विज्ञान की इतनी तरक्की के बावजुद, आज भी महिलाओं को अंधविश्वास के कारण, सर धोने जैसी सामान्य क्रिया के लिए भी क्या-क्या और कितनी बार सोचना पड़ता है...

मैंने कल रात को निश्चय किया था कि मैं आज सर के बाल जरुर धोऊंगी ( सर नहाउंगी)। इसलिए मैंने बालों में तेल भी लगाया था। लेकिन सुबह-सुबह 5 बजे ही एक फोन आया कि हमारें परिचित में एक मौत हो गई है! अत: मेरे पतिदेव नागपुर बैठने चले गए। हमारे यहां ऐसा मानते है कि यदि घर का कोई सदस्य दुसरे गांव मौत-मट्टी में शामिल होने गया है, तो उस घर की महिलाएं सर नहीं नहाती। अब आज तो मैं सर नहीं नहा सकती।
दूसरे दिन, आज बुधवार है। हे भगवान! मैं तो आज भी सर नहीं नहा सकती! मुझे एकुलता एक बेटा है और कहा जाता है कि एक बेटे की मां को, बुधवार को सर नहीं नहाना चाहिए। नहीं तो बेटे का कूछ अमंगल हो जाता है। ना बाबा ना, सर नहा कर, मैं मेरे बेटे का अमंगल कैसे कर सकती हूं? क्या करुं? क्या करूं?
तिसरे दिन, आज गुरुवार है। गुरुवार को और सर धोऊ? तौबा रे तौबा! कहते है कि इस दिन सर नहाने से, बृहस्पती जी नाराज हो जाते है और घर से सुख-समृद्धी रुठ जाती है! अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं? बाल तो इतने चिपके-चिपके लग रहे कि पुछो मत। लेकिन क्या करूं? क्या करूं? अब तो बहुत हो गया कल तो मैं सर जरूर नहाऊंगी!!
चौथे दिन, आज शुक्रवार है। सोकर उठी तो खुश थी कि चलो आज का दिन तो अच्छा है, आज मैं सर नहा ही लेती हूं। आज शाम को एक बर्थ डे पार्टी में भी जाना है, तो ऐसे चिपके-चिपके बालों से पार्टी में थोडे ही जाउंगी? इज्जत का फालुदा करना है क्या? ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक ख्याल आया कि अरे...रे... आज तो एकादशी है और मैं एकादशी का उपवास भी करती हूं। हमारे यहां पर जो महिला एकादशी का उपवास करती है, वो सर नहीं नहाती। अपशगुन होता है! पहले ही आज-कल इंसान ढ़ेर सारी समस्याओं से घिरा रहता है और मेरे आज सर नहाने से कूछ अशुभ हो गया तो...! ना बाबा ना! चाहे कुछ भी हो जाए मैं तो आज सर नहीं नहाउंगी! शाम को पार्टी में जाते वक्त मैंने बालों में सामने-सामने टेलकम पावडर छिडक दिया ताकि बाल चिपके- चिपके न दिखें! आज के रात की ही तो बात है, कल तो मैं सर नहा ही लुंगी!
पांचवे दिन, आज शनिवार है। हे भगवान, आखिरकार आप मेरी कितनी परिक्षा लेंगे? अब शनिवार को बाल धोकर क्या मैं मेरे पतिदेव का कूछ अमंगल कर सकती हूं? अब तो मेरे बाल इतने गंदे लग रहे है कि चौबिसों घंटे मुझे सिर्फ और सिर्फ बाल ही बाल दीख रहे है। आप यकिन मानिए, रात को मुझे एक बहुत ही अच्छा सपना आया। बहुत ही अच्छा! मैं सपने में, बढ़िया अपने सर के बाल धो रही थी! काश, आज मेरा ये सपना सच हो जाता! लेकिन मैं और शनिवार को बाल कैसे धो सकती हूं? क्या करुं? क्या करुं?
छ्ठ्वे दिन, आज रविवार है। हे भगवान! मुझे एकुलता एक ही तो प्यारा सा छोटा भाई है! रविवार को सर नहा कर, मैं मेरे भाई की जान जोखिम में कैसे डाल सकती हूं? क्योंकि कहते है कि एक भाई की बहन रविवार को बाल नहीं धोती! चाहे मेरे बालों में कितनी भी खुजली ही क्यों न होने लगे, मैं रविवार को सर नहीं नहाऊंगी!
सातवे दिन, आज सोमवार है। आज सुबह से ही मैं बहुत खुश हूं! क्योंकि पिछ्ले छ: दिनों से शुरु हुई तपस्या आज खत्म होने वाली है। लेकिन हाय री किस्मत! मेरी खुशियों को तो न जाने किसकी नजर लग गई! नहाने जाने से पहले, मुझे मेरी सासुमां की हिदायत याद आ गई कि सर नहाने जाने से पहले एक बार कॅलेंडर जरुर देख लेना चाहिए। सो मैंने कॅलेंडर देख लिया। कॅलेंडर क्या देख लिया, मानो आफत मोल ले ली! उस कलमुंहे कॅलेडर को भी मेरी खुशी हजम नहीं हुई। एक तिथी घटने से आज अमावस्या थी। अमावस याने मेरी खुशियों की अमावस! अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई है कि मैं उसे शब्दों में व्यक्त भी नहीं कर सकती। लेकिन अमावस को कैसे सर नहाऊं? हमारे पूरे खानदान में, सात पीढ़ियों से आज तक अमावस को ( दिपावली छोडकर ) किसी भी महिला ने अपने सर के बाल नहीं धोए है! तो फिर मैं अमावस को सर नहाने का रिस्क कैसे ले सकती हूं? मुझे लगता है कि कहीं मेरी सभी प्रार्थनाएं ईश्वर के स्पॅम फोल्डर में तो नहीं पहूंच रहीं है? लेकिन फिर भी मैं भगवान से और एक बार प्रार्थना करती हूं कि हे पालनहार, कल मंगलवार याने अच्छा दिन है, अत: कल कोई अनहोनी मत होने देना। प्लीज, प्लीज, प्लीज... हे ईश्वर, मेरी प्राथना सुन लीजिए, कल कोई अनहोनी मत होने दीजिएगा, मुझे कल सर नहाना है, मुझे कल सर नहाना है!!!
सुझाव-
प्यारी सहेलियों, मैं ने यह पोस्ट व्यंगात्मक रूप में लिखी थी कि सप्ताह के सातों दिन सर धोने में कुछ न कुछ दिक्कते आती हैं। अमावस्या आदि को और श्राद्ध आदि में बाल नहीं धोते तो मैं बाल कब धोऊ? लेकिन अभी तक मतलब कि 18-11-2019 तक इसे 66,000 बार पढ़ा गया हैं। इस बात से मुझे एहसास हुआ कि पढ़ी-लिखी महिलाएं भी कितनी बुरी तरह अंधविश्वास से जकड़ी हुई हैं! और अब तो मुझे उनके मन की शंका को निकालना ही पड़ेगा। इसलिए पोस्ट में सुझाव लिखा हैं।
सहेलियों, सर के बाल भी शरीर के अन्य अंगों की तरह शरीर का एक भाग हैं। हम जिस तरह हाथ-पैर जैसे अंग कभी भी धो लेते हैं ठीक उसी तरह सर के बाल भी कभी भी धो सकते हैं। बिना मतलब अंधविश्वास से मन में किसी तरह का वहम न पालें। मेरा यकिन कीजिए, अमावस्या को या ऐसे किसी भी दिन सर के बाल धोने से कुछ भी अशुभ नहीं होगा। मैं खुद भी जब चाहे तब बाल धो लेती हूं। मेरे साथ कुछ भी अमंगल नहीं हुआ हैं!!!
दूसरे दिन, आज बुधवार है। हे भगवान! मैं तो आज भी सर नहीं नहा सकती! मुझे एकुलता एक बेटा है और कहा जाता है कि एक बेटे की मां को, बुधवार को सर नहीं नहाना चाहिए। नहीं तो बेटे का कूछ अमंगल हो जाता है। ना बाबा ना, सर नहा कर, मैं मेरे बेटे का अमंगल कैसे कर सकती हूं? क्या करुं? क्या करूं?
तिसरे दिन, आज गुरुवार है। गुरुवार को और सर धोऊ? तौबा रे तौबा! कहते है कि इस दिन सर नहाने से, बृहस्पती जी नाराज हो जाते है और घर से सुख-समृद्धी रुठ जाती है! अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं? बाल तो इतने चिपके-चिपके लग रहे कि पुछो मत। लेकिन क्या करूं? क्या करूं? अब तो बहुत हो गया कल तो मैं सर जरूर नहाऊंगी!!
चौथे दिन, आज शुक्रवार है। सोकर उठी तो खुश थी कि चलो आज का दिन तो अच्छा है, आज मैं सर नहा ही लेती हूं। आज शाम को एक बर्थ डे पार्टी में भी जाना है, तो ऐसे चिपके-चिपके बालों से पार्टी में थोडे ही जाउंगी? इज्जत का फालुदा करना है क्या? ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक ख्याल आया कि अरे...रे... आज तो एकादशी है और मैं एकादशी का उपवास भी करती हूं। हमारे यहां पर जो महिला एकादशी का उपवास करती है, वो सर नहीं नहाती। अपशगुन होता है! पहले ही आज-कल इंसान ढ़ेर सारी समस्याओं से घिरा रहता है और मेरे आज सर नहाने से कूछ अशुभ हो गया तो...! ना बाबा ना! चाहे कुछ भी हो जाए मैं तो आज सर नहीं नहाउंगी! शाम को पार्टी में जाते वक्त मैंने बालों में सामने-सामने टेलकम पावडर छिडक दिया ताकि बाल चिपके- चिपके न दिखें! आज के रात की ही तो बात है, कल तो मैं सर नहा ही लुंगी!
पांचवे दिन, आज शनिवार है। हे भगवान, आखिरकार आप मेरी कितनी परिक्षा लेंगे? अब शनिवार को बाल धोकर क्या मैं मेरे पतिदेव का कूछ अमंगल कर सकती हूं? अब तो मेरे बाल इतने गंदे लग रहे है कि चौबिसों घंटे मुझे सिर्फ और सिर्फ बाल ही बाल दीख रहे है। आप यकिन मानिए, रात को मुझे एक बहुत ही अच्छा सपना आया। बहुत ही अच्छा! मैं सपने में, बढ़िया अपने सर के बाल धो रही थी! काश, आज मेरा ये सपना सच हो जाता! लेकिन मैं और शनिवार को बाल कैसे धो सकती हूं? क्या करुं? क्या करुं?
छ्ठ्वे दिन, आज रविवार है। हे भगवान! मुझे एकुलता एक ही तो प्यारा सा छोटा भाई है! रविवार को सर नहा कर, मैं मेरे भाई की जान जोखिम में कैसे डाल सकती हूं? क्योंकि कहते है कि एक भाई की बहन रविवार को बाल नहीं धोती! चाहे मेरे बालों में कितनी भी खुजली ही क्यों न होने लगे, मैं रविवार को सर नहीं नहाऊंगी!
सातवे दिन, आज सोमवार है। आज सुबह से ही मैं बहुत खुश हूं! क्योंकि पिछ्ले छ: दिनों से शुरु हुई तपस्या आज खत्म होने वाली है। लेकिन हाय री किस्मत! मेरी खुशियों को तो न जाने किसकी नजर लग गई! नहाने जाने से पहले, मुझे मेरी सासुमां की हिदायत याद आ गई कि सर नहाने जाने से पहले एक बार कॅलेंडर जरुर देख लेना चाहिए। सो मैंने कॅलेंडर देख लिया। कॅलेंडर क्या देख लिया, मानो आफत मोल ले ली! उस कलमुंहे कॅलेडर को भी मेरी खुशी हजम नहीं हुई। एक तिथी घटने से आज अमावस्या थी। अमावस याने मेरी खुशियों की अमावस! अब तो मेरी हालत ऐसी हो गई है कि मैं उसे शब्दों में व्यक्त भी नहीं कर सकती। लेकिन अमावस को कैसे सर नहाऊं? हमारे पूरे खानदान में, सात पीढ़ियों से आज तक अमावस को ( दिपावली छोडकर ) किसी भी महिला ने अपने सर के बाल नहीं धोए है! तो फिर मैं अमावस को सर नहाने का रिस्क कैसे ले सकती हूं? मुझे लगता है कि कहीं मेरी सभी प्रार्थनाएं ईश्वर के स्पॅम फोल्डर में तो नहीं पहूंच रहीं है? लेकिन फिर भी मैं भगवान से और एक बार प्रार्थना करती हूं कि हे पालनहार, कल मंगलवार याने अच्छा दिन है, अत: कल कोई अनहोनी मत होने देना। प्लीज, प्लीज, प्लीज... हे ईश्वर, मेरी प्राथना सुन लीजिए, कल कोई अनहोनी मत होने दीजिएगा, मुझे कल सर नहाना है, मुझे कल सर नहाना है!!!
सुझाव-
प्यारी सहेलियों, मैं ने यह पोस्ट व्यंगात्मक रूप में लिखी थी कि सप्ताह के सातों दिन सर धोने में कुछ न कुछ दिक्कते आती हैं। अमावस्या आदि को और श्राद्ध आदि में बाल नहीं धोते तो मैं बाल कब धोऊ? लेकिन अभी तक मतलब कि 18-11-2019 तक इसे 66,000 बार पढ़ा गया हैं। इस बात से मुझे एहसास हुआ कि पढ़ी-लिखी महिलाएं भी कितनी बुरी तरह अंधविश्वास से जकड़ी हुई हैं! और अब तो मुझे उनके मन की शंका को निकालना ही पड़ेगा। इसलिए पोस्ट में सुझाव लिखा हैं।
सहेलियों, सर के बाल भी शरीर के अन्य अंगों की तरह शरीर का एक भाग हैं। हम जिस तरह हाथ-पैर जैसे अंग कभी भी धो लेते हैं ठीक उसी तरह सर के बाल भी कभी भी धो सकते हैं। बिना मतलब अंधविश्वास से मन में किसी तरह का वहम न पालें। मेरा यकिन कीजिए, अमावस्या को या ऐसे किसी भी दिन सर के बाल धोने से कुछ भी अशुभ नहीं होगा। मैं खुद भी जब चाहे तब बाल धो लेती हूं। मेरे साथ कुछ भी अमंगल नहीं हुआ हैं!!!
Keywords: washing hair, can girls wash their hair on amavasya, superstition, Blind faith
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 11/01/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
ब्लॉगर भाई कुलदीप जी, मेरे पोस्ट की लिंक शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंAapne bilkul sahi kaha kyunki mai bhi baal dhote time ye sab sochti hu pehle aisa nhi sochti thee par ab jo koi kuch bhi bol de ki is din bal na dhoye to na chahte hue bhi Maan leti hu
हटाएंबहुत सुंदर पोस्ट। स्वस्थ रहने के लिए नहाना बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सरकारी बैंक की भर्ती - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंthis post reminds me of old generation and its beliefs...thanks for sharing ..
जवाब देंहटाएंस्नेह जी, यह सब सिर्फ पुरानी पीढ़ी की मान्यता नहीं है। आज भी मेरे परिचितों में ही ज्यादातर इन बातों को मानते है। महिलाए इन समस्याओ से दो चार होती रहती है। लेकिन उन मान्यताओं को तोड़ने की हिम्मत नहीं करती।
हटाएंव्यंग्य तथ्यात्मक होने चाहिए, परंपराओं का मखौल उड़ाने से पहले उनके वैज्ञानिक कारणों को भी जानना होता है, कोई भी भारतीय परंपरा अंधविश्वास नही है उसके पीछे गहन विज्ञान छिपा है, महिलाओं के रोज बाल न् धोने के पीछे भी विज्ञान ही एक कारण है।
हटाएंमेरा ये लेख पढ़ कर इसका वैज्ञानिक परीक्षण करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचें।
➡
*महिलाओं को रोज बाल क्यों नही धोने चाहिए*
✍
ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
ये अंध विश्वास नही है pure science है।
बालों के स्कैल्प से प्राकर्तिक तेल का रिसाव होता है, जो बालों के पोषण के लिए अति आवश्यक है, ये स्किन के हिसाब से किसी के ज़्यादा और किसी के कम होता है, जिनकी स्किन नार्मल या ड्राई हो उन्हें हफ्ते में 1 या 2 बार से ज़्यादा बाल नही धोने चाहिए, जिनकी स्किन ऑयली हो वो हफ्ते में 3 या 4 दिन बाल धो सकती हैं।
अन्यथा रोज बाल धोने से प्राकर्तिक पौस्टिक oil धुल जाने के कारण बाल झड़ने लगेंगे और जल्दी सफ़ेद हो जायेंगे।
प्राचीन शास्त्रों में बाल धोने के दिन निर्धारित किये गए थे, सोमवार, बुधवार और गुरुवार को महिलाओं को बाल धोना वर्जित किया गया है, इसका भी बहुत जबरदस्त वैज्ञानिक कारण है,
सोमवार, बुधवार और गुरुवार को वायुमंडल में जल तत्व की अधिकता होती है, बाल धोने के बाद चुम्बकत्व बढ़ जाने से सर्दी, और कफ पकड़ लेते हैं, इस कारण इन तीन दिनों में बाल धोने की मनाही है।
*जिन्हें ये सब अन्धविश्वास लगता है वो ये न माने।*
।। जय श्री हरि ।।
✍ *भगवान् सिंह भदौरिया*
�� *कानपुर*
☎ 9335980992
भदौरिया जी, मैं ने अपने लेख में कहीं भी यह नहीं कहा हैं कि महिलाओं ने हर रोज बाल धोना चाहिए। मेरातो सिर्फ़ यही कहना हैं कि जब महिलाओं को बाल धोना हो तब वे बाल धो सके। उसके लिए उन्हें किसी बात का बंधन न हो। अपनी सुविधा नुसार जब चाहे वो बाल धो सके।
हटाएंRight
हटाएंbeautiful write-up Jyotiji -)
जवाब देंहटाएंGood to read. This happens. I wrote a similar post too, years ago. You can read it here:
जवाब देंहटाएंhttp://alazydesi.blogspot.in/2013/02/make-god-happy-stay-dirty-on-thursdays.html
yes, most people follow n are trapped. I wash my hair everyday, none can stop me. These are all superstition. If someone is dead, emotion should be there not these flimsy excuse to follow.
जवाब देंहटाएंइला जी, आपने कहा कि आप रोज सर धोती है। यह बताने की हिम्मत करने के लिए धन्यवाद। क्योंकि आज भी कई महिलाओको वहम रहता है को कही कुछ अनिष्ट न हो जाए!
हटाएंगांव में तो आज भी इस तरह की बातें बहुत होतीं है लेकिन शहर में भी बहुत से लोग यह सब मानते हैं विशेषकर वे लोग जिनका ऐसे लोगों के बीच उठना ज्यादा रहता है वे लोग देखते रहते हैं कि कौन क्या कर रह है ..लेकिन ऐसी गलत धारणों को नकारना ही बेहतर है सबके लिए ...
जवाब देंहटाएंकविता जी, सही कहा आपने। लेकिन ऐसी गलत धारणाओं को नकारने के लिए हम जैसी महिलाओं को ही पहल करनी होगी। अन्धविश्वास में जकड़ी महिलाओ को हमारे आचरण द्वारा बताना होगा की हम हमारी सुविधा नुसार ही सर धोते है। सभी दिन ईश्वर द्वारा बनाए गए है, अतः सभी दिन शुभ होते है।
हटाएंhahah itne saare superstition....maine aise kabhi socha hi nahi Jyotiji :)
जवाब देंहटाएंश्वेता जी, यह अभी अधूरे ही है। कई महिलाऐं नवरात्री में एकम को सर नहाने के बाद सीधे नवमी को माता की कढ़ाई होने के बाद ही सर नहाती है। कई महिलाए श्राद्ध में पंद्रह दिन सर नहीं नहाती।
जवाब देंहटाएंQuite intriguing post and Humorous at the same time.Thank you for sharing our old tradition and their irrelevance in our time.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपके हिन्दी ब्लॉग और चिट्ठे को चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर में शामिल किया गया है। सादर … धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएं"आपकी सहेली" को चिट्ठा फीड्स एग्रीगेटर में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
हटाएंरोचक.
जवाब देंहटाएंشركة تسليك مجاري بالدمام
जवाब देंहटाएंVigyan vigyan to ese chchillate he jese vigyan ki bahut padi ho......platic ka use band kar do vigyan ka bhala ho jayega
जवाब देंहटाएंKya amavsya pr hair wash krne chahiye?
जवाब देंहटाएंKya amavsya pr hair wash nhi krne chahiye?
जवाब देंहटाएंबाल शरीर का एक हिस्सा है। इन्हें आप कभी भी धो सकते है।
हटाएंKavi lagta hai sab bakwas hai kavi lagta hai sab sahi hai Shastra galat kaise ho sakta hai...?
जवाब देंहटाएंशास्त्र गलत नहीं हैं। लेकिन शास्त्रों में लिखी हर बात सही भी नहीं हैं। जैसे कि शास्त्रों में लिखा हैं कि धरती चपटी हैं लेकिन विज्ञान ने साबित किया कि धरती गोल हैं। वास्तव में शास्त्रों में जो बातें लिखी हैं वो उस समय के हिसाब से सही थी। समय ले साथ सच्चाई पता लगने से वे बाते झूठी हो जाती हैं।
हटाएंShastra galat kaise ho sakta hai...?
जवाब देंहटाएंसही लिखा है मैम आपने। कई बार हम इतने अंधविश्वासी हो जाते हैं कि चीजों को बिना कारण के करने लगते हैं। सिर के बाल धोना भी उन्हीं चीजों में से एक है जिसके साथ लोगों ने अन्धविश्वास जोड़ लिया है। उम्मीद है लोग इनसे उभरेंगे।
जवाब देंहटाएंAgar shastra me ullekh h to sirf mahilao k baal dhone ya nahi dhone ka hi kyu gents k baal dhone k vishay me shastrao me koi varnan kyu nahi kya sirf maahilao k hi baal dhone se ammavas me bura hota h purus k baal dhone se amaavas me kuch nahi hota , ristedaar sirf mahilao k hi hote h 🤔
जवाब देंहटाएंयही तो दिक्कत है हमारे पुरुष प्रधान समाज मे। जो भी नियम कानून कायदे है वो सिर्फ महिलाओं के लिए ही होते है।
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