आज शिल्पा प्रमोद को खुशखबर देने वाली थी कि उसके मम्मी-पापा ने उनकी शादी के लिए हाँ कर दी हैं। लेकिन उसने ऐसा क्या देखा कि उसको अपनी पूरी दुनिया उजडती महसुस हुई?
आज कॉलेज में जो कुछ हुआ उससे मन बहुत ही दु:खी था। मेट्रो में पूरे रास्ते बुरे-बुरे ख्यालात मन में आ रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो सब कुछ समाप्त हो गया हैं। जीने की तमन्ना ही खत्म हो गई हैं। मन कर रहा था कि इसी मेट्रो के आगे कूद कर अपनी जान दे दूँ। आखिर जिंदा रहू भी तो किसके लिए? मेरी खास दोस्त, मेरी सबसे प्रिय सहेली जिसके साथ मैं अपनी सारे बाते शेयर करती थी यहाँ तक कि प्रमोद जिससे मैं प्यार करती हूँ, उसकी भी सारी बाते मैं उससे शेयर करती थी, उसी ने मुझे धोखा दिया! और प्रमोद…मेरा पहला प्यार, जिसके साथ मैं ने पूरी जिंदगी बिताने के हसीन सपने देखे, जिसे मैं अपने आप से भी ज्यादा प्यार करती हूँ, उसने भी मुझे धोखा दिया! क्यों किया उन दोनों ने मेरे साथ ऐसा? यहीं सब सोचते-सोचते कब मैं घर आ गई...कब अपने कमरे में जाकर चुपचाप बैठ गई मुझे पता ही नहीं चला।
''शिल्पा, शिल्पा, क्या हुआ?'' यह कह कर जब मम्मी ने मुझे जोर से झकझोरा तब मेरी तंद्रा भंग हुई। मम्मी को सामने देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और मम्मी से लिपटकर फुट फुट कर रोने लगी। मेरी हालत देख कर मम्मी थोड़ी सी घबरा गई।
''शिल्पा बेटा, क्या हुआ? तुम तो मेरी बहादूर बेटी हो...आज ऐसा क्या हुआ कि मेरी इतनी बहादूर बेटी कमजोर हो गई? क्या हुआ बेटा? अपनी मम्मी को नहीं बताओगी?'' आज तक ऐसी कोई बात नहीं हुई थी जो मैं ने मम्मी को न बताई हो। वो मेरी मम्मी कम सहेली ज्यादा थी।
'मम्मी, वो प्रमोद...''
''क्या हुआ प्रमोद को?'' ''प्रमोद ने मुझे धोखा दिया मम्मी! वो कह रहा हैं कि अब उसे मुझ से प्यार नहीं हैं! वो प्रियंका से प्यार करता हैं।'' ''अरे...कल ही तो तू ने अपने पापा से प्रमोद से शादी करने की बात की थी और उन्होंने हां भी कर दी थी फ़िर आज अचानक क्या हुआ?''
क्या हुआ वो तो मुझे नहीं पता। लेकिन आज जब मैं कैंटीन में गई तो मैं ने देखा कि प्रमोद और प्रियंका एक दूसरे का हाथ थामे हुए...आंखों में आखें डाल कर एक दूसरे में खोये हैं। प्रमोद प्रियंका से कह रहा था, 'मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम से प्यार करता हूं।' प्रियंका ने पूछा, ''और वो शिल्पा?'' ''शिल्पा से मैं प्यार करता था। लेकिन अब जाकर मुझे एहसास हुआ हैं कि मैं शिल्पा से नहीं तुम से प्यार करता हूं। ये समझ लो कि शिल्पा मेरा अतीत थी और तुम आज हो!'' मेरे तरफ उन दोनों की पीठ होने से वे दोनों मुझे देख नहीं पा रहे थे। ये सब देख सुन कर मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और गुस्से में उन दोनों के सामने पहुंच गई। अचानक मुझे सामने देख कर दोनों भी थोड़ा घबरा गए। मैं ने प्रमोद से कहा, ''प्रमोद, क्या कह रहे थे तुम! मैं तुम्हारा कल थी! अभी परसों ही तो हमने बात की थी कि अपने-अपने घर शादी की बात करेंगे...मेरे मम्मी-पापा तो राजी भी हो गए...मैं यही खुशख़बर तुम्हें सुनाने वाली थी और तुम कह रहे हो कि मैं तुम्हारा कल थी?''
''शिल्पा, तुम्हारा गुस्सा होना वाजिब हैं। लेकिन यहीं सच हैं। जब परसों हमने शादी के लिए बात की थी तभी से मैं इस बारे में सोच रहा था। बहुत सोचने पर मुझे एहसास हुआ कि मैं तुम से नहीं प्रियंका से प्यार करता हूं। अब तुम्हीं बताओं यार जब मैं प्रियंंका से प्यार करता हूं तो तुमसे शादी कैसे कर सकता हूं? मैं आज तुम्हें ये सब बताने ही वाला था। अच्छा हुआ तुम ने सब सुन लिया। प्लीज यार प्रक्टिकल बनों!''
''प्रमोद, आखिर मुझ में क्या कमी हैं। प्रियंका में ऐसा क्या हैं, जो मुझ में नहीं हैं। मैं भी सुंदर हूं...मुझे प्रियंंका से ज्यादा का पैकेज मिला हैं।''
''शिल्पा, तुम प्रियंंका से किसी भी मामले में उन्नीस नहीं हो। तुम बहुत अच्छी लड़की हो। मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता। लेकिन मैं दिल के हाथों मजबूर हूं। मैं प्रियंका से प्यार करता हूँ और इस बात को तुम जितनी जल्दी स्वीकार करोगी उतना ही हम दोनों के लिए अच्छा होगा।''
मैं ने प्रियंका से कहा, ''मैं तो तुम्हें अपनी खास सहेली मानती हूं। इसलिए ही मैं मेरे और प्रमोद के बीच की हर बात तुम से शेयर करती थी। मैं ने ही तुम्हें प्रमोद से मिलवाया था और तुम्हीं ने मुझे धोखा दिया?'' प्रिंयका बोली, ''देख शिल्पा, मैं ने प्रमोद से नहीं कहा तुझे छोडने! अब वो मुझ से प्यार करता हैं...इसमें मेरा क्या दोष? मम्मी, ये सब देख सून कर मुझे ऐसा लग रहा था कि धरती फट जाये और मैं उस में समा जाऊँ! बताओं न मम्मी…क्या मैं प्रियंंका से कम सुंदर हूं?''
''नहीं बेटा, तुम हर मामले में प्रियंका से इक्कीस ही हो। पर यदि प्रमोद का दिल प्रियंका पर आ गया हैं, तो उस में तुम क्या कर सकती हो?'' मम्मी ने कहा।
''नहीं बेटा, तुम हर मामले में प्रियंका से इक्कीस ही हो। पर यदि प्रमोद का दिल प्रियंका पर आ गया हैं, तो उस में तुम क्या कर सकती हो?'' मम्मी ने कहा।
''मम्मी, मैं अपने आप को बहुत अपमानित महसूस कर रहीं हूँ...सब कुछ खत्म हो गया...कुछ भी नहीं बचा!''
मम्मी ने थोड़ी देर मुझे रोने दिया ताकि मेरे मन का गुबार बाहर आ जाए। इस बीच मम्मी मेरी पीठ सहला कर मुझे सांत्वना देती रही। जब मैं थोड़ी सामान्य हुई तब मम्मी ने पूछा, ''क्या मैं तुम से कुछ सवाल पूछ सकती हूं? देखो तुम्हारा मन हो तो ही 'हाँ' बोलना। बेटा, ये मत समझना कि मैं फिलॉसफी झाड रही हूं। मैं अपने अनुभवों से तुम्हें इस दु:ख से बाहर लाना चाहती हूं। हो सकता हैं मेरे ये सवाल तुम्हें कुछ अटपटे लगे लेकिन इन्हीं सवालों में तुम्हारे सवालों के जबाब छिपे हैं। इसलिए शांती से मेरे सवालों के जबाब देना।''
मम्मी ने थोड़ी देर मुझे रोने दिया ताकि मेरे मन का गुबार बाहर आ जाए। इस बीच मम्मी मेरी पीठ सहला कर मुझे सांत्वना देती रही। जब मैं थोड़ी सामान्य हुई तब मम्मी ने पूछा, ''क्या मैं तुम से कुछ सवाल पूछ सकती हूं? देखो तुम्हारा मन हो तो ही 'हाँ' बोलना। बेटा, ये मत समझना कि मैं फिलॉसफी झाड रही हूं। मैं अपने अनुभवों से तुम्हें इस दु:ख से बाहर लाना चाहती हूं। हो सकता हैं मेरे ये सवाल तुम्हें कुछ अटपटे लगे लेकिन इन्हीं सवालों में तुम्हारे सवालों के जबाब छिपे हैं। इसलिए शांती से मेरे सवालों के जबाब देना।''
''ठीक हैं।'' मैं ने अनमने मन से कहा। ''प्रमोद तुम्हारा कौन था?'' ''बॉयफ्रेंड! '' 'तुम प्रमोद की कौन थी?' 'गर्लफ्रेंड!' 'अब तुम प्रमोद की कौन हो?' 'एक्स गर्लफ्रेंड!' 'अब प्रमोद तुम्हारा कौन हैं?' 'एक्स बॉयफ्रेंड' 'एक्स बॉयफ्रेंड मतलब कि अब प्रमोद तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं हैं। हैं न? अब जब प्रमोद तुम्हारा बॉयफ्रेंड हैं ही नहीं तो तुम दु:खी क्यों हो रही हो? तुम किसके लिए दु:खी हो रही हो? उसके लिए जो तुम्हारा हैं ही नहीं! दूसरे शब्दों में जिससे तुम प्यार करती थी वो बॉयफ्रेंड अब अस्तित्व में नहीं हैं। उसकी मृत्यु हो चूकी हैं। मर गया हैं वो! मरने वालों के साथ हम मर नहीं सकते! यहीं जिंदगी कि सच्चाई हैं। आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड मरा हैं। लेकिन आज भी तुम्हारा प्यारा सा छोटा भाई जिंदा हैं। तुम्हें जान से भी ज्यादा प्यार करने वाले मम्मी-पापा जिंदा हैं। क्या तुम ने एक बार भी सोचा कि यदि तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारे मम्मी-पापा पर क्या बीतेगी? क्या तुम्हे अपने छोटे भाई से प्यार नहीं हैं? बेटा, जो नहीं हैं उसके बारे में सोचने की बजाय जो हैं उनके बारे में क्यों नहीं सोचती? इसलिए प्रमोद ने जैसे नई गर्लफ्रेंड बना ली ठीक वैसे ही तुम कोई नया बॉयफ्रेंड बना लो। और सबसे बड़ी बात यह ज़रुरी भी नहीं हैं कि हर वक्त हमारा कोई बॉयफ्रेंड हो ही! फिलहाल तुम अपने कैरियर पर ध्यान दो। कुछ बन जाओ...बॉयफ्रेंड का क्या? तुम्हारी काबिलियत से एक प्रमोद क्या सैकड़ों प्रमोद तुम्हारे आगे पिछे घुमेंगे...अपने आप को कमजोर मत बनाओं...मेरी बातों पर थोड़ा सा गौर करों...आंसू पोछों और नए जोश के साथ नई जिंदगी की शुरवात करो...!!
मम्मी के शब्दों ने मेरे उपर जादू सा काम किया। प्रमोद से ब्रेकअप का दु:ख रफूचक्कर हो गया। मैं मन ही मन सोचने लगी कि काश, मेरे मम्मी जैसी मम्मी हर युवक-युवती के पास होती तो कोई भी युवक या युवती ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन का शिकार नहीं होते या आत्महत्या नहीं करते!!!
Aaj ki yuva pidhi ko Sikh deti hui kahani!bahut hi Uttam lekhan hai.👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 09 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, यशोदा दी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सखी
जवाब देंहटाएंसादर
सुंदर कहानी ... 👌 👌 👌
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-01-2019) को "प्रणय सप्ताह का आरम्भ" (चर्चा अंक-3240) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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पाश्चात्य प्रणय सप्ताह की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंJyoti ji dost ban sakte hai kya plz
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरणादायी कहानी ज्योति बहन ।अनुभव सदा उम्र से बेहतर परिणाम देता हैं।
जवाब देंहटाएंBahut sundar kahani
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सीख देती लाजवाब कहानी....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सटीक कहानी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लेख. शानदार प्रस्तुति... Thanks for sharing this!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 09 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सलाह दी। सच में ऐसे समझदार सबकी माँ होती तो काफी बच्चे अवसाद में नहीं जाते। सुन्दर लघु-कथा।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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