करवा चौथ का व्रत करना और न करना ये सब अपनी-अपनी श्रद्धा का विषय हैं। करवा चौथ का व्रत अपना प्यार प्रदर्शित करने का एक साधन हो सकता हैं लेकिन प्यार करने का सर्टिफिकेट नहीं हैं!
रोज की तरह दोपहर के लंच टाइम में सभी सहकर्मी लंच करते-करते बातें भी कर रहे थे। रितेश बोला, 'आज तो घर जल्दी जाना हैं।'
अनिल ने पूछा, 'क्यों, आज कुछ खास हैं क्या?'
'लो, इन महाशय को आज का इतना खास दिन भी नहीं मालूम! अनिल, वैसे तो तुझे हर बात की पूरी जानकारी रहती हैं...फ़िर तुझे आज के खास दिन का कैसे पता नहीं?'
'अरे भई, नहीं याद आ रहा हैं। अब बता भी दो...'
'शायद भाभी करवा चौथ का व्रत नहीं करती होगी...इसलिए ही तो अनिल ये खास दिन भूल गया।' प्रमोद ने कहा।
'हां, शिल्पा करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं। शायद इसी वजह से मेरे दिमाग से यह बात निकल गई कि आज करवा चौथ हैं।' अनिल ने कहा।
'ओ माय गॉड, मैं ने तो ऐसे ही व्यंग्यात्मक रुप में कहा था! क्या सचमुच शिल्पा भाभी करवा चौथ का व्रत नहीं करती?' प्रमोद ने कहा।
'ओ माय गॉड, मैं ने तो ऐसे ही व्यंग्यात्मक रुप में कहा था! क्या सचमुच शिल्पा भाभी करवा चौथ का व्रत नहीं करती?' प्रमोद ने कहा।
'उसमें इतना आश्चर्यचकित होने की क्या बात हैं? नहीं करती शिल्पा करवा चौथ का व्रत।' अनिल ने कहा।
'हमारी पत्नियाँ तो हमारी लंबी उम्र के लिए पूरे दिन भर व्रत रखती हैं। चाँद निकलने तक कुछ नहीं खाती। मेरी पत्नी तो पानी भी नहीं पीती! रात को चाँद देख कर मेरे हाथ से जल पीकर ही व्रत समाप्त करती हैं!! मैं भी अपना प्यार जताने के लिए करवा चौथ का व्रत करता हूं!' पंकज ने कहा।
अनिल ने कहा, 'अपने-अपने विश्वास की बात हैं। हम दोनों नहीं मानते ये सब।'
'इतने सालों से यह परंपरा चली आ रहीं हैं, तो इसमें कुछ तो बात होगी।' रितेश ने कहा।
'कैसी हैं शिल्पा भाभी? उन्हें तेरे सेहत की और तेरे लंबी उम्र की कोई फ़िक्र नहीं?' प्रमोद ने कहा।'
'प्रमोद, अब मेरी ज़ुबान मत खुलवा...यदि भाभी को तेरे सेहत की जरा भी चिंता होती, तो कई बार तू ऑफ़िस के कैंटीन का खाना नहीं खाता। शिल्पा को मेरे सेहत की चिंता हैं इसलिए मुझे यदि सुबह 6 बजे भी कहीं टूर पर जाना होता हैं तो वो गरम खाना बना कर टिफिन देती हैं। आज तक उसने मुझे बिना टिफिन के घर से बाहर नहीं जाने दिया। घर का शुद्ध और ताजा खाना खाने से मेरी तबियत अच्छी रहेगी, न कि शिल्पा के करवा चौथ का व्रत करने से। हम दोनों प्रैक्टिकल लाइफ जीते हैं।'
''माना कि भाभी के व्रत करने से तेरी सेहत अच्छी नहीं होगी। लेकिन व्रत करने से तेरी उम्र तो बढ़ेगी न! हमारे बुजुर्ग जो इतने सालों से करवा चौथ का महत्व बताते आ रहे हैं, वो सब क्या बकवास हैं? सिर्फ़ तुम दोनों ही सहीं हो?'' रितेश ने कहा।
''यदि पत्नी के व्रत करने से पति की उम्र बढाई जा सकती, तो इस दृष्टिकोण से भारत के पुरुष दुनिया में सबसे ज्यादा साल जिंदा रहते, रहते की नहीं? लेकिन आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूं कि स्विट्ज़रलैंड के पुरुष सबसे ज्यादा उम्र तक जीते हैं और खास बात यह हैं कि वहां की महिलाएं करवा चौथ का व्रत भी नहीं करती!!
तुम सबकी पत्नियाँ तो करवा चौथ का व्रत करती हैं न...फ़िर भी तुम में से कोई भी अपने वैवाहिक जीवन से खुश क्यों नहीं हैं? पंकज, तू तो खुद भी करवा चौथ का व्रत करता हैं...मतलब तू अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हैं...हैं न? फ़िर सोशल मीडिया पर पत्नियों पर आने वाले गंदे-गंदे जोक्स तू भी बाकी लोगों की तरह चटखारे लेकर फारवर्ड कैसे करता हैं? यदि तुम लोग अपनी पत्नियों से सच्चा प्यार करते हो तो पत्नियों के उपर बननेवाले गंदे जोक्स फारवर्ड कैसे करते हो? यह कैसा प्यार हैं तुम लोगों का? मैं ने आज तक ऐसे जोक्स फारवर्ड नहीं किए हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जहां शिल्पा का प्रेम, फ़िक्र और देखभाल मेरे लिए सुरक्षा कवच बने हैं। तुम लोगों को तो पता ही हैं कि मेरी मम्मी का स्वभाव कुछ ज्यादा ही तेज हैं। वो शिल्पा के हर काम में कुछ न कुछ कमी निकालकर उसे ताने मारती रहती हैं। पहले-पहले मुझे लगता था कि मैं तो दिन भर ऑफ़िस में रहता हूं...कई बार टूर पर जाता हूं...मम्मी तो शिल्पा को इतने ताने मारती हैं...तो मेरे पीछे से शिल्पा मम्मी का बराबर ख्याल नहीं रखती होगी! लेकिन तुम सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि शिल्पा मम्मी के दवाई-पानी का, पहनने-ओढने का हर चीज का पूरा-पूरा ख्याल रखती हैं। यहां तक कि मम्मी को उनकी पसंद का खाना, उनके वक्त पर बना कर देती हैं। चाहे शिल्पा कि तबियत अच्छी हो न हो वो मम्मी के खाने के वक्त पर बराबर खाना बना कर देती हैं। मम्मी की पसंद हम सबसे अलग हैं। इसलिए वो हर रोज मम्मी के अकेली के लिए अलग से सब्जी बनाती हैं। मैं उसके लिए कुछ खरीदने की बोलता हूं, तो वो पहले मम्मी के लिए वो चीज खरीदने के लिए बोलती हैं।
मुझे चार बहने हैं। मेरी बहने जब भी मायके आती हैं, तो मुझे और मम्मी दोनों को ही यह देखने की जरुरत नहीं होती कि किचन में उन लोगों के लिए कौन से नए व्यंंजन बनना हैं। शिल्पा खुद ही उनकी पसंद के हिसाब से रोज सुबह गरम नाश्ता बनाने से लेकर उन्हें शॉपिंग करवाने तक के सभी काम खुशी-खुशी करती हैं। बेटियों को क्या देना हैं यह मम्मी को भी नहीं सोचना पड़ता! शिल्पा खुद ही अपने हाथों से बने नमकीन एवं मिठाई आदि डिब्बे भर-भर कर देती हैं। मैं और मम्मी यदि 4000 रुपये देने की सोचते हैं, तो वो 5000 रुपये देने को बोलती हैं। रितेश, एक बार तू ही बता रहा था न कि अपनी एकलौती एक बहन को 1000 रुपये भी देने होते हैं तो वो भी तू अपनी पत्नी की चोरी से देता हैं! देखो यार, तुम लोगों की दुखती रग पर हाथ रखने का मेरा कोई इरादा नहीं हैं। लेकिन शिल्पा के करवा चौथ का व्रत न करने से तुम लोगों ने उस पर जो लांछन लगाया कि उसे मेरी फ़िक्र नहीं हैं और वो मुझ से प्यार नहीं करती, वो मुझे सहन नहीं हुआ। इसलिए मुझे ये सब कहना पड़ा। यदि मेरी बातों से तुम लोगों को ठेस पहुंची हो तो माफ़ी चाहता हूं।
वैसे भी आजकल करवा चौथ के व्रत का बाजारीकरण हो गया हैं। व्रत वाले दिन भी दूसरों के कपड़े, मेकअप और गहनों की बाते होती हैं। अरे व्रत करना हैं तो अपने रिश्ते में गर्माहट भरों, प्यार को प्रगाढ बनाओं... ना कि मार्केट के करवा चौथ के पैकेज में उलझकर खुद को मुर्ख साबित करो...!!!
मुझे लगता हैं कि पति के लिए पत्नी का असली प्रेम करवा चौथ का व्रत करना नहीं हैं। बल्कि पति की, उसके पूरे परिवार की जी-जान से देखभाल करना, उनकी फ़िक्र करना और उनसे प्यार करना हैं। जो महिलायें करवा चौथ का व्रत करती हैं उनको हम दोनों कुछ नहीं कहते क्योंकि व्रत करना और न करना ये सब अपनी-अपनी श्रद्धा का विषय हैं। फ़िर बाकी लोग क्यों शिल्पा के व्रत न करने पर उसे कटघरे में खड़ा करते हैं। करवा चौथ का व्रत अपना प्यार प्रदर्शित करने का एक साधन हो सकता हैं लेकिन प्यार करने का सर्टिफ़िकेट नहीं हैं! करवा चौथ विवाह के प्रति भावनाओं को प्रदर्शित करने का एक माध्यम हैं, जो अक्सर फेसबुक और वाट्सएप के 'लाइक' और 'स्माइली' में कहीं खो जाता हैं। ये एक दूसरे के स्वस्थ जीवन के लिए किया जाने वाला त्याग है जो आपको आपके प्रेम की याद दिलाता हैंं। लेकिन यदि कोई पत्नी करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं तो इसका ये मतलब कदापि नहीं हैं कि वो अपने पति से प्यार नहीं करती! असली करवा चौथ तो मेरी शिल्पा करती हैं...मुझे और मेरे पूरे परिवार को अपने प्यार और समर्पण से सींच कर!!!''
रिश्तों की मिठास का ढोंग रचाने के लिए साल में 100 से ऊपर दिन निर्धारित हैं. करवाचौथ भी उन्हीं में से एक है. आम तौर पर पत्नियों को उस दिन पति की मंगल-कामना से अधिक फ़िक्र इस बात की होती है कि उन्हें उपहार क्या मिलेगा. करवा चौथ को पारिवारिक उत्सव के स्थान पर सार्वजनिक धूम-धड़ाका बनाने का श्रेय पंजाबियों को, फिल्मों को और एकता कपूर के सीरियल्स को जाता है.
जवाब देंहटाएंसही कहा गोपेश भाई कि करवा चौथ को महिमा मंडित करने का श्रेय पंजाबियों को, फिल्मों को और एकता कपूर के सीरियल्स को जाता है।
हटाएंइतनी त्वरित टिप्पणी के लिए धन्यवाद, भाई।
Rest all is good but commenting on Punjabis and blaming them is not at all good still in some area it is done beautifuly and nothing wrong in praying for husbands long life in their own way.Either it is in the form of well dressup or else!
हटाएंपलक दी,कहानी में कहीं भी पंजाबियों पर ब्लेम नहीं किया गया हैं। और ये भी नहीं कहा गया हैं कि पति के लिए प्रार्थना करना गलत हैं। कहानी के माध्यम से यहीं कहने की कोशिश की गई हैं कि जो महिलाएं ये व्रत नहीं करती और पति के प्रति और परिवार के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, वो भी गलत नहीं हैं।
हटाएंआपकी कहानी और उसमें अभिव्यक्त विचार दोनों ही सराहनीय हैं माननीया ज्योति जी । जो प्रेम बिना किसी प्रदर्शन के सच्चे मन से किया जाए, सार्थकता उसी की है ।
जवाब देंहटाएंजितेंद्र भाई,आपकी बात सही हैं। लेकिन जिन साधे लोगों को प्रेम का प्रदर्शन करना नहीं आता हैं अक्सर वे लोग अक्सर इस दिखावटी दुनिया में तन्हा रह जाते हैं।
हटाएंज्योति जी ! आज की आपकी इस रचना के लिए जो भी प्रतिक्रिया लिख रहा हूँ , वो मेरे मन से आ यही है। कोई भी औपचारिकता नहीं।
जवाब देंहटाएंइस रचना या घटना जो भी है , इस में एक प्रेरक सन्देश है। हम संस्कृति और (अन्ध)परम्परा को बचाने के लिए स्वयं और भावी पीढ़ी को भी एक अर्थहीन मान्यता में जकड़े रहते है।
उल्टा हम ऐसे सोच वालों को प्रश्नवाचक चिन्ह के दायरे में रखा जाता है।
अतिप्रगतिशील मानसिकता और वास्तविकता के मूल को स्पर्श करती आपकी इस रचना और सोच दोनों को मन से नमन ...
काश ! हम हाजमोला की गोली खाकर भी इसे पचा पाते और समाज को (अन्ध)संस्कृति के अपच से बचा पाते ...
सुबोध भाई, हम समाज को (अन्ध)संस्कृति के अपच से बचा तो नहीं सकते। लेकिन थोड़ी सी कोशिश जरूर कर सकते हैं। मैं इसी कोशिश में लगी हूं।
हटाएंइतनी सारगर्भित टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद।
Bahut sunder story aur vichar
जवाब देंहटाएंकरवा चौथ का व्रत अपना प्यार प्रदर्शित करने का एक साधन हो सकता हैं लेकिन प्यार करने का सर्टिफ़िकेट नहीं हैं
जवाब देंहटाएंवाह!!!
अंध परम्परा पर करारी चोट.....लाजवाब रचना...।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना को "पांच लिंको का आनंद" में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, श्वेता दी।
हटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक लिखा है ज्योति बहन
जवाब देंहटाएंयहाँ कुछ अपना पहलू भी रखना चाहती हूँ,वह भी क्षमा याचना के साथ
क्या औरतों को वास्तव में गहने और गिफ़्ट की लालसा होती है?
आप को लगता है कि औरतें उपवास के नाम पर ढोंग करती हैं. क्या नारीयित्व की यह परिभाषा सार्थक है?
आप सभी की समीक्षा पढ़ी.अजीब-सी चुभन हृदय में उभरी.... कृपया इस तरह प्रेम पर प्रहार न करें.
एक औरत उपवास करती है उसमें आपत्ति कैसी?
वो अपनों के प्रति अपनापन सजोती है उसमें फ़रेब कैसा?
संस्कारों पर दोहरा प्रहार ठीक नहीं... जिसको बदलना है वो अपने आप को बदले... कुंठा का शिकार व्यक्ति समाज नहीं स्वयं को बदले.तब सार्थक परिणाम समाज को मिलेगे. समाज में और भी बहुत- सी कुरीतियाँ हैं उन पर भी प्रहार करें स्वस्थ आस्था को शिकार न बनाएँ.
सादर
अनिता दी,कहानी में कहीं भी यह नहीं कहा गया हैं कि उपवास करने वाली महिलाओं को गहनों और उपहार की लालसा होती हैं। या वे ढोंग करती हैं। कहानी में यहीं कहा गया हैं कि उपवास करना या न करना अपनी अपनी आस्था का विषय हैं। लेकिन जो महिलाएं उपवास नहीं करती उन्हें कटघरे में खड़ा न किया जाए।
हटाएं"असली करवा चौथ तो मेरी शिल्पा करती हैं...मुझे और मेरे पूरे परिवार को अपने प्यार और समर्पण से सींच कर "अनिल के इस कथन ने करवाचौथ को सही मायने में परिभाषित किया हैं। ये प्यार और समर्पण का त्यौहार हैं जब यही नहीं तो बाकी सब कुछ तो दिखावा ही हैं। बहुत ही सुंदर सराहनीये लेख ज्योति बहन
जवाब देंहटाएंसही बात है।
जवाब देंहटाएंअसली व्रत सच्चे मन से प्यार व समर्पण वाला ही होता है।
दिखावा या बाजारीकरण हर त्यौहार की अहमियत को बर्बाद कर रहा है।
बहुत ही सुंदर कहानी। लीक से हटकर
Very nice perspective and beautiful presentation.
जवाब देंहटाएंप्यार जताने के लिए करवाचौथ का व्रत करना जरूरी नहीं है। बहुत लोग नहीं करते हैं।यह तो हमारे श्रद्धा-भाव है, अपने रीति-रिवाजों को जिंदा रखने के लिए।बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना सखी,सही कहा है आपने
जवाब देंहटाएंइस कहानी के माध्यम से पति की उम्र
करवाचौथ के व्रत से नहीं बल्कि घर के
खुशनुमा माहौल से बढ़ती है और व्रत उपवास आस्था की बात है और आस्था का ढिंढोरा पीटना अच्छी बात नहीं। आजकल यह चलन बन गया हैकि सोशल
मीडिया पर अपनी फीलिंग शेयर करना।
जो मेरी दृष्टि में उचित नहीं है। पति-पत्नी
का प्यार सोशल मीडिया का मोहताज क्यों
बने ,सादर
बहुत अच्छी जानकारी
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