"यदि अपनी फैक्ट्री बंद हो गई तो क्या मुझे भी पढ़ाई छोडनी पड़ेगी?" पोते के इस मासूम सवाल ने शिल्पा को अंदर तक झकझोर दिया। एक बार जरूर पढ़िए दिल को छूती कह
"नहीं बेटा, बाहर कोरोना है!"
"अब तो सब अनलॉक हो रहा है। देखों न रास्ते पर भी कितनी भीड़ है। प्लीज़ मुझे ले चलो न। कितने महीने हो गए मुझे आपके साथ बाजार गए। मैं मास्क लगाकर चलूंगा और घर आते ही साबुन से हाथ अच्छे से धोऊंगा। प्लीज..."
अनिल ने ये इतनी मासूमियत से कहा कि शिल्पा मना नहीं कर पाई और उसे गाड़ी में बैठा लिया। सब्जी मंडी के पास फोर व्हीलर पार्क करने की जगह न होने से उसे गाड़ी थोड़ी दूर ही पार्क करनी पड़ी। गाड़ी से उतर कर सब्जी मंडी तक जाते वक्त अनिल बड़े गौर से चारों तरफ देख रहा था। वास्तव में उसे सब्जी मंडी आए महीनों हो गए थे इसलिए इन महीनों में आएं बदलावों को वो महसूस कर रहा था।
शिल्पा का संयुक्त परिवार था। पूरे पंद्रह सदस्य थे। अतः उन्हें सब्जी ज्यादा लगती थी। हर तीसरे दिन शिल्पा सब्जी खरीदने आती और खूब सारी सब्जियां एक साथ खरीदकर ले जाती। वो कभी किसी बच्चे को तो कभी किसी बच्चे को साथ लेकर ही सब्जी खरीदने आती ताकि बच्चों को सब्जी कैसी और कौन सी खरीदनी चाहिए पता चले और सब्जी मंडी में लोगो का व्यवहार देख कर वे कुछ सीख सके। लेकिन कोरोना के कारण कई महीनों से वो अकेली ही आ रही थी।
जब शिल्पा बैंगन खरीदने लगी तो अनिल ने पूछा, "दादी माँ, बैंगन कैसे खरीदना चाहिए यह आपने बताया तो था लेकिन मैं भूल गया हूं। बताइए न।"
"बैगन हमेशा कम वजन वाला लेना चाहिए क्योंकि इनमें बीज कम होते है। बैंगन का डंठल हमेशा हरा हो। बैंगन जितना ताजा होगा उतना ही उसका डंठल हरा होगा। छेद वाला बैंगन नहीं लेना चाहिए क्योंकि उसमें किडा हो सकता हैं। बैंगनी रंग के बैंगन सेहत के दृष्टिकोन से सबसे बेहतर होते हैं क्योंकि बैंगनी रंंग सूर्य प्रकाश को ज्यादा अवशोषित करता हैं।"
जब शिल्पा आलू खरीदने लगी तो वो खुद ही अनिल को बताने लगी कि
"आलू हमेशा सख्त ही खरीदना चाहिए। हरे आलू नही खरीदने चाहिए। ये सेहत के लिए नुकसानदायक होते है। अंकुरित आलू कभी नही खरीदना चाहिए क्योंकि अंकुरित आलू में ग्लायकोअल्कोलाइट्स होते हैं। इससे डायरिया और सर दर्द हो सकता हैं।"
शिल्पा ये सब बता ही रही थी कि अनिल का ध्यान सब्जीवाले के बेटे पिंटू की ओर गया, जो उसकी हम उम्र का था। अनिल ने उस से पूछा "तुम कौन सी स्कूल में पढ़ते हो?"
सवाल सूनकर पिंटू उदास होते हुए बोला, "मैं पिछले साल तक स्कूल जाया करता था। लेकिन कोरोना के कारण पापा की नौकरी चली गई। अब पापा के पास इतने पैसे नहीं रहे कि वो स्कूल की फीस भर सके। किसी तरह स्कूल फीस का इंतजाम कर भी लेते तो ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन नहीं ले पाते। स्मार्ट फोन के बिना मैं पढ़ाई कैसे करता? इसलिए स्कूल फीस के पैसे भी बचा लिए। इसलिए अब मैं स्कूल नहीं जाता। पापा के साथ सब्जी मंडी में आ जाता हूं। यहाँ पर मैं पापा की मदद कर देता हूँ"
इतने में सब्जीवाले की आवाज आई, "पिंटू, अंकल का थैला उनकी गाड़ी में रख दे।"
पिंटू बातचीत अधूरी छोड़ दौड़कर सब्जी का थैला अंकल की गाड़ी में रख कर आया। उन्होंने पिंटू को दस रुपए दिए। दस रुपए देख कर पिंटू के चेहरे पर ऐसी मुस्कान आई जैसे उसे बहुत सारे रुपए मिल गए हो। सचमुच खुद के कमाई की ख़ुशी क्या होती है ये उस बच्चे के चेहरे को देख कर अनिल को समझ मे आ रहा था। पिंटू वो दस रुपए अपने पापा को देने लगा तो उन्होंने कहा,"संभाल कर अपने पास रख ले।"
घर जाते वक्त रास्ते में शिल्पा ने अनिल से पूछा, "आज कई महीनों बाद सब्जी मंडी आकर तुम्हें कैसा लगा?"
"दादी माँ, पिंटू की तरह मैं भी अपने दादाजी एवं पापा के साथ अपनी फैक्ट्री में जाऊंगा और उनके साथ काम करूंगा। फिर मुझे भी पैसे मिलेंगे।"
"तुम्हें काम करकर अभी से पैसे कमाने की क्या जरूरत है?"
"आपने देखा नहीं कि उन अंकल ने और आपने जब पिंटू को दस-दस रुपए दिए तो वो कितना खुश हो रहा था कि उसने मेहनत कर पैसे कमाएं है।"
"वो सब्जी वाले का बेटा है। काम करना उसकी मजबूरी है। तुम्हें तो अभी बहुत पढ़ना है।"
"इसका मतलब पिंटू को नहीं पढ़ना चाहिए क्या? क्या पिंटू अब आगे नहीं पढ़ पाएगा?"
"पिंटू को भी पढ़ना तो चाहिए लेकिन उसके फीस और स्मार्टफोन का इंतजाम..."
"यदि अपनी फैक्ट्री बंद हो गई तो क्या मुझे भी पढ़ाई छोडनी पड़ेगी?"
पोते के इस मासूम सवाल ने शिल्पा को अंदर तक झकझोर दिया।
"दादी माँ, क्या आप ऐसा कुछ नहीं कर सकती कि जिससे पिंटू आगे पढ़ सके।"
"मैं कुछ सोचती हूं।"
घर आने पर शिल्पा मन ही मन सोच रही थी कि पिंटू की सहायता कैसे करें। वो अपनी खास सहेली दिपाली के पास जाती है, जो एक रिटायर्ड शिक्षिका है।
"दिपाली, तू कह रहीं थी न कि रिटायर्डमेंट के बाद अब तू घर में बोर हो रहीं है...क्या तू कुछ काम करना चाहेगी?"
"कैसा काम?"
"काम तो बहुत अच्छा है, लेकिन इस काम के तुझे पैसे नहीं मिलेंगे।"
"काम करने के पैसे नहीं मिलेंगे मतलब?"
शिल्पा ने दिपाली को सब्जी मंडी की पूरी घटना बताई। और कहा कि पिंटू के स्कूल की फीस मैं भर दूँगी।
"क्या तू पिंटू को फ्री में पढ़ाएगी?"
"मैं सिर्फ़ पिंटू को ही नहीं तो उसके जैसे और बच्चों को भी पढ़ा दूँगी, जो ऑनलाइन क्लासेस के लिए स्मार्टफ़ोन नहीं खरीद पा रहे है।"
"वा...व्व...दिपाली! तू ने मेरी, अनिल की और पिंटू जैसे बच्चो की कितनी बड़ी समस्या हल कर दी। बहुत बहुत धन्यवाद!"
"इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं है। असल में इससे मेरा भी फायदा ही होगा। बच्चों को फ्री में पढ़ाऊंगी तो इससे उनके चेहरे की खुशी देखकर ,उनके उज्ज्वल भविष्य का सोच कर और मैं कुछ अच्छा काम कर रही हूं इस सोच के कारण मुझे बहुत मानसिक शांति मिलेगी।"
घर आकर शिल्पा ने अनिल को बताया कि अब सिर्फ़ पिंटू ही नहीं तो उसके दोस्त भी दिपाली आंटी के पास फ्री में पढ़ेंगे तो वो बहुत खुश हो गया।
शिल्पा सोचने लगी कि मैं बच्चों को सब्जी मंडी में इसलिए ले जाती थी ताकि मैं उन्हें सब्जी खरीदने के पाठ पढ़ा सकूँ! लेकिन आज मेरे नन्हें पोते ने मुझे इंसानियत का पाठ पढ़ा दिया!!
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 07 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिव्या दी।
हटाएंप्रेरक कथा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय प्रेरणादायक कहानी को
जवाब देंहटाएंप्रेरक कहानी। इंसानियत का बने और बचे रहना जरूरी है।
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबच्चों को जल्दी समझ आती है कि बच्चे क्या चाहते हैं
, क्योंकि वे बड़ो जैसा नहीं सोचते मासूम होते हैं न ,
काश कि बड़े भी मासूम दिल रखते हमेशा
बहुत ही भावुक कर देने वाली कहानी। शानदार।
जवाब देंहटाएंवाह!ज्योति ,बहुत हृदयस्पर्शी कहानी ।काश ,सभी का दिल ऐसा ही होता ।
जवाब देंहटाएंवाह ज्योति जी ! बहुत ही सुन्दर कथा ! सबको अनुकरण करना चाहिए दीपाली जी का ! आज समाज में ऐसे बच्चों की कमी नहीं जो ना स्कूल जा पा रहे हैं ना ही ऑनलाइन पढाई कर पा रहे हैं ! प्रेरक कथा !
जवाब देंहटाएंविचारणीय कहानी।
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रेरक एवं विचारणीय कहानी
जवाब देंहटाएंकाश सभी इसी तरह गरीबों की मदद करते......।
प्रेरक कहानी। ज़रूरतमंदों की मदद की सीख देती कहानी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ... दिल को छू लेने वाली कहानी ज्योती जी, वाह 🌹🙏🌹
जवाब देंहटाएंअत्यंत मर्मस्पर्शी संकेतन । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण एवं प्रेरणादायक कहानी प्रिय ज्योति जी..ऐसे किसी एक बच्चे को सहारा मिल जाय तो कई गरीब बच्चों का भविष्य संवर सकता है..शुभकामना सहित जिज्ञासा..
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी कहानी👍!
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