महिला दिवस पर हर महिला की अपेक्षा होती हैं सभी लोग उसे सम्मान दे और उसकी कद्र करें! लेकिन होता ये हैं कि हम महिलायें खुद ही खुद की कद्र नहीं करती! यदि हम खुद ही खुद की कद्र नहीं करेंगी तो बाकि लोग हमारी कद्र क्यों करेंगे?
• खुद की कद्र करना हमारे जीवन की संजीवनी है।
चौबीस घंटे और सातों दिन अनवरत काम करके भी महिलाओं को रात को सोते वक्त दिमाग में यहीं आता हैं कि कहीं कोई काम बाकि तो नहीं रह गया? कभी याद आता हैं कि दही फ़्रिज में रखना भूल गई तो कभी याद आता हैं सुबह नाश्ते में ढोकला बनाना हैं तो ढोकले का घोल करना रह गया। कमर सीधी करके लेटते ही फ़िर से किचन की तरह भागती हैं महिलाएं! सवाल यह हैं कि इतना करने के बावजूद ज्यादातर महिलाएं ख़ुश क्यों नहीं हैं? क्यों महिलाओं को बार-बार यहीं लगता हैं कि घर के बाकि सदस्यों को उनकी कद्र नहीं हैं? प्यारी सहेलियों, घर के बाकि सदस्यों को आपकी कद्र क्यों नहीं हैं, यह जानने से पहले स्वयं से पूछिए कि क्या आप स्वयं की कद्र करती हैं? क्या आप स्वयं से प्यार करती हैं? आप स्वयं को कितना वक्त देती हैं? जबाब जानने की कोशिश करेंगी तब आपको समझ में आएगा कि आप स्वयं की कद्र ही नहीं करती! आप स्वयं को हमेशा आखिर में रखती आई हैं। खुशहाल जिंदगी जीने के लिए सभी लाइफकोच यहीं कहते हैं कि पहले स्वयं से प्यार करों, स्वयं कद्र करों...
• जिस तरह आप दूसरों की परवाह किया करते हैं, ठीक उसी तरह अपनी परवाह किया करें
मेरी एक सहेली हैं, उज्वला। वो एक बहुत ही अच्छी बहू, पत्नी और माँ हैं। वो घर के सभी सदस्यों का बहुत ख्याल रखती हैं। लेकिन जब पारी खुद के ख्याल रखने की आती हैं तो उसका एक ही जबाब रहता हैं...अं...मेरा क्या, मैं कुछ भी और कभी भी खा लूंगी...कई बार उसे सुबह का नाश्ता करने में भी ग्यारह बज जाते हैं! क्यों भाई, जब घर के बाकि सदस्य सुबह 8-9 बजे नाश्ता कर रहे हैं तो तुम क्यों नहीं करती? तो उसका जबाब रहता हैं कि काम बहुत हैं। पहले काम निपटालू फ़िर आराम से बैठ कर नाश्ता करुंगी। जब वो खुद ही ऐसा कहती हैं तो घर के लोग तो यहीं सोचेंगे न कि इसको ग्यारह बजे नाश्ता चलता हैं इसलिए ही तो ग्यारह बजे कर रहीं हैं। किसी ने मना थोड़े ही किया हैं जल्दी नाश्ता करने?
एक बात याद रखिए कि यदि उज्वला सबके साथ सुबह नाश्ता कर लेती और फ़िर बाद में बचे हुए काम करती तो पेट भरा होने से वो सभी काम ज्यादा तत्परता से और अच्छे से कर पाती!
• खुद को पंचिंग बैग न बनने दे-
उज्वला के पति बैंक मैनेजर हैं। उनकी सर्विस दूसरे शहर में हैं। वहां पर उन्होंने एक कमरा किराए से लिया हुआ हैं। मैं उज्वला से मिलने उसके घर गई हुई थी। उतने में उसके पति आएं और उस पर गुस्सा होने लगे कि घर से निकलते वक्त तुमने मुझे कमरे की चाबी रखने की याद क्यों नहीं दिलाई? सहेली का चेहरा एकदम उतर गया। उसके चेहरे से साफ़ प्रतित हो रहा था कि उससे बड़ी भारी भूल हो गई हैं। उसने अपने पति से दो-तीन बार 'सॉरी' कहा! और ये भी कहा कि आगे से वो इस बात का जरुर ख्याल रखेगी कि ऐसी गलती दोबारा न हो! वो अपने आप को दोष देने लगी कि न जाने कैसे सुबह की भागमभाग में उससे इतनी बड़ी गलती हो गई। पतिदेव को उसकी वजह से कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा!! अब आप बताइए, असल में कमरे की चाबी रखने की याद रखने का काम किसका था? जो बाहर जा रहा उसका या जो घर में हैं उसका? भई, यदि पतिदेव बाहर जा रहे हैं तो कमरे की चाबी रखने की याद रखने का काम भी तो उनका ही हैं न! उपर से उसके पतिदेव का कहना था कि उसे तो बाहर चार काम करने पड़ते हैं...वो कौन-कौन सी बात की याद रखें? पत्नी दिन भर घर में रहती हैं...उसे क्या काम हैं? उसे मुझे याद दिलाना चाहिए था।
सवाल ये हैं क्या पत्नी घर में दिन भर खाली बैठी थी? उसे भी तो घर के ढेर सारे कामों को अंजाम देना होता हैं। फ़िर ऐसी स्थिति में ख़ुद का दोष न होते हुए भी उज्वला अपने आप को दोषी क्यों मान रहीं थी? इसका कारण हैं, उस के अंदर की हिन भावना। उसे ख़ुद को लगता हैं कि मैं क्या करती हूं? सिर्फ़ घर के काम ही तो करती हूं...जबकि वो भी दिन भर चकरघन्नी की तरह काम ही करती हैं।
यदि वो अपने आप की कद्र करती, जो गलती उसकी नहीं हैं उसके लिए ख़ुद को दोषी नहीं मानती तो उसका पति भी उसको दोष नहीं देता! वो ये ही बोलता कि आज मैं चाबी रखना भूल गया था!!
• प्यार पाने के लिए खुद से प्यार करें
मेरा रंग सांवला हैं, मैं सुंदर नहीं हूं...इसलिए लोग मुझसे प्यार नहीं करते। इस तरह की बातों से ख़ुद को कम आंकने से आपका मनोबल कमजोर होता हैं। इससे नकारात्मकता बढ़ती हैं। सुंदरता के मायने केवल शारीरिक सुंदरता ही नहीं होता, इसमें आपकी स्मार्टनेस, जानकारी, सोच वगैरह कई चीजें होती हैं। अपने व्यक्तित्व में संतुलन लाएं। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। किसी को अपना आदर्श जरूर बनाएं, मगर दूसरों की नकल करने की बजाय अपनी एक अलग पहचान बनाएं।
जो प्यार आप अपने परिवार को दे रही हैं, बदले में जब उतना ही प्यार नहीं मिलता हैं, तो दुख लगना स्वाभाविक है। पर खुद की अनदेखी तो आप स्वयं कर रही हैं, फिर दूसरे तो करेंगे ही। खुद को खुश रखिए। मन को मारकर हर वक्त दूसरों के लिए करते रहने से एक हीनभावना आ जाती है। जब आप खुश रहेंगी, तभी आप हर रिश्ते में खुशी का रंग भर पाएंगी।
• खुद पर भरोसा रखना जरूरी हैं
खुद पर भरोसा करने का मतलब है, अपने आत्मविश्वास को बढ़ाना। आत्मविश्वास होगा तो गलतियां भी कम होंगी। कोई गलती होती भी है, तो धैर्य रखें और उन गलतियों से सीख लेकर अगली बार बेहतर करने की कोशिश करें। खुद पर भरोसे के दम पर ही एक चींटी अपने वजन से दस गुना भार लेकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाती है।
• अपने खान-पान पर ध्यान दीजिए
शरीर आप का हैं तो उसका ध्यान रखने की जिम्मेदारी भी आपकी है। समय पर, सही और संतुलित खाना जितना जरूरी आपके घर वालों के लिए है, उतना ही जरूरी आपके लिए भी है। बचा-खुचा खा लेना, जब टाइम मिले तब खाना; अपने साथ ऐसा करते हुए आपको सोचना चाहिए कि आपका शरीर कोई कूड़ादान नहीं है, जिसके अंदर कुछ भी डाल दिया जाए। सेहतमंद खाने से समझौता करके खुद को बीमार न बनाएं। याद रखिए कि यदि आप स्वस्थ्य रह कर दौड़-दौड़ कर काम करेंगी तब तक ही ये दुनिया आप को चाहेगी। दुनिया किसी भी इंसान को प्यार नहीं करती! दुनिया प्यार करती हैं इंसान के कामों को!! आप स्वस्थ्य रहेंगी तो ही सभी के काम कर पायेंगी।
• खुद को प्यार करना, खुद की कद्र करना जरूरी हैं
आयुष्मान खुराना की 'बाला' फिल्म में एक डायलॉग है-
''आप मोटे, काले, नाटे, गंजे… चाहे जैसे भी दिखते हों, अगर आप खुद से प्यार करेंगे तो दुनिया भी आपसे प्यार करेगी।'' अपने आपको प्यार करना, अपने आप की कद्र करना स्वयं के विकास में निवेश करने जैसा है। आप ही हैं, जो अपने जीवन की दिशा को तय कर सकती हैं, यानी खुद ही यह तय कर सकती हैं कि आपको क्या करना है। अपनी भावनाओं, रिश्तों और बाकी व्यावहारिक जिंदगी के लिए दूसरों पर निर्भर रहने से हीनभावना बढ़ सकती है। ख़ुद अपनी जिंदगी की लगाम खुद के हाथ में रखने का गर्व आपके चेहरे पर दमकेगा। इससे आप जिंदगी की हर समस्या का सामना आप आसानी कर पायेंगी!!
सहेलियों, इस महिला दिवस पर प्रतिज्ञा ले कि आज से आप खुद से प्यार करेगी और ख़ुद की कद्र करेगी। ध्यान दीजिए कि ख़ुद की कद्र करना कहीं से भी स्वार्थीपना नहीं हैं! खुद को 'स्पेशल' समझे...क्योंकि 'भगवान' कुछ भी 'फालतु' में नहीं बनाते!!
सहेलियों, इस महिला दिवस पर प्रतिज्ञा ले कि आज से आप खुद से प्यार करेगी और ख़ुद की कद्र करेगी। ध्यान दीजिए कि ख़ुद की कद्र करना कहीं से भी स्वार्थीपना नहीं हैं! खुद को 'स्पेशल' समझे...क्योंकि 'भगवान' कुछ भी 'फालतु' में नहीं बनाते!!
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 08 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
हटाएंमहिलाओं के लिए उचित मार्गदर्शन भरा उपयोगी लेख ज्योति दी।
जवाब देंहटाएं-----
नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।
इतनी सारगर्भित टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शशि भाई।
हटाएंजी ज्योति जी महिलाओं को सर्वप्रथम अपनी कद्र खुद करनी होगी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ज्योति जी
वाह! ज्योति ,बहुत सही बात कही है आपनें ,महिलाएं अक्सर खुद की देखभाल नहीं करती । अपने आप से प्यार करना बहुत जरुरी है ,हम स्वस्थ्य तो घर परिवार ,समाज ,देश सभी खुशहाल बनेंगे ।आपके इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोग पढे और गुने ,बस यही इच्छा है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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होलीकोत्सव के साथ
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की भी बधाई हो।
" खुद की कद्र करना हमारे जीवन की संजीवनी है।"बिलकुल सही कहा ज्योति बहन ,बेहतरीन लेख
जवाब देंहटाएंआपको भी महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सटीक लेख ज्योति बहन।💯❗
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2020) को महके है मन में फुहार! (चर्चा अंक 3635) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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होलीकोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक एवं सारगर्भित लेख...
जवाब देंहटाएंसच कहा महिलाओं को स्वयं से प्यार करना सीखना होगा जब हम स्वयं की कद्र करेंगे तभी दूसरा भी हमारी कद्र करना सीखेगा...।