राजस्थानी समाज में शादी-ब्याह में झाले-वारणे लेने की प्रथा है। लेकिन आजकल की पीढ़ी को झाले न आने के कारण झाले सिर्फ़ शगुन के तौर पर होने लगे है। अत: ...पेश है झाले...!
राजस्थानी समाज के शादी-ब्याह में झाले-वारणे लेने की प्रथा है। लेकिन लेडिज संगीत के चलते झाले-वारणे सिर्फ़ रस्म-अदायगी के तौर पर होने लगे है। वारणे तो फ़िर भी लिए जाते है लेकिन आजकल की पीढ़ी को झाले न आने के कारण झाले सिर्फ़ शगुन के तौर पर होने लगे है। झाले के बारे में विस्तृत जानकारी एवं झाले क्रमांंक 1-60 पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए।
61) मंदर उपर सुंदर खड़ी जी ओ राज भंवरजी खड़ी सुकाव केस।
केसा केसा घुंघरा जी ओ राज भंवरजी चमक चारों देश॥
62) मंदर उपर सुंदर खड़ी जी ओ राज भंवरजी खड़ी सुकाव केस।
राजिंद फेरी दे गया जी ओ राज भंवरजी कर जोगी रो भेष॥
63) मंदीर म मंदीर जी ओ राज भंवरजी मंदीर म भगवान।
म म्हारी काम करती जी ओ राज भंवरजी खड्या-खड्या निखरं साहेबान॥
64) दुधा भरी बाटकी जी ओ राज भंवरजी शिवजी पुजन जाय।
पार्वती म्हाने यु कहे जी ओ राज भंवरजी रहियो अमर सुहाग॥
65) डूंगर उपर डूंगर जी ओ राज भंवरजी जिसपर नाच मोर।
मोर बिचारा काई कर जी ओ राज भंवरजी बाईजी चुगलीखोर।।
66) डूंगर उपर डूंगर जी ओ राज भंवरजी जिसपर पड्यो बदाम।
ऐसी चतर आजकल की लुगाई जी ओ राज भंवरजी मर्द करे सलाम॥
(चतर-होशियार)
7) डूंगर उपर डूंगर जी ओ राज भंवरजी जिसपर पड्यो कोट।
7) डूंगर उपर डूंगर जी ओ राज भंवरजी जिसपर पड्यो कोट।
ऐसा साजन पालं पड्या जी ओ राज भंवरजी नितरा देवे नोट॥
68) डूंगर उपर डूंगर जी ओ राज भंवरजी म्हासु चढ्या न जाय।
म्हे म्हार साजन की लाडली जी ओ राज भंवरजी गोद्या ले कर जाय।।
69) चप्पल म्हारी भाग की जी ओ राज भंवरजी रोज सिनेमा जाय।
इसा चतर म्हारा सायबा जी ओ राज भंवरजी सामन मोटर लाय॥
70) चप्पल उंची हील की जी ओ राज भंवरजी गाऊन झालरदार।
इसा चोखा म्हारा सायबा जी ओ राज भंवरजी रोज सिनेमा ले जाय।।
(चोखा-अच्छा)
71) आजकल र छोरा-छोरी जी ओ राज भंवरजी बाहर पढ़बा जाय।
71) आजकल र छोरा-छोरी जी ओ राज भंवरजी बाहर पढ़बा जाय।
माँ-बाप की ममता छुटी जी ओ राज भंवरजी बाहर का ही हो जाय।।
72) आजकाल री छोरया जी ओ राज भंवरजी राख खुला केस।
कलयुग को काई केवणो जी ओ राज भंवरजी जींस टॉप रो ड्रेस॥
73) आजकल री छोरया जी ओ राज भंवरजी कॉलेज पढ़बा जाय।
छोरा देखन आवं तो जी ओ राज भंवरजी छोरया कर नापास॥
74) आजकल री छोरया जी ओ राज भंवरजी नौकरी करबा जाय।
होटलसु खानो मंगाव जी ओ राज भंवरजी टाबर नौकरानी क पास छोड़ जाय॥
75) बनडी तो दुबली घनी जी ओ राज भंवरजी दो ही फ़लका खाय।
बनडा न चिंता पडी जी ओ राज भंवरजी वैद्य बुलाकर लाय।।
76) बैंगन तो काचा भला जी ओ राज भंवरजी पाकी भली अनार।
प्रीतम तो मोटा भला जी ओ राज भंवरजी दुबला फ़ूंक मारता गंडल जाय॥
(काचा-कच्चे)
77) बैंगन तो काचा भला जी ओ राज भंवरजी पाकी भली अनार।
(काचा-कच्चे)
77) बैंगन तो काचा भला जी ओ राज भंवरजी पाकी भली अनार।
प्रीतम तो दुबला भला जी ओ राज भंवरजी मोटा जाट गंवार।।
78) राजन चाल्या चाकरी जी ओ राज भंवरजी पग म उलझी डोर।
पाछा फ़िरण देखिया जी ओ राज भंवरजी सामन उभी गणगौर॥
(चाकरी-नौकरी)
(चाकरी-नौकरी)
79) डाळम फ़ुले डागळ जी ओ राज भंवरजी रस डाळम क माय।
गोरी सूखे बाप क जी ओ राज भंवरजी जीव पिया रे माय॥
(डाळम-अनार)
(डाळम-अनार)
80) चंद्रबदनी मृगलोचनी जी ओ राज भंवरजी है सुख-दु:ख की खान।
जो बस चालो मेरो जी ओ राज भंवरजी तुझ पे देऊ जान॥
81) रतन जडायो पोलको जी ओ राज भंवरजी घडी मोडी न जाय।
थार सरिखा सायबा जी ओ राज भंवरजी घडी भर छोड्या न जाय॥
(पोलको-ब्लाउज)
82) घड्याळ म्हार हाथ म जी ओ राज भंवरजी बज गई साढे-सात।
82) घड्याळ म्हार हाथ म जी ओ राज भंवरजी बज गई साढे-सात।
लिखता-लिखता सो गई जी ओ राज भंवरजी रह गई मन की बात।।
83) महला महला म फ़िरू जी ओ राज भंवरजी महला टंगियो हार।
म म्हारी हार पेरती जी ओ राज भंवरजी बाईजी न लागी खार।।
(खार-इर्ष्या)
84) महला महला म फ़िरू जी ओ राज भंवरजी महला टंगियो हार।
देखनवाला घर नहीं जी ओ राज भंवरजी पेरण म काई सार।।
(सार-मतलब)
(सार-मतलब)
85) आटी डोरा कांगसी जी ओ राज भंवरजी सिस गुथाबा जाय।
सामन मिल गया सायबा जी ओ राज भंवरजी म्हारी छाती धडका खाय॥
86) प्रितम तुम मत जायजो जी ओ राज भंवरजी दूर देश को वास।
खोड़ हमारी यहां पड़ी जी ओ राज भंवरजी प्राण आपके पास॥
(खोड़-शरीर)
87) बर्तन भांडा मोकळा जी ओ राज भंवरजी घर म ह कढ़ाई।
बनडो घनो चोख्यो जी ओ राज भंवरजी बनडी की करे बढ़ाई॥
(मोकळा-बहुत)
(मोकळा-बहुत)
88) नया घडाया झुमका जी ओ राज भंवरजी मोती लगाया ग्यारा।
गोरी सोयगी महल म जी ओ राज भंवरजी राजींद घाले चाकरा॥
(चाकरा-चक्कर)
89) नया घडाया गोखरू जी ओ राज भंवरजी रवा दिलाया चार।
89) नया घडाया गोखरू जी ओ राज भंवरजी रवा दिलाया चार।
निरखनवाला घर नहीं जी ओ राज भंवरजी पेरण म काई सार॥
(निरखनवाला-देखनेवाला)
90) नया घडाया पाटला जी ओ राज भंवरजी हीरा लगाया चार।
90) नया घडाया पाटला जी ओ राज भंवरजी हीरा लगाया चार।
म राजिंद की लाडली जी ओ राज भंवरजी पेरूं बार त्योहार॥
91) फ़ुला भरियो बाटको जी ओ राज भंवरजी दुर्गा पुजन जाय।
दुर्गा माता यूं कहे जी ओ राज भंवरजी रहियो अमर सुहाग॥
92) फ़ुला भरियो बाटको जी ओ राज भंवरजी दुर्गा पुजन जाय।
सामन मिल गया सायबा जी ओ राज भंवरजी कळी-कळी खिल जाय॥
93) काळी हांडी कांच री जी ओ राज भंवरजी बिन पटक्या फ़ुट जाय।
आजकल क टाबर जी ओ राज भंवरजी काम कह्यो की नट जाय।।
(टाबर-बच्चे)
94) काळी हांडी कांच री जी ओ राज भंवरजी बिन पटक्या फ़ुट जाय।
94) काळी हांडी कांच री जी ओ राज भंवरजी बिन पटक्या फ़ुट जाय।
आजकाल क टाबरा को टाइम जी ओ राज भंवरजी फ़ेसबुक व्हाट्स एप्प म ही बीत जाय॥
95) कागद लिख्यो प्रेम स जी ओ राज भंवरजी अधबिच लिख्यो प्रणाम।
बेग्या आयजो सायबा जी ओ राज भंवरजी नही तो छोडू प्राण॥
(बेग्या-जल्दी)
(बेग्या-जल्दी)
96) ले कुंकु ले चोपडो जी ओ राज भंवरजी सुरज पुजन जाय।
सामन मिल गया सायबा जी ओ राज भंवरजी म्हारी छाती धड़का खाय॥
97) आळा भरियो खोबरो जी ओ राज भंवरजी खिडकी भरी बदाम।
गोरी चाली बाप क जी ओ राज भंवरजी राजिंद करे सलाम॥
98) पक्यो लिंबु रस भरो जी ओ राज भंवरजी नख लाग्या टिच जाय।
गोरी चाली बाप के जी ओ राज भंवरजी छाती धडका खाय॥
99) माय रंगियो पोमचो जी ओ राज भंवरजी नानी बंधन बंधाय।
राजिंद कंय्या ओढु जी ओ राज भंवरजी सासु जी सेक्या खाव॥
100) घेवर भरियो बाटको जी ओ राज भंवरजी पड्यो पलंग र हेट।
लेती तो लाजा मरू जी ओ राज भंवरजी देख देवर-जेठ॥
101) घेवर भरियो बाटको जी ओ राज भंवरजी बर्फ़ी रव्वादार।
उठो राजिंद जीम लेवो जी ओ राज भंवरजी गोरी करे मनवार॥
102) घेवर भरियो बाटको जी ओ राज भंवरजी टपकन लाग्यो घी।
गोरी चाली बाप क जी ओ राज भंवरजी तरसन लाग्यो जी॥
103) प्रेमनगर रा पावना जी ओ राज भंवरजी हृदय थाको विशाल।
हिवरा म थोडी जगा दिज्यो जी ओ राज भंवरजी राखियो म्हारो ख्याल।।
(हिवरा-हृदय)
(हिवरा-हृदय)
104) पान मळाम जावता जी ओ राज भंवरजी आडो पसरियो नाग।
मरती पण बच गई जी ओ राज भंवरजी राजिंद थाको भाग।।
105) आडी-तिरछी कुलड्या जी ओ राज भंवरजी आम को अचार।
नितरा पेढ़ा लावता जी ओ राज भंवरजी अब काई पड़ गयो काळ॥
(नितरा-रोज)
106) बागा झुलो घालियो जी ओ राज भंवरजी डोर हिंडारे माय।
106) बागा झुलो घालियो जी ओ राज भंवरजी डोर हिंडारे माय।
किंवकर खेलु एकली जी ओ राज भंवरजी मन सहेल्या माय॥
(किंवकर-कैसे)
(किंवकर-कैसे)
107) मेला फ़ोडी काकडी जी ओ राज भंवरजी झरोखा डाल्या बीज।
बेगा आयजो सायबा जी ओ राज भंवरजी पेली सावन री तीज॥
108) झिरमिर झिरमिर मेघ बरसे जी ओ राज भंवरजी हुयो अंधेरो खुब।
इतनो सोला-श्रृगार करी जी ओ राज भंवरजी कंय्या निरखोगा रूप।।
109) झिरमिर झिरमिर मेघ बरसे जी ओ राज भंवरजी हुई अंधेरी रैन।
मति जाओ राजिंद चाकरी जी ओ राज भंवरजी डबडब भरे मोरे नैन।।
110) मति जाओ गोरी बाप क जी ओ राज भंवरजी कारण नहीं है खास।
जठ थे रवो वठ मौज जी ओ राज भंवरजी नही तो म्हे रवा उदास।।
111) चमचा आइसक्रिम खावता जी ओ राज भंवरजी आइसक्रिम थंड़ीगार।
बनडो आयो मांडवा जी ओ राज भंवरजी बनडी घाल्यो हार॥
112) एडी म्हारी चिकनी जी ओ राज भंवरजी पंजो सटवा सूट।
ऐसी चालु झुमती जी ओ राज भंवरजी दुश्मन छाती कुट।।
113) तारा भरियो ओढ़नो जी ओ राज भंवरजी भेजु किसके साथ।
खोड हमारी यहां पडी जी ओ राज भवरजी प्राण पिया रे पास॥
114) अनाज री खोली रो चुहो जी ओ राज भंवरजी पापड खुळ-खुळ खाय।
बाईजी सासुजी न सिखावता जी ओ राज भवरजी सासुजी बड़-बड़ करती जाय॥
115) ऐसी चुडिया म्हे पहनु जी ओ राज भंवरजी नवरंगी नवरंग।
बार-त्योहार पैरती जी ओ राज भंवरजी कर चमाचम चम॥
116) लाल-गुलाबी ओढ़नो जी ओ राज भंवरजी पटल्या घालु चार।
म्हारा साजन दुलळा घना जी ओ राज भंवरजी पटल्या म छीप जाय॥
117) जितनी पायरी पगा धरूं जी ओ राज भंवरजी उतना देवर-जेठ।
बिचला म्हारा सायबा जी ओ राज भंवरजी छोड़ चाल्या परदेश॥
118) हरी मिरची लाल मिरची जी ओ राज भंवरजी मिरची बड़ी तेज।
म तो भोली भाली हूं जी ओ राज भंवरजी साहेब तेजमतेज॥
119) चार जलेबी रस भरी जी ओ राज भवरजी भेजु किसके साथ।
बाईजी तो घर नहीं जी ओ राजभंवरजी देवर बिच म खाय॥
120) आगंन म री निंबडी जी ओ राज भंवरजी पीछवाडारो नींब।
म्हारी सहेल्या हार गई जी ओ राज भंवरजी म्हे ले आया गढ़ जीत॥
ये आखरी वाला झाला जो ग्रृप जीतता है वो बोलता है।
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह ज्योति ,बहुत सुंदर संग्रह । पढकर आनद आ गया ।
जवाब देंहटाएंआजकल ये सब लगभग बंद सा हो गया है ।
राजस्थानी समाज के बारे मे मैं ज्यादा नही जानती हूं इसलिए पढकर समझने मे थोडी दिक्कत हुई । पर जितना समझ मे आया वह बहुत अच्छा लगा । हेल्या हार गई जी ओ राज भंवरजी म्हे ले आया गढ़ जीत । यह लाइन बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद ज्योंति जी इस रस्म को शेयर करने के लिए ।
जवाब देंहटाएं118) हरी मिरची लाल मिरची जी ओ राज भंवरजी मिरची बड़ी तेज।
जवाब देंहटाएंम तो भोली भाली हूं जी ओ राज भंवरजी साहेब तेजमतेज॥
बहुत सुन्दर,बेहतरीन प्रस्तुति
Aapki is post me Rajasthan ki sanskriti paribhashit hoti hai. Mein khud bhi rajasthan se hun to muje ye post bahut badiya lagi.
जवाब देंहटाएंPost achhi hai. Bt Rajasthan ka knowledge nhi h isliye smjhne me dikkte aayi
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संग्रह, धन्यवाद ज्योंति जी इसको शेयर करने के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा article है। ......... very nice with awesome depiction ......... Thanks for sharing this article!! :)
जवाब देंहटाएंI have nominated you for The Bloggers Recognition Award, visit the link....
जवाब देंहटाएंhttps://jyotirmoytheone.wordpress.com/2017/02/01/bloggers-recognition-award/
ज्योतिर्मोय,मुझे 'The Bloggers Recognition Award' के लिए नॉमिनेट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंबहुत ही अच्छा लेख है यह आपका आदरणीया ज्योति जी । हार्दिक अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंमैंने आपके नाम की संस्तुति ‘Bloggers Recognition Award’ के लिए की है । संबंधित लिंक इस प्रकार है :
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सादर,
जितेन्द्र माथुर
जीतेन्द्र जी, मुझे 'The Bloggers Recognition Award' के लिए नॉमिनेट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंझाले के बारे में बहुत अच्छी विस्तृत जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंBhut Accha article...
जवाब देंहटाएंवाह ज्योतिजी, अब जब मेरे ससुराल में कोई शादी होगी तो मेरी ही टीम जीतेगी, इस तरह की और कोई जानकारियाँ हो तो कृपया जरूर शेयर करें । मैं लिखकर रखूँगी इनको अपने पास ! बहुत बहुत धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत बहुत आभार राजस्थानी गीतो को जिंदा रखने का बहुत अच्छ प्रयास है यू. ट्यूब पर ऑड़ीयो सुना है मैने ।। बहुत बहुत आभार बहिन ज्योती देहिवाल
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