सिर्फ़ सहीं तरीके से पानी पीने से हमें कई बिमारियों से निजात मिल सकती हैं! यहां तक कि कब्जियत दूर होती हैं, कोलेस्ट्रोल कम होने से हार्ट अटैक का खतरा कम होता हैं, वजन कम होता हैं...आदि। तो आइए, जानते हैं पानी कब, कौन सा, कैसे और कितना पीना चाहिए??
• पानी कब पीना चाहिए-
पानी कब पीना चाहिए ये देखने से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं कि पानी कब नहीं पीना चाहिए।
• दिन की शुरवात पानी से करें-
सुबह खाली पेट पानी पीने से रात में सोते वक्त बनने वाले जहरीले पदार्थों की काफ़ी हद तक सफ़ाई हो जाती हैं। इसलिए सुबह उठते ही बिना मंजन किए उम्र के हिसाब से यदि बच्चे हैं तो एक ग्लास और बड़े हैं तो दो से तीन ग्लास पानी पीना चाहिए। बिना मंजन किए पानी पीने से रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ हमारे पेट में जाती हैं। आयुर्वेद में सुबह की लार को सोने से भी महत्वपूर्ण बताया गया हैं। लार में टायलिन नामक एंजाइम पाया जाता हैं जो हमारी पाचनक्रिया को दुरुस्त रखता हैं। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, प्रोटीन और ग्लूकोज जैसे तत्व होते हैं। इसमें मौजूद एंटीबॉडीज दांतों को हानिकारक संक्रमणों से बचाते हैं जिससे दाँत सडते नहीं हैं।
• सुबह पेशाब करने के तुरंत बाद पानी न पीएं-
पेशाब करने के तुरंत बाद पानी न पीएं क्योंकि इससे हमारे शरीर के अंदरुनी अंग कमजोर होते हैं।
• भोजन के दौरान या तुरंत बाद पानी पीना जहर के समान हैं!
आयुर्वेद के अनुसार भोजन पचाने का कार्य जठराग्नी करती हैं। जैसे ही हम कुछ खाते हैं यह अग्नि प्रज्वलित होती हैं। यह अग्नि भोजन से पोषक तत्वों और त्याज्य पदार्थों को अलग कर देती हैं। भोजन के दौरान या तुरंत बाद पानी पीने से यह अग्नि कमजोर पड़ जाती हैं और भोजन पच नहीं पाता। जिससे भोजन पेट में सड़ने लगता हैं जो कई बिमारियों का कारण बनता हैं। खाना खाते समय या खाने के बाद छाछ पी सकते हैं। क्योंकि छाछ में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाए जाते हैं। जो कि शरीर के पोषण की जरुरत को पूरा करते है। आप कहेंगे कि छाछ में भी तो पानी होता हैं वो जठराग्नि को शांत नहीं करता क्या? नहीं, क्योंकि हम कहते हैं न, पानी रे पानी तेरा रंग कैसा…जिसमें मिलाओं उसके जैसा। छाछ में जो पानी होता हैं उसके गुणधर्म छाछ में मिलते ही छाछ के हो जाते हैं। छाछ पीने से भोजन जल्दी पचता हैं। लेकिन छाछ दोपहर के भोजन के बाद ही पीनी चाहिए। क्योंकि छाछ को पचाने के लिए जिन एंजाइम की जरुरत होती हैं वो एंजाइम हमारा शरीर दोपहर को ही बनाता हैं।
• खाना खाने के बाद सिर्फ़ एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं।
• राजीव दीक्षित जी के अनुसार यदि हम भोजन में दो तरह के अनाज खा रहे हैं मतलब यदि गेहूं की रोटी और चावल खा रहे हैं तो रोटी खाने के बाद और चावल खाने से पहले एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं।
• राजीव दीक्षित जी के अनुसार यदि हम भोजन में दो तरह के अनाज खा रहे हैं मतलब यदि गेहूं की रोटी और चावल खा रहे हैं तो रोटी खाने के बाद और चावल खाने से पहले एक या दो घूंट पानी पी सकते हैं।
• खाना खाने के कम से कम 40 मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए। क्योंकि खाना खाने के बाद 40 मिनट तक जठराग्नि की तीव्रता ज्यादा रहती हैं।
• सोते वक्त या रात को नींद से जागने पर ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि रात को हमारा शरीर उतना अॅक्टिव नहीं रहता। जिससे पानी हमारे शरीर में इस्तेमाल हुए बिना हीं किडनी में फिल्टर होने के लिए पहुंच जाता हैं। वहां पर ये पानी किडनी को नुकसान पहुँचाता हैं। दूसरे नींद में बार-बार टॉयलेट जाने की जरुरत पड़ सकती हैं।
• धूप में से आने पर और व्यायाम करने के तुरंत बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि उस वक्त हमारे शरीर का तापमान ज्यादा रहता हैं। यदि व्यायाम के दौरान पानी पीना ही हैं तो सिर्फ़ दो से तीन घूंट ही पीना चाहिए।
• पानी कौन सा पीना चाहिए?
• गुनगुना पानी पीएं-
पानी को गर्म करने से उसके अंदर की अशुद्धियां खत्म हो जाती हैं। शरीर का मेटॅबॉलिझम बढने से शरीर की चर्बी कम होती हैं। कब्जियत खत्म होने से पाचनतंत्र मजबूत होता हैं। कम से कम सुबह और रात को सोने से पहले तो भी गुनगुना पानी ही पीना चाहिए।
• RO का पानी नहीं पीना चाहिए-
RO का पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि पानी को शुद्ध करने के दौरान पानी में मौजूद पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नेशियम और एंटिऑक्सिडंट पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। ये पोषक तत्व शरीर को न मिल पाने के कारण हमें कई बीमारियाँ होने लगती हैं।
• फ़्रिज का ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए-
पेट को ठंडे पानी को गरम करने के लिए अतिरिक्त उर्जा की जरुरत होती हैं जो खून से आती हैं। इस तरह सारे शरीर का खून पेट को गर्म करने के लिए पेट की ओर बहेगा इससे शरीर के दूसरे अंगों में खून की कमी हो जाएगी। जिससे शरीर के मुख्य अंग जैसे की ब्रेन और हृदय सही तरीके से काम नहीं कर पायेंगे। ठंडा पानी पीने से बडी आंत सिकुड जाती हैं जिससे बडी आंत में अम्ल जम जाता हैं जिससे पाइल्स और इससे संबंधित रोग होते हैं। ठंडे पानी को पचाने में ज्यादा समय लगता हैं जिससे हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता हैं।
• गर्मी में मिट्टी के घड़े का पानी पी सकते हैं।
• पानी कैसे पीना चाहिए?
• कभी भी गर्दन उपर करके गटागट पानी न पीएं-
कभी भी गर्दन उपर करके गटागट पानी न पीएं क्योंकि ऐसा करने से पानी के साथ-साथ बहुत सारी हवा भी हमारे पेट में चली जाती हैं जिससे शरीर के अंदरुनी अंगों में दबाव महसूस होता हैं।
• खड़े-खड़े पानी न पीएं-
खड़े-खड़े पानी पीने से पानी तेज गति से नीचे की ओर जाता हैं जो हमारे जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थों का संतुलन बिगाडकर जोड़ों में संचित होना शुरु हो जाता हैं। जिससे घुटनों का दर्द बढ़ जाता हैं। कहा जाता हैं कि खड़े-खड़े पानी पीने वालों के घुटनों का इलाज दुनिया का कोई भी डॉक्टर नहीं कर सकता।
• पानी को हमेशा बैठकर घूँट-घूँट करके ही पीना चाहिए-
पानी को हमेशा बैठकर धीरे-धीरे करके पीना चाहिए मतलब कि घूँट-घूँट भरके पीना चाहिए। हमारे हर घूँट में मुँह की लार पानी के साथ घुलकर हमारे पेट में जायेगी और पेट में बनने वाले अम्ल को शान्त करेगी | शेर, कुत्ता आदि जानवर या चिड़िया भी घूँट-घूँट करके ही पानी पीते हैं। ये जल्दी बीमार नहीं पड़ते! घूँट-घूँट पानी पीने से वजन कम होता हैं!
• कितना पानी पीना चाहिए?
• दिन भर में कितना पानी पीना चाहिए यह संबंधित व्यक्ति की सेहत और वो जहां रह रहा हैं वहां के मौसम पर निर्भर हैं। एक सामान्य व्यक्ति को सामान्य मौसम में ढाई से तीन लीटर पानी पीना चाहिए।
• गर्मी में पानी की मात्रा बढानी चाहिए।
• बहुत ज्यादा मात्रा में पानी पीना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता हैं।
• हम जो पानी पी रहे हैं वो हमारे शरीर के लिए पर्याप्त हैं या नहीं यह पेशाब के रंग से जाना जा सकता हैं। यदि पेशाब का रंग पीला हैं तो इसका मतलब हैं कि शरीर डिहायड्रेटेड हैं मतलब कि शरीर को और पानी की आवश्यकता हैं। यदि पेशाब का रंग पानी जैसा हैं मतलब कि शरीर पूरी तरह हायड्रेटेड हैं।
दोस्तों, इस तरह सिर्फ़ सहीं तरीके से पानी पीने से हम कई बीमारियों से निजात पा सकते हैं। शोध बताते हैं कि कई लोगों ने पानी पीने के इन नियमों का पालन कर अपना वजन घटाया हैं!!
दोस्तों, इस तरह सिर्फ़ सहीं तरीके से पानी पीने से हम कई बीमारियों से निजात पा सकते हैं। शोध बताते हैं कि कई लोगों ने पानी पीने के इन नियमों का पालन कर अपना वजन घटाया हैं!!
आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 04 मई 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को 'साप्ताहिक मुखरित मौन में' शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2019) को "कंकर वाली दाल" (चर्चा अंक-3324) (चर्चा अंक-3310) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंइतनी लाभदायक जानकारी देने के लिए धन्यवाद ज्योति ।
जवाब देंहटाएंबेहद लाभदायक लेख। अक्सर इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में लोग कम पानी पीते हैं और फिर उसका खामियाजा उठाते हैं। ज्यादा पानी पीने से शरीर की त्वजा में भी एक तरह का तेज आ जाता है।
जवाब देंहटाएंआभार।
बहुत लाभप्रद जानकारी
जवाब देंहटाएंपानी कैसे पिया जाये आपने बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया है। वैसे मैं पानी बहुत पीता हूं। करीब 20 लीटर रोज लेकिन मेरे पीने का तरीका अच्छा नहीं है। आगे से मैं सही ढंग से पानी पीने का पूरा प्रयास करूंगा। उपयोगी जानकारी के लिये आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजमशेद भाई, कृपया इतना ज्यादा पानी मत पीजिएगा। इतना ज्यादा पानी पीना सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हैं। इतना ज्यादा पानी हमारी किडनी फिल्टर नहीं कर पाती। ये पानी हमारे शरीर में इस्तेमाल हुए बिना ही बाहर निकल जाता हैं। इससे किडनी कमजोर होती हैं।
हटाएंबहुत ही महत्वपूर्ण लेख है ये....पानी शरीर की प्रथम आवश्यकता है साथ ही कई विमारियों से निजात भी दिलाता है परन्तु गलत तरीके से पिया पानी मुसीबत भी बन जाता है..उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक लेख के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी लेख।
जवाब देंहटाएंBahut achcha leKha hai
जवाब देंहटाएंसुन्दर जानकारी।
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह लाजवाब ज्ञान वर्धक जानकारी ज्योति बहन।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद ।
बहुत ही महत्वपूर्ण लेख
जवाब देंहटाएंअत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी
जवाब देंहटाएंThis is an wonderful post with so many infos, though very few of these were beyond my knowledge but those are really very important.
जवाब देंहटाएंThanks for sharing.
आपका यह लेख अदभुत और बहुत सारी जानकारी संजोय है। इसे प्रकाशित करने के लिए आभार।
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