जी र जावती जी ओ राज भंंवरजी जोड्या दोनों हाथ।
जोडी इबछल रखियो जी ओ राज भंंवरजी तीन भुवन रा नाथ।।
41) राम खुदाई बावडी जी ओ राज भंंवरजी लक्ष्मण पाल बनाय।
सीता पानी न जावती जी ओ राज भंंवरजी कर सोला सिंगार॥
42) राम खुदाई बावडी जी ओ राज भंंवरजी लक्ष्मण बांध्यो पुल।
ऐसी चालु झुमती जी ओ राज भंंवरजी दुश्मन छाती कुट॥
43) राम नाम की कोठडी जी ओ राज भंंवरजी चंदन जड्या किवाड़।
कुंची लागी प्रेम की जी ओ राज भंंवरजी खोले कृष्ण मुरार॥
44) कृष्ण खुदाई बावड़ी जी ओ राज भंंवरजी बलदेव पाल बनाय।
नौ सौ ग्वाल गिर पड्या जी ओ राज भंंवरजी सुन पायल की झनकार॥
45) पानी पड्यो धडाधड जी ओ राज भंंवरजी हवा ठंडीगार।
सीता जी आई मांडवा जी ओ राज भंंवरजी राम जी घाल्यो हार॥
46) फ़ुल गुलाबी ओढ़नो जी ओ राज भंंवरजी ओढु बार-त्योंहार।
राजिंद कंय्या ओढु जी ओ राज भंंवरजी सासु जी सेक्या खाव।।
47) फ़ुल गुलाबी ओढ़नो जी ओ राज भंंवरजी छाटो पड्यो रंग जाय।
राजिंद को काई रुसनो जी ओ राज भंंवरजी म्हानो मनानो आय।।
48) फ़ुल गुलाबी ओढ़नो जी ओ राज भंंवरजी पल्लो बांंध्या मोठ।
इस राजिंद क पाल पडी जी ओ राज भंंवरजी नीत र देव नोट।।
[नीत र- हररोज]
49) सोनारो काई पेरणो जी ओ राज भंंवरजी माय लखारारी लाख।
साहेब आगं बिनती जी ओ राज भंंवरजी घडायदो नौलखा हार॥
50) सोनारो काई पेरणो जी ओ राज भंंवरजी किमता चढ़ती जाय।
घर-बाहर न पहन सका जी ओ राज भंंवरजी जान धोखा म आय॥
51) गोखरू को काई पेरणो जी ओ राज भंंवरजी दिखे गाड़ी को चाक।
अबके मुंबई जावता जी ओ राज भंंवरजी लाइज्यो नेकलेस चार॥
52) पीनारो काई लगावनो जी ओ राज भंंवरजी साडी फ़ाट जाय।
लगाऊ बिंदिया सोवनी जी ओ राज भंंवरजी चमक घुंघट माय॥
53) सायकल रो काई बैठनो जी ओ राज भंंवरजी टाइम को सत्यानाश।
कार चलानो सिखल्यो जी ओ राज भंंवरजी घुमा परिवार क साथ॥
54) सायकल को काई बैठनो जी ओ राज भंंवरजी साडी को सत्यानाश।
एक बार ऐसी पड़ी जी ओ राज भंंवरजी टुट्या हाथ न पाव॥
55) मोटर को काई बैठनो जी ओ राज भंंवरजी पो-पो करती जाय।
हवाई जहाज को बैठनो जी ओ राज भंंवरजी सरपट पहुंचा जाय॥
56) साडी को काई पैरणो जी ओ राज भंंवरजी दिखे जाट गंवार।
अबक कलकत्ता जायज्यो जी ओ राज भंंवरजी जिंस-पॅंट लायज्यो दोय-चार॥
57) पेन को काई लिखन्यो जी ओ राज भंंवरजी कागज को सत्यानाश।
व्हाट्स एप्प पर मैसेज भेजु जी ओ राज भंंवरजी नेटपैक डलवायदो आज।।
58) बरफ़ को काई काळबो जी ओ राज भंंवरजी बरफ़ थंड़ोगार।
‘..’ क ब्याव म जी ओ राज भंंवरजी ‘…’ पर्णाव हार।।
59) 2017 क साल म जी ओ राज भंंवरजी पड्यो गितारण्यारो काळ।
‘…’ बापुजी स यु कहे जी ओ राज भंंवरजी कर दो म्हारो रजिस्टर ब्याह॥
60) 2017 क साल म जी ओ राज भंंवरजी पडी नोटबंदी री मार।
बनडो बापुजी स यु कव्हे जी ओ राज भंंवरजी अब कंय्या घडास्या नौलखा हार।।
शेष अगली ब्लॉग पोस्ट में ....
Keywords: Rajsthani samaj, shadi, jhaale-varne, wedding celebration
आज आप के इस लेख से बहुत interesting रस्म के बारे में जानकारी मिली । इस रस्म के बारे में आपने इतना विस्तार से बताया हैं कि ऐसा लगा कि यह रस्म वाकई लाजबाब होगी । मुझें इसके बारे में और भी जानने की उत्सुकता है । Waiting for your next part.Thanks for sharing interesting post.
जवाब देंहटाएंराजस्थानी रस्मो रिवाज से भलीभांति परिचय कराया आपने ज्योति जी आपने अपनी पोस्ट में ! अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंपुरा संस्कृति को समेटती और आगे बढाती बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
Bahut accha.....Rajasthani culture ke bare me ek accha article.....
जवाब देंहटाएंGood to know about this ritual, u have shared so many Jhale_barne !!!!
जवाब देंहटाएंthough i am not fluent in Rajasthani language thoroughly but i can understand to some extend...enjoyed reading.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-01-2017) को "होने लगे बबाल" (चर्चा अंक-2584) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद, आदरनीय शास्त्री जी।
हटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रस्म की जानकारी। बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी
जवाब देंहटाएंज्योति जी, राजस्थानी समाज के इस परंपरा से अवगत कराने के लिए आपका आभार और धन्यवाद। .... Thanks for this nice article!! :) :)
जवाब देंहटाएंबहूत ही पोस्ट लिखी, राजस्थानी समाज के बारें बहुत अच्छी तरह समझाया!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
Jyotiji kab se dhundh rahi thi main ki is jhale - varne pratha per kuchh jankari mile. Mere mayke me nahi hota per mere sasural me hai ye pratha.Bahut achhe lagte hain ye jhane varne sunna...thank u so much Jyoti ji
जवाब देंहटाएंमीना जी, मेरी हमेशा यहीं कोशिश रहती है कि पाठको को कुछ उपयोगी मिले ऐसा लिखूं। आप जैसो के फिडबॅक से मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है।
हटाएंJyoti ji राम राम, खम्मा घणी, ऐ झालरा कद सारू हुया ओर किन री याद में गाइजे, राजसथोंन में कठे गावे, ठा वे तो बतावजो,
जवाब देंहटाएंरेवत राजपुरोहित जोधपुरी
शादी में झाले वारने लेने की शुरवात कब हुई इसका इतिहास मुझे पता नही है। ये सिर्फ राजस्थान में ही लिए जाते है ऐसा नही है। ये राजस्थानी समाज मतलब महेश्वरी, मारवाड़ी, गुजराती, ब्राम्हण आदि समाज मे लिए जाते है।
हटाएंशादी में ब्याह हाथ होने पर वारने लिए जाते है। एक तरह से यह मौजमस्ती वाला कार्यक्रम है।
Jyoti ji please jhalla complete provide krwave isme ek paragraph me or bhi lines hoti h
जवाब देंहटाएंझाले बहुत सारे हो सकते है इसलिए मैं ने यह पोस्ट दो भागों में लिखी है। आप इसका पार्ट 2 भी देखिए। पैरिग्राफ पूरा ही है। पहली ला8न सामान्यतः दो बार बोली जाती है।
हटाएं