क्या आपको भी लगता हैं कि छींक आने से अपशकुन होता है? यदि हाँ, तो जानिए कि वास्तव में छींक आने का वैज्ञानिक कारण क्या है और छींक आने से अपशकुन होता हैं या नहीं?
क्या आपको भी लगता हैं कि छींक आने से अपशकुन होता हैं? शुभ कार्य के लिए घर से निकलते वक्त यदि किसी को छींक आ जाएं तो दो मिनट रुक जाना चाहिए, नहीं तो कोई न कोई अनहोनी होती हैं? यदि हाँ, तो जानिए कि क्या वास्तव में छींक आने से अपशकुन होता हैं?
एक बार मैं एक परिचित के यहाँ से अपने घर लौटने के लिए जैसे ही मुख्य दरवाजे की ओर जाने लगी तो परिचित के बेटे ने कहा, ''आंटी, दो मिनट रुकिए!'' मैं ने पूछा, ''क्यों...क्या हुआ?'' ''कुछ नहीं आंटी...वो क्या हैं कि अमित (उसका बेटा) को छींक आ गई न इसलिए कहा!''
मैं ने कहा, ''तुम तो पढ़े-लिखें हो...इंजिनियर हो...तुम भी इन अंधविश्वासों को मानते हो?''
उसने कहा, ''इसमें पढ़े-लिखें और अनपढ़ होने का कोई सवाल नहीं हैं। हमारे घर में दादा-दादी से लेकर मम्मी-पापा तक और मुझे भी पूरा विश्वास हैं कि छींक आने पर यदि दो मिनट न रुक कर वैसे ही बाहर चले गए तो कोई न कोई अनहोनी जरुर होती हैं। दादाजी बताते हैं कि एक बार वे बाहर जाने के लिए निकल ही रहे थे कि उन्हें छींक आ गई। लेकिन ट्रेन का वक्त हो रहा था इसलिए उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और बाहर चले गए। लेकिन स्टेशन पहुंचने के पहले ही उनका अपघात हो गया और उनके पैर की हड्डी टुट गई थी। तब से आज तक हमारे घर में कोई भी बाहर निकलते वक्त छींक आने पर दो मिनट ही सही वापस आकर बैठता हैं फ़िर बाहर जाता हैं।''
मैं ने कहा, ''तुम तो पढ़े-लिखें हो...इंजिनियर हो...तुम भी इन अंधविश्वासों को मानते हो?''
उसने कहा, ''इसमें पढ़े-लिखें और अनपढ़ होने का कोई सवाल नहीं हैं। हमारे घर में दादा-दादी से लेकर मम्मी-पापा तक और मुझे भी पूरा विश्वास हैं कि छींक आने पर यदि दो मिनट न रुक कर वैसे ही बाहर चले गए तो कोई न कोई अनहोनी जरुर होती हैं। दादाजी बताते हैं कि एक बार वे बाहर जाने के लिए निकल ही रहे थे कि उन्हें छींक आ गई। लेकिन ट्रेन का वक्त हो रहा था इसलिए उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और बाहर चले गए। लेकिन स्टेशन पहुंचने के पहले ही उनका अपघात हो गया और उनके पैर की हड्डी टुट गई थी। तब से आज तक हमारे घर में कोई भी बाहर निकलते वक्त छींक आने पर दो मिनट ही सही वापस आकर बैठता हैं फ़िर बाहर जाता हैं।''
मैं उसे तो कुछ नहीं बोली क्योंकि अंधविश्वासी लोगों को कुछ भी समझाना मतलब भैंस के आगे बीन बजाना ही होता हैं। मैं ने मन में सोचा कि उसके दादाजी के बताएं अनुसार ट्रेन का वक्त हो रहा था। मतलब कि वे जल्दी में थे। जाहीर हैं कि ऐसे में उन्होंने गाडी तेज चलाई होगी...और अपघात हुआ होगा! यदि गाड़ी तेज न भी चला रहे हो तो भी अपघात होना रहता हैं तो हो जाता हैं! उसमें छींक का कोई रोल नहीं होता! जैसे की कौए का बैठना और डाल का टुटना! कोई भी डाल कौए के वजन से नहीं टुट सकती! लेकिन दोष कौए को ही दिया जाता हैं कि कौआ डाल पर बैठा इसलिए डाल टुटी! जैसे डाल के टुटने में कौएं कि कोई भुमिका नहीं रहती ठीक वैसे ही अपघात होने में छींक की कोई भुमिका नहीं रहती!
छींक आने का वैज्ञानिक कारण-
छींक वह क्रिया हैं जिसमें फेफड़ों से हवा नाक और मुंह के रास्ते अत्यधिक तेजी से बाहर निकाली जाती हैं। जब हमारे नाक के अंदर की झिल्ली, किसी बाहरी पदार्थ के घुस जाने से खुजलाती हैं, तब नाक से तुरंत हमारे मस्तिष्क को संदेश पहुंचता है और वह शरीर की मांसपेशियों को आदेश देता है कि इस पदार्थ को बाहर निकालें। सर्दी-जुकाम होने पर भी ऐसे ही छींक आती हैं क्योंकि ज़ुकाम की वजह से हमारी नाक के भीतर की झिल्ली में सूजन आ जाती है और उससे ख़ुजलाहट होती है। मतलब छींक आना एक सामान्य मानवीय क्रिया हैं। अब आप सोचिए कि जब छींक द्वारा हमारा शरीर नाक और गले के उत्तेजक पदार्थों को बाहर निकाल रहा हैं तो उसमें शकुन-अपशकुन बीच में कहां से आ गया? छींक बेचारी को पता नहीं होता कि कोई शुभ कार्य के लिए बाहर जा रहा हैं तो आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए!
छींक आना शुभ भी होता हैं!!
हमारे शास्त्रों में इस बात का उल्लेख हैं कि छींक आना अशुभ ही नहीं होता तो कभी-कभी शुभ भी होता हैं। जैसे कि यदि आप किसी शुभ कार्य के लिए जा रहें हैं और किसी गाय या बछडे को छींक आ गई तो इसे शुभ माना जाता हैं। लेकिन यदि कुत्ते को छींक आ गई तो उसे अपशगुन माना जाता हैं। यदि छींक सम संख्या में आती हैं तो उसे शुभ माना जाता हैं! लेकिन यदि छींक विषम संख्या में आई तो इसे अशुभ माना जाता हैं। हैं न मजेदार बात! भई, जब एक बार छींकने पर भी बाहरी पदार्थ पूरी तरह बाहर नहीं हो पाते तो दोबारा या ज्यादा बार छींक आएगी। छींक कितनी बार आएगी यह इस बात पर निर्भर करता हैं की बाहरी पदार्थ कितने प्रमाण में बाहर हो पाएं हैं, न कि इस बात पर कि कार्य शुभ होगा या अशुभ इसका पुर्वानुमान कराने के लिए सम या विषम संख्या में!!
ऐसे बहुत से अंधविश्वास हैं जिनकी बिना जांच-पडताल किए कि वो सही हैं या गलत, हमने उन्हें हमारे मस्तिक में स्थान दे रखा हैं! शास्त्रों में लिखी हर बात सहीं नहीं हैं। जैसे कि शास्त्रों में लिखा हैं कि पृथ्वी चपटी हैं। लेकिन अब विज्ञान ने साबित कर दिया कि पृथ्वी गोल हैं। दरअसल हमारे शास्त्रों में जो भी बाते लिखी गई हैं वो उस समय के जानकारी के हिसाब से सहीं थी। तब विज्ञान का उतना विकास नहीं हुआ था। इसलिए उन्हें छींक आने का वैज्ञानिक कारण पता नहीं था। कोई व्यक्ति शुभ कार्य से बाहर जा रहा होगा और उसको छींक आ गई होगी लेकिन वो कार्य किसी कारण से पूरा नहीं हो पाया होगा या कोई अपघात हुआ होगा इसलिए अपनी सीमित जानकारी के आधार पर उन्होंने कार्य के पूरा न होने का कारण छींक को बता दिया, बस!!
जिस तरह आज हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी गोल हैं, चाहे शास्त्रों के अनुसार वो चपटी हैं!! ठीक उसी तरह हमें यह भी जानना चाहिए कि छींक आना शरीर की एक नैसर्गिक क्रिया हैं, इसका शकुन-अपशकुन होने से कोई लेना-देना नहीं हैं!!!
ऐसे बहुत से अंधविश्वास हैं जिनकी बिना जांच-पडताल किए कि वो सही हैं या गलत, हमने उन्हें हमारे मस्तिक में स्थान दे रखा हैं! शास्त्रों में लिखी हर बात सहीं नहीं हैं। जैसे कि शास्त्रों में लिखा हैं कि पृथ्वी चपटी हैं। लेकिन अब विज्ञान ने साबित कर दिया कि पृथ्वी गोल हैं। दरअसल हमारे शास्त्रों में जो भी बाते लिखी गई हैं वो उस समय के जानकारी के हिसाब से सहीं थी। तब विज्ञान का उतना विकास नहीं हुआ था। इसलिए उन्हें छींक आने का वैज्ञानिक कारण पता नहीं था। कोई व्यक्ति शुभ कार्य से बाहर जा रहा होगा और उसको छींक आ गई होगी लेकिन वो कार्य किसी कारण से पूरा नहीं हो पाया होगा या कोई अपघात हुआ होगा इसलिए अपनी सीमित जानकारी के आधार पर उन्होंने कार्य के पूरा न होने का कारण छींक को बता दिया, बस!!
जिस तरह आज हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी गोल हैं, चाहे शास्त्रों के अनुसार वो चपटी हैं!! ठीक उसी तरह हमें यह भी जानना चाहिए कि छींक आना शरीर की एक नैसर्गिक क्रिया हैं, इसका शकुन-अपशकुन होने से कोई लेना-देना नहीं हैं!!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-03-2019) को "अभिनन्दन" (चर्चा अंक-3262) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/03/2019 की बुलेटिन, " अपने अभिनंदन के अभिनंदन की प्रतीक्षा में देश “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, शिवम जी।
हटाएंबहुत सुंदर लेख।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने पढ़े लिखे हो या अनपढ़ इन अन्धविश्वास से अभी तक मुक्ति नहीं मिल पा रही है ,सराहनीये लेख ,स्नेह
जवाब देंहटाएंअंधविश्वास पर करारी चोट....सटीक एवं सराहनीय लेख ।
जवाब देंहटाएंअन्धविश्वास पर प्रहार करता सार्थक लेख
जवाब देंहटाएंऐसे अनेक अंधविश्वास हैं और उनको मानने वाले कितना नुक्सान करते हैं उसका आंकलन वो खुद भी नहीं करते ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रयास है आपका अंधविश्वास मिटाने को ...
अत्यंत उपयोगी लेख!
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