आज गोरा रंग ही सुंदरता का पैमाना माना जाता हैं। किसी महिला के गुणों को ताक पर रख कर उसके रंग को ही महत्व दिया जाता हैं। गोरेपन को लेकर हमारा ये कैसा पागलपन हैं?
आज गोरा रंग ही सुंदरता का पैमाना माना जाता हैं। जबकि वास्तविकता ये हैं कि रंग से सुंदरता का कोई मतलब नहीं हैं। लेकिन दुर्भाग्य यहीं हैं कि आज भी किसी महिला के गुणों को ताक पर रख कर उसके रंग को ही महत्व दिया जाता हैं। हमारे समाज और हमारी जिंदगी की यहीं कड़वी सच्चाई हैं। हमें दुल्हन चाहिए गोरी, बीवी चाहिए गोरी, बहू चाहिए गोरी, ऑफ़िस में रीसेप्शनिस्ट चाहिए गोरी। लड़की गोरी हुई तो पति का ज्यादा प्यार मिलेगा, ससुराल में ज्यादा इज्जत मिलेगी, ऑफ़िस में ज्यादा प्रमोशन मिलेंगे। गोरेपन को लेकर हमारा ये कैसा पागलपन हैं? क्या सांवले रंग वाले इंसान नहीं होते?
इतिहास में देखेंगे तो कालिदास की शकुंतला सांवली थी। वाल्मीकि की सीता श्याम वर्ण थी। प्रेमचंद के उपन्यासों की नायिकाएं सांवली थी। कविताओं में नायिकाओं के श्याम वर्ण का बखान होता था। रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी की नायिकाओं का रंग भी सांवला था। कमाल अमरोही ने एक यादगार गीत लिखा था- ''कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की, बहुत खूबसूरत-सी मगर सांवली सी...'' मतलब इतिहास में हमारी सोच में सुंदरता का पैमाना गोरा रंग नहीं था। वास्तव में ये सोच सौंदर्य उत्पाद बेचने वाली कंपनियों ने पैदा की हैं। अपने उत्पाद बेचने के लिए विज्ञापनों के द्वारा ये कंपनियां सुंदरता की इमेज गढ़ती हैं और उसे बेचना शुरु करती हैं। इन कंपनियों की ये सोची समझी साज़िश हैं। इन कंपनियों ने लुभावने विज्ञापनों से हमारा ब्रेन वॉश कर दिया हैं। उसी का नतीज़ा हैं कि पिछले साल ही एक अरब रुपए की तो सिर्फ़ गोरा बनाने वाली क्रीम बिकी हैं!! इन कंपनियों के झांसे में सिर्फ़ महिलाएं ही नहीं आई तो पुरुष भी इनका शिकार हो गए। शाहरुख खान क्रीम बेचते हुए कहते हैं न, ''फेयरनेस क्रीम फॉर मेन।'' लेकिन सच्चाई यहीं हैं कि इन क्रीमों से आज तक कोई महिला या पुरुष गोरा नहीं हुई/हुआ।
मिस इंडिया 2019 के आयोजकों की हुई आलोचना
फिलहाल मिस इंडिया 2019 की तैयारियाँ चल रहीं हैं। हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया ने मिस इंडिया 2019 पर अपने लेख के साथ इस साल की 30 फाइनलिस्ट की तस्वीरें भी छापी। इन तस्वीरों में ये सभी तीस की तीस लड़कियाँ एक ही रंग की नजर आ रही थी और वो रंग था गोरा! सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाए कि अलग-अलग राज्यों से चुन कर आई सभी लड़कियों का रंग गोरा ही कैसे हो सकता हैं? इंटरनेशनल मीडिया में भी इस तस्वीर को लेकर भारत के गोरे रंग के प्रेम पर आलोचना की जा रहीं हैं। असल में ये सभी लड़कियाँ गोरे रंग की हैं नहीं, उन्हें दिखाया गया हैं! इस बात को लेकर इतना विवाद इसलिए हो रहा हैं क्योंकि अब समय के साथ अमेरिका ने भी सुंदरता और रंग को लेकर अपनी परिभाषा बदल दी हैं। 2019 में पहली बार ऐसा हुआ हैं कि मिस अमेरिका, मिस US और मिस टीन US तीनों ही काली हैं। जब एक गोरे रंगों वाले देश ने भी काले रंग को अपना लिया हैं तो भारत, जिस कि भौगोलिक स्थिति ही ऐसी हैं कि यहां दूध से सफ़ेद लोग हो ही नहीं सकते...अधिकतर भारतीयों का रंग़ सांवला ही रहता हैं...इस सत्य को जानते हुए भी मिस इंडिया के प्रतिभागियों को गोरा करके दिखाना...हमारी निम्न मानसिकता को दर्शा रहा हैं। हमारे समाज की सुंदरता के प्रति गलत सोच, उस सोच से जन्मी ये सौंदर्य प्रतियोगिताएं और इन प्रतियोगिताओं को प्रायोजित करने वाली सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां ये सब मन की सुंदरता दिखाने का ढोंग करती हैं इनका असली मकसद तन की सुंदरता दिखाना ही होता हैं ताकि इनकी दुकाने चलती रहे। कहा जाता हैं कि सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती हैं तो सवाल ये हैं कि फ़िर सुंदरता का कॉन्टेस्ट क्यों होता हैं?
सुंदरता का पैमाना गोरा रंग ही नहीं हैं
स्टाइल, फैशन, फिल्में, रेड कार्पेट, ऑस्कर इन सभी जगहों पर अब ब्लैक हिरोइनों को भी सुंदर माना जाता हैं। उनके टैलेंट को पहचाना जाता हैं। कई बार विश्व सुंदरी का खिताब नीग्रो लड़कियों को भी मिला हैं, जिनके गुणों ने उन्हें खूबसूरती दी हैं। 'ब्यूटी विद ब्रेन' का फार्मूला आज के जमाने का हिट फ़ार्मूला हैं।
![]() |
न्याकिम गैटवेच |
• दक्षिण सूडान की एक मॉडल न्याकिम गैटवेच विश्व की सबसे काली मॉडल हैं लेकिन उसे खुद पर गर्व हैं। न्याकिम अपने रंग को भगवान का दिया हुआ वरदान मानती हैं और कभी भी खुद को किसी से कम नहीं समझती। इंस्टाग्राम पर उनके एक लाख फॉलोअर हैं!
• भारत के एक मशहूर फ़ैशन ब्रांड ने जब अपने प्रचार के लिए एसिड अटैक की शिकार लक्ष्मी को अपना नया चेहरा बनाया था, तो स्वाभाविक रुप से लोगों को आश्चर्य हुआ था। लेकिन उस ब्रांड ने अपने डिज़ाइनर कपड़ों में लक्ष्मी का चेहरा बनाने पर संदेश दिया कि फ़ैशन और सुंदरता के कई मायने हो सकते हैं और सुंदरता बाहर से नहीं अंदर से होती हैं। लक्ष्मी कंपनी के ब्रांड के लिए साहस का चेहरा हैं, जो फ़ैशन को एक नया आयाम देगी!
• बहुत सी लड़कियाँ जो गोरे रंग की नहीं हैं, हीन भावना से ग्रस्त रहती हैं। इसलिए गोरा रंग पाने के लिए लड़कियाँ किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती हैं। जबकि वास्तविकता यह हैं कि हर शरीर सुंदर हैं, हर रंग सुंदर हैं, हर आकार सुंदर हैं, हम जैसे हैं सुंदर हैं। हमें अपने गुणों को निखारना चाहिए।
• एक बात हमेशा याद रखें कि खूबसूरत बन कर हम लोगों को आकर्षित तो कर सकते हैं लेकिन खुद को साबित नहीं कर सकते। साबित करने के लिए तो अंदर से सुंदर होना पड़ेगा।
• उपर मॉडल न्याकिम गैटवेच का फोटो देख कर या सांवले रंग की प्रियंका चोपडा की कामयाबी को देख कर यह बात साबित होती हैं कि यदि कोई सांवले या काले रंग का हैं लेकिन प्रतिभावान हैं, तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। जीवन की लंबी दौड़ में सांझ की तरह ढलते रूप की नहीं बल्कि सूरज की तरह अंधेरे में उजाले की रोशनी करने वालों की कद्र होती हैं!
इमेजेज- गूगल से साभार
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति ज्योती बहन
जवाब देंहटाएंसमसामयिक लेख ज्योति बहन
जवाब देंहटाएंसमसामयिक लेख बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 07/06/2019 की बुलेटिन, " क्यों है यह हाल मेरे (प्र)देश में - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को "ब्लॉग बुलेटिन" में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शिवम जी।
हटाएंआपकी विस्तृत जानकारी को नमन ।
जवाब देंहटाएंचिंतन देती पोस्ट।
गोरे रंग पर मरना भारतियों की विडंबना है।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-06-2019) को "धरती का पारा" (चर्चा अंक- 3361) (चर्चा अंक-3305) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Glad to see that you have discussed in this issue, its a concept existing in the society and i think it will be tough to remove. I have never believed that fair complexion is necessary in the case of beauty, may be later i will share a post about it.
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप शादी के विज्ञापन देखिए ज्योति जी,
जवाब देंहटाएंआज भी लिखी मिल जाएगी गौरवर्णा वधू की माँग....
बहुत सटीक लेख हैं। लोगों की आँखें तो खुलें।
मीना दी, यहीं तो कोशिश की हैं मैं ने...कम से कम लोग इस दृष्टिकोन से सोचे तो सही...
हटाएं