हम कई बच्चों को माता-पिता पर हाथ उठाते, सार्वजनिक जगहों पर चिल्लाते, झुठ बोलते या किसी चीज के लिए ज़िद करते देखते हैं। क्या आप भी बच्चे की ज़िद और गलत व्यवहार से परेशान हैं???
हम कई बच्चों को माता-पिता पर हाथ उठाते, सार्वजनिक जगहों पर चिल्लाते, झुठ बोलते या किसी चीज के लिए ज़िद करते देखते हैं। कभी-कभी तो इनकी शैतानियां इतनी बढ़ जाती हैं कि माता-पिता को शर्मिंदगी होने लगती हैं। हाल ही में एक अनोखी ख़बर पढ़ने में आई थी कि एक पिता के सामने अपनी पहचान का संकट निर्माण हुआ। हुआ ये कि वो इंसान अपने बच्चे के स्कूल में पैरेंट्स मीटिंग में गया और वहां पर उसके बच्चे ने साफ़-साफ़ शब्दों में कह दिया, “ये मेरे पापा नहीं हैं!!” उस इंसान ने पहले बच्चे को समझाया और फ़िर क्लास टीचर को समझाया कि मैं ही इस बच्चे का बाप हूं! लेकिन बच्चे के इंकार से टीचर असंमजस में पड़ गई। मामला प्रींसिपल के पास गया। लेकिन बच्चा बार-बार ये ही बोले जा रहा था कि ये मेरे पापा नहीं है। आखिरकार प्रिंसिपल ने बच्चे के घर पर फ़ोन लगाया तो बच्चे की मम्मी ने कहा कि बच्चा कल से चॉकलेट के लिए ज़िद कर रहा था। चूंकि उसने पहले ही ज्यादा चॉकलेट खा ली थी इसलिए उसके पापा ने कल उसे चॉकलेट लाकर नहीं दी। अत: पापा से नाराज़ होकर वो ऐसा कह रहा हैं! अब बताइए, क्या यह बच्चे की नाजायज ज़िद और गलत व्यवहार नहीं हैं? क्या बिती होगी उस वक्त उस इंसान पर जब सबके सामने उसका खुद का बच्चा उसे नकार रहा हैं, वो भी सिर्फ़ एक चॉकलेट के लिए? क्यो होते हैं बच्चे इतने जिद्दी और उद्दंड? क्या आपके बच्चे भी इतने न सही लेकिन जिद्दी हैं? कुछ गलत आदतों के शिकार हैं? तो अपनाइए ये उपाय...
1) सबसे पहले खुद के क्रोध पर काबू पाए-
जब भी बच्चा जिद्दी या गलत हरकत करने लगता हैं तो हमें उस पर क्रोध आने लगता हैं। क्रोधवश हम उसे डांटने या मारने लगते हैं। न्यूटन के नियमानुसार हर क्रिया की प्रतिक्रिया ज़रूर होती हैं। सोचिए...जब बच्चे के गलत व्यवहार से हम खुद बड़े होकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाए तो वो छोटा सा बच्चा...हमारे गुस्सा होने पर कैसे शांत रहेगा? इसलिए गुस्सा न करते हुए बच्चे से प्यार से पेश आएं। मारपीट की जगह आप बच्चें को शारीरिक श्रम वाली सज़ा दे सकते है जैसे ग्राउंड के दो चक्कर लगाना या 5 बार सीढ़ी उतरना चढ़ना, इससे शारीरिक श्रम भी हो जाएगा और श्रम से दिमाग से निकलने वाले सिरोटोनिन से बच्चें का मूड भी ठीक हो जाएगा। जहाँ तक संभव हो बच्चे को सब के बीच सजा देने से बचे। इससे उनके आत्मसमान को ठेस पहुंचती है।
2) सही गलत का अंतर समझाएं-
आप यदि बच्चे की कोई बात नहीं मान रहे हैं तो उसका सही कारण बच्चे को समझाएं। सही कारण समझ में आने पर बच्चा खुद ही उस बात के लिए ज़िद नहीं करेगा। जैसे कि उपरोक्त उदाहरण में यदि उस दंपति का व्यवहार बच्चे के साथ अति लाड-प्यार का न होकर संतुलित होता, तो वो बच्चे को ये समझाने में कामयाब होते कि ज्यादा चॉकलेट से उसकी सेहत को नुकसान होगा...उसके दांतो में दर्द होगा...इसलिए वे उसे और चॉकलेट नहीं दे रहे हैं लेकिन दो दिन बाद वे उसे चॉकलेट ज़रूर लाकर देंगे तो ये नौबत नहीं आती।
3) बच्चे को उसकी गलती का एहसास करवाए-
बच्चे के गलती करने पर उसे डांटने, मारने या बार-बार सजा देने से वो और ज्यादा जिद्दी बन जाता हैं। उसे लगता हैं कि गलती करने पर माता-पिता ज्यादा से ज्यादा क्या करेंगे...डांटेंगे, मारेंगे या कोई और सजा देंगे बस! इससे उसके मन में आपकी इज्जत कम हो जाती हैं। बार-बार सजा पाने पर बच्चा अंदर से कठोर बन जाता हैं। यदि कोई बच्चा होमवर्क की जगह T V देखता है तो कभी कभी बिना होमवर्क के स्कूल भेज दे और स्कूल में डाट भी खाने दे। इससे उनमें खुद जिम्मेदारी का एहसास होता है। जब बच्चा अच्छे मूड में हो तब उससे दोस्ताना व्यवहार कर कर उसे उसकी गलती का एहसास करवाएं।
4) यदि बच्चा सार्वजनिक जगह पर चिल्लाएं या ज़िद करे तो...
ऐसे समय सबसे बेहतर तरीका यहीं हैं कि बच्चे को घर से ही समझा कर ले जाएं कि यदि वो किसी भी प्रकार की कोई ज़िद नहीं करेगा तो ही आप उसे अपने साथ लेकर जायेंगे। बच्चा सार्वजनिक जगहों पर ऐसा बर्ताव करता ही इसलिए हैं क्योंकि उसे भरोसा होता हैं कि इतने लोगों के सामने मजबुरीवश आपको उसकी बात माननी ही पड़ेगी! यदि बच्चा घर पर हां बोले और वहां जाकर ज़िद करे तो ऐसे में छोटी-छोटी धमकियां काम आ सकती हैं जैसे यदि तुम को यह चीज दिला दी तो अगले चार-पांच दिनों तक तुम्हें तुम्हारा पसंदीदा कार्टून नहीं देखने देंगे या टिफ़िन में पसंदीदा खाना नहीं रखेंगे और अगली बार उसे साथ में नहीं ले जाएंगे। थोड़ी सी सख्ती बरतते हुए अगली बार उसे साथ में न ले जाएं। तब उसे यह बात समझ में आ जाएगी कि मम्मी-पापा जैसा बोलते हैं वैसा ही करते हैं।
5) यदि बच्चा गुस्से में चिल्लाएं या हाथ उठाए तो...
यदि बच्चा गुस्से में चिल्लाता हैं या हाथ उठाता हैं तो इसका मतलब ये हैं कि बच्चे में धैर्य की कमी हैं। मतलब उसे जब जो चीज चाहिए यानी चाहिए और भी जल्दी चाहिए। ऐसे में आपको बच्चे में धैर्य विकसित करना होगा। जैसे आप किसी से बात कर रहे हैं और बच्चा बार-बार बीच में बोल रहा हैं तो सिर्फ़ एक बार प्रेम से बोलिए कि हम तुमसे बाद में बात करेंगे। चाहे वो कितना भी तंग करें अपनी बात पूरी कर-कर ही उसकी बात सुनिए! यदि वो आपसे कुछ माँगे और आप कुछ काम कर रही हैं तो उससे स्पष्ट शब्दों में कहिए इतना काम पूरा करकर देती हूं। लेकिन एक बात का ख्याल रखे कि आप जैसा बोल रहे हैं वैसा करे ज़रुर! अपना वो काम पूरा करने पर बच्चे को वो चीज ज़रूर दीजिए। इससे बच्चे में धैर्य विकसित होगा।
6) यदि बच्चा सामान फेंके तो...
ऐसे में उसका खिलौना कहीं छिपा दीजिए और बच्चे को बताइए कि उसने गलत काम किया इसलिए चंदामामा, शक्तिमान या उसका कोई भी पसंदीदा चरित्र उसका खिलौना ले गया। अब यदि तुम प्रॉमिस करो कि आगे से सामान नहीं फेकोगे तो ही चंदामामा (पसंदीदा चरित्र) तुम्हारा खिलौना वापस करेंगे। जब सामान फेंकने पर बच्चे को उसके खिलौने से वंचित रहना पड़ेगा तो आगे से वो सामान नहीं फेकेगा।
7) यदि बच्चा झूठ बोले तो...
डांट या मार से बचने के लिए ही बच्चा झूठ बोलता हैं। ऐसे में बच्चे को समझाएं कि गलती हर इंसान से होती हैं। अत: यदि तुमसे किसी भी प्रकार की कोई भी गलती हो जाएं तो आपको ज़रुर बताएं। गलती छुपाने के लिए झूठ ना बोले। क्योंकि एक बार झूठ बोलने पर उस झूठ को छुपाने के लिए तुम्हें और कई बार झूठ बोलना पड़ेगा। झूठ बोलने से तुम्हारा सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि किस वक्त किसको क्या बोला था यह तुम्हें याद रखना पड़ेगा। दूसरे हम तुम्हारे माता-पिता हैं इसलिए तुमसे कितनी भी बड़ी गलती हो जाए...हम उस गलती को सुधारने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे। दुनिया का कोई भी अन्य व्यक्ति तुम्हारी गलती से तुम्हारा फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगा। सबसे ज़रुरी बात स्वयं कभी भी झूठ न बोले। तभी आप बच्चे को सच्चाई का महत्व समझा पायेंगे।
7) यदि बच्चा झूठ बोले तो...
डांट या मार से बचने के लिए ही बच्चा झूठ बोलता हैं। ऐसे में बच्चे को समझाएं कि गलती हर इंसान से होती हैं। अत: यदि तुमसे किसी भी प्रकार की कोई भी गलती हो जाएं तो आपको ज़रुर बताएं। गलती छुपाने के लिए झूठ ना बोले। क्योंकि एक बार झूठ बोलने पर उस झूठ को छुपाने के लिए तुम्हें और कई बार झूठ बोलना पड़ेगा। झूठ बोलने से तुम्हारा सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि किस वक्त किसको क्या बोला था यह तुम्हें याद रखना पड़ेगा। दूसरे हम तुम्हारे माता-पिता हैं इसलिए तुमसे कितनी भी बड़ी गलती हो जाए...हम उस गलती को सुधारने की पूरी-पूरी कोशिश करेंगे। दुनिया का कोई भी अन्य व्यक्ति तुम्हारी गलती से तुम्हारा फ़ायदा उठाने की कोशिश करेगा। सबसे ज़रुरी बात स्वयं कभी भी झूठ न बोले। तभी आप बच्चे को सच्चाई का महत्व समझा पायेंगे।
8) बच्चे की ज़िद के आगे झुके नहीं-
अक्सर लोगों के सामने शर्मिंदगी से बचने के लिए माता-पिता उनकी ज़िद के आगे घुटने टेक देते हैं। ऐसा करने से बच्चा यह बात समझ जाता हैं कि सबके सामने ज़िद करने से उसकी ज़िद पूरी हो जाएगी। अपने व्यवहार से बच्चे के मन में यह बात अच्छी तरह बैठा दीजिए कि हमारी उचित और सही मांगे माता-पिता ज़रूर पूरी करते हैं। ध्यान रखें कि यदि एक बार किसी चीज के लिए मना कर दिया, तो फ़िर बच्चे की ज़िद के आगे झुक कर हां न करें।
9) बच्चे को नहीं भी बोले
नहीं एक छोटा सा शब्द हैं। लेकिन हमें बच्चे को नहीं सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। जब नहीं कहे तो इसके पीछे का कारण बताएं- 'नहीं तुम्हें 2000 रुपए का वह ड्रेस नहीं मिलेगा बल्कि 800 रुपए वाला ही मिलेगा, क्योंकि तुम जल्दी बड़े हो जाओगे और ड्रेस छोटा पड़ने लगेगा। पैसे की नाहक बर्बादी होगी।
9) बच्चे को नहीं भी बोले
नहीं एक छोटा सा शब्द हैं। लेकिन हमें बच्चे को नहीं सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। जब नहीं कहे तो इसके पीछे का कारण बताएं- 'नहीं तुम्हें 2000 रुपए का वह ड्रेस नहीं मिलेगा बल्कि 800 रुपए वाला ही मिलेगा, क्योंकि तुम जल्दी बड़े हो जाओगे और ड्रेस छोटा पड़ने लगेगा। पैसे की नाहक बर्बादी होगी।
10) बच्चे को अच्छी कहानियों के माध्यम से समझाएं-
बच्चे को उस समय की परिस्थिति के मुद्दे नजर जो कहानी वहां पर लागू हो उस हिसाब से अच्छी कहानियों के जरिये समझाइए। कहानी से बच्चे को अपनी गलती का एहसास होता हैं।
बच्चों की समस्याओं पर बहुत अच्छा आलेख ज्योति जी , वास्तव में बच्चों की जिद्द व् अनेकों शरारतों को रोकने के लिए जो टिप्स आपने दिए हैं वह सभी माता - पिता के बहुत काम आयेंगे |
जवाब देंहटाएंआज की एक बड़ी सामाजिक समस्या है बच्चों की सही तरीके से परवरिश। आदरणीया ज्योति जी ने personality development से संबंधित बारीकियों को इस आलेख में बखूबी समझाया है। निसंदेह एक परिणाम देने वाला शिक्षाप्रद आलेख है जिससे लोगों को जरूर आजमाना चाहिए खामियां तो कुछ न कुछ रह ही जाती हैं फिर भी हमें सकारात्मक होकर इन सलाहों पर विचार जरूर करना चाहिए। शुक्रिया आपका इस उपयोगी ले को साझा करने के लिए।
जवाब देंहटाएंकृपया जिससे को जिसे और ले को लेख पढ़ें। धन्यवाद।
हटाएंsundar lekh laga|
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लेख.....
जवाब देंहटाएंबच्चे की जिद सुधारने के बहुत ही शानदार तरीके बताए हैं आपने....सही कहावक्त की कमी के चलते बच्चों की मनमानी उन्हे बिगाड़ सकती है.....
बहुत ही सुन्दर..
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (18-12-2017) को "राम तुम बन जाओगे" (चर्चा अंक-2821) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंदिनांक 19/12/2017 को...
जवाब देंहटाएंआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
धन्यवाद, कुलदीप जी।
हटाएंवास्तव में बच्चों को समय ना दे पाना ही सारी समस्याओं की जड़ है। मेरे पास बच्चों के माता पिता आकर कहते हैं कि आप इन्हें सुधारिए। दूसरी तरफ वे खुद अति लाड प्यार में उनकी जायज नाजायज माँगें पूरी करते हैं और उन्हें बिगाड़ते हैं। आजकल माता पिता अपने बच्चों को लेकर बहुत ज्यादा पजेसिव भी हैं। कहीं अति सुरक्षा तो कहीं असुरक्षा की भावना में बच्चे पल रहे हैं। आपके द्वारा बताए गए मनोवैज्ञानिक एवं व्यावहारिक उपाय उन माता पिता के लिए अत्यंत उपयोगी हैं जिनके बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के हैं । सादर ।
जवाब देंहटाएंवाह!!ज्योति जी ,बच्चों की समस्याओं को लेकर बेहतरीन लेख ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंthanks for share ,,,,,
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख ... बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करें ये एक समस्या रहती है हमेशा ...
जवाब देंहटाएंसार्थक लिखा है ...
Bhaut sundar article.....aapne esi problem par likha hai jiska solution bahut jaruri hai.....apne baccho par yeh tips sabhi ko follow karna chaiye.......
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