क्या माहवारी (पीरियड्स) से होना नारी का गुनाह या पाप है??

इंसान चाहे चाँद पर जाए या मंगल पर पानी की खोज करे, नारी ऐसे-ऐसे अंधविश्वास की शिकार है कि जैसे नारी जानबूझ कर और पुरे होशो-हवास में रजस्वला होने का महापाप करती है।


क्या रजस्वला (मासिक धर्म) होना नारी का गुनाह या पाप है??
क्या माहवारी (पीरियड्स) से होना नारी का गुनाह या पाप है??
इंसान चाहे चाँद पर जाए या मंगल पर पानी की खोज करे, मैं बात करना चाहती हूं उस अवैज्ञानिक सोच की, जिस सोच के कारण रजस्वला नारी को अपवित्र माना जाता है, स्वयं के ही घर में उस से अछूत की तरह बर्ताव किया जाता है! जैसे नारी ने जानबूझ कर और पुरे होशो-हवास में यह महापाप किया है। हैरानी तो तब और अधिक होती है, जब हमारे पोथी पुराणों में भी मासिक धर्म को अशुद्ध समय माना गया है। इस समय महिलाओं को घर के कामकाज एवं पूजा-पाठ करने से मना किया गया है। मासिक धर्म के विषय में यह मान्यता है कि इस दौरान स्त्री अचार को छू ले तो अचार सड़ जाता है। पौधों में पानी दे तो पौधे सूख जाते हैं। जो की पुर्णतया गलत है। और तो और, इस पाप को धोने के लिए विधीवत व्रत करने की सलाह भी दी गई है! जैसे ऋषिपंचमी का व्रत!
ऋषिपंचमी की कथा 
इस कथा में बताया गया हैं कि सुमित्र नाम का एक ब्राम्हण था। उसकी पत्नी का नाम जयश्री था। जयश्री, वेदों में बताएं गए मासिक धर्म के नियमों का पालन नहीं करती थी। माहवारी के समय भी वह स्वयं भोजन बनाती और पति को भोजन करवाती। इससे अगले जन्म में जयश्री को कुतिया और ब्राम्हण को बैल के रुप में जन्म लेना पड़ा। इस कारण से महिलाओं को आज भी माहवारी के समय धार्मिक कार्यों में भाग लेने की मनाही रहती हैं। वास्तव में, अगले जन्म में इंसान का किस रुप में जन्म होगा और उसका आधार क्या हैं विज्ञान के लिए भी यह एक अबुझ पहेली हैं

आज के हालात 
कई समाजों में यह भयंकर रिवाज़ आज तक चालू है। रजस्वला स्त्री को घर के कोने में चटाई डाल कर अकेला छोड़ दिया जाता है। वे पूजा घर में, रसोई घर में नहीं जा सकती। एक तरह से रजस्वला नारी को खुद के ही घर में बहिष्कृत किया जाता है। अचानक घर में मेहमान आने पर वो उन्हें पानी भी नहीं दे सकती! उस समय (खासकर पुरुष) मेहमानों के सामने नारी को कितना लज्जित होना पड़ता है, इस अपमानजनक स्थिति का दर्द, सिर्फ रजस्वला नारी ही समज सकती है।
आज कल पढ़े-लिखें लोग, रजस्वला नारी को बाकि सभी सामानों जैसे कपड़े-बिस्तर आदि को छूने देते है। रजस्वला नारी घर के बाकि सदस्यों को भी छू सकती है। लेकिन पूजा घर एवं रसोई घर में आज भी इनका जाना वर्जित है। चाहे एकल परिवारों के चलते, कितनी ही परेशानियां क्यों न उठानी पड़े! बच्चों को टिफ़िन में कैसा भी उल्टा-सीधा खाना देकर क्यों न भेजना पड़े! सिर्फ कुछ पढ़े-लिखें लोगों ने खाना बनाने की समस्या को देखते हुए, मज़बूरी वश समझौता करते हुए, नारी को रसोई घर में जाने की इजाजत दे दी है। 
अब आप ही सोचिए, यदि एकल परिवारों के चलते हम परिस्थिति से समझौता करते है, रजस्वला नारी को रसोई घर में जाने की इजाज़त देते है, तब क्या नारी को या उसके परिवार वालों को दोष नहीं लगता?
नैसर्गिक क्रिया 
दरअसल मासिक चक्र या रजस्वला होना एक नैसर्गिक क्रिया है, जो पूरी तरह से शरीर के गर्भावस्था के लिए तैयार होने की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। यह कहना कि इससे दूषित रक्त बाहर निकलता है सर्वथा गलत है। चिकित्सीय दृष्टिकोन से नारी का ठीक समय पर रजस्वला होना एक स्वस्थ व्यक्ति होने का संकेत है। हमारे शरीर से जो भी मल-मुत्र आदि बाहर निकलते हैं उसमें विषाणु होते ही हैं। लेकिन इस कारण हम इंसान को ही अशुद्ध नहीं मानते! फ़िर रक्तस्त्राव होने पर नारी को अशुद्ध मानने में क्या तुक हैं?
रजस्वला (मासिक चक्र) होना एक वरदान 
यदि रजस्वला (पीरिएड्स से) होना स्त्री का गुनाह है या पाप है, तो रजस्वला हुए बिना वो माँ कैसे बनेगी? जिस रज से इंसान (चाहे वह नर हो या नारी) का शरीर बनता है उसे ही हम अपवित्र कैसे मान सकते है? वास्तव में रजस्वला होना प्रकृति का नारी को दिया हुआ एक महावरदान है!! इसी वरदान की वजह से नारी माँ बन सकती है!!
परंपरा के पीछे का सच 
दरअसल इन चार-पांच दिनों में नारी का शरीर थोड़ा कमज़ोर हो जाता है। कई स्त्रियों को तो असहनीय दर्द भी होता है। अत: यह बात ध्यान में रखते हुए, शायद हमारे बड़े-बुजुर्गों ने यह परंपरा शुरू की होगी कि इसी बहाने नारी को थोड़ा आराम मिलेगा। लेकिन अच्छी पहल का भी परिणाम उल्टा ही हुआ! रजस्वला नारी को अपवित्र माना जाने लगा और उससे चौके-चूल्हे के काम छोड़ कर बाकि सभी काम करवाये जाने लगे! अत: यह विचार कि रजस्वला नारी स्वयं भी अपवित्र होती है एवं वातावरण को भी अपवित्र करती है सर्वथा अवैज्ञानिक है। पेड़-पौधे के सुखने की बात भी पूर्णतया गलत है। 
अंत में सिर्फ इतना  कहुंगी कि,
" क्यों अपने ही घर में अछूत की तरह रहती है नारी?
   लड़की है, लकड़ी की तरह क्यों जलती  नारी??"

Keywords: Menstruation, Women, superstition mountains, menstrual period, menstrual cycle in hindi, naari, science and superstitions, superstitious beliefs

COMMENTS

BLOGGER: 51
  1. जय मां हाटेशवरी....
    आप ने लिखा...
    कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
    हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
    दिनांक 19/10/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
    चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
    पर लिंक की जा रही है...
    इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
    टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    कुलदीप ठाकुर...


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    1. कुलदीप जी, मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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    2. मै तो बिल्कुल नही मानता ये सब मै मेरी पत्नी को उतना ही सम्मान करता हूं जितना हमेसा
      वो मेरे घर की लक्ष्मी है वो पूरे घर का खयाल रखती है और मै उसका। भगवान शिव भी माता पार्वती के बिना अधूरे है

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  2. दमनवादी सोच को रुढ़ीवाद की आड़ देकर पुरुष प्रधानवादिता ने इसे बनावटी विकृति बना डाला है।

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  3. दमनवादी सोच को रुढ़ीवाद की आड़ देकर पुरुष प्रधानवादिता ने इसे बनावटी विकृति बना डाला है।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कॉर्प्रॉट सोशल रिस्पोंसबिलिटी या सीएसआर कितना कारगर , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  5. You have rightly said Jyoti ji ..probably the reason for behind such practices may have been to reduce the workload during the days of periods, but it took a different shape when they started being treated as untouchables.

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    1. सोमाली जी, यही इसकी सच्चाई है...! धन्यवाद आपका।

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  6. Old practices are there for a reason and they must continue...!!!

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  7. पहले के समय इसे इस तरह नहीं माना जाता था।
    पुराने समय में औरत को इस समय अलग रखने का मतलब पुर्ण रूप से आराम देना होता था। सात दिन तक, चौबीस घंटे तक ब्लीडिंग होना, शारीरिक कमजोरी पैदा करता ही है। इस वक्त होने वाला कमर दर्द, पेट दर्द और पैरों में उठने वाले दर्द की वजह से आराम दिया जाता था।
    ये सब पंडित लोगों के बनाएं ढ़कोसला है।

    

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    1. मनीषा जी, बिलकुल सही कहा आपने। ये सब नारी को डराने के लिए पंडितों द्वारा रचित ढकोसले ही है।

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    2. मनीषा जी, बिलकुल सही कहा आपने। ये सब नारी को डराने के लिए पंडितों द्वारा रचित ढकोसले ही है।

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    3. ऐसा कर पण्डितों को क्या फायदा हो सकता हैं ? स्पष्ट करें

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    4. ऐसा कर पण्डितों को क्या फायदा हो सकता हैं ? स्पष्ट करें

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    5. Pooja padh karvane aur isake badle dhan Lena aur apani pratistha ko badhana Kisi fayade se Kam hai kya.

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  8. Satya se sakasthkaar karane ke liye aapka abhaar.

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  9. बेनामी19/10/15, 9:27 am

    सार्थक प्रस्तुति

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  10. आँखे खोल देंने वाला सत्य बहुत अच्छा लेख

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  11. " क्यों अपने ही घर में अछूत की तरह रहती है नारी?
    लड़की है, लकड़ी की तरह क्यों जलती नारी??"

    प्रश्न आवश्यक है.

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  12. अब ठीक है। बड़ी मुश्किल से आपके ब्‍लाग पर कमेंट करने का मौका मिला है। पहले भी कई बार कोशिश की पर आपका ब्‍लाग नए रंग में बदल चुका था। कमेंट नहीं कर पा रहा था। आपकी पोस्‍ट बहुत ही अच्‍छे विषय पर है। बेहद अर्थपूर्णं।

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  13. अच्छा लेकिन काफी देर से आया है यह आलेख .क्योंकि अब तो स्थितियाँ काफी बहुत बदल चुकीं हैं .

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    1. गिरिजा जी, अब स्थितिया जो बदली है, वो सिर्फ और सिर्फ एकल परिवारों के चलते मजबुरी वश ही! क्योंकी अभी भी पढे-लिखें इंसान की सोच भी उतनी नही बदली है जीतनी बदलनी चाहिए...!

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  14. Ponga panditon ne kism-kism ki dhakoslebaazi apne swarth siddh karne ke liye ki thi... hum jaante hain ki unhe maan na mahamurkhtaa hai! behtareen lekh, Jyoti, lekin kyaa ye saamyik hai? Kyaa aaj bhi aisa hota hoga?

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    1. हाँ, आज भी कई पढ़े लिखें घरों में भी ऐसा होता है। मेरे कई परिचितों के यहाँ आज भी रजस्वला नारी का रसोई घर में जाना वर्जित है।

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    2. इसमे पंडितों का क्या फायदा हो सकता है ... स्पष्ट करें

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    3. ऋषिकेश जी, यदि नारी अपने आप को दोषी मानेगी तो जाहिर है उसके निवारण के लिए व्रत उपवास करके पंडितो को दान दक्षिणा देगी।

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  15. हमेशा की तरह अद्भुत व अप्रतिम

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  16. आप ने इस मुद्दे को उठाने की हिम्मत की है---इसके लिए आप बधाई की पात्र हैं--धर्म के ठेकेदारों ने न जाने जाने किस किस बात को एक इलज़ाम बना दिया है---इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद करना ही अब सबसे अधिक आवश्यक है--
    जनाब साहिर लुधियानवी साहिब ने बहुत पहले जो कहा था-वह सच आज भी है-

    औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
    जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा दुत्कार दिया
    तुलती है कहीं दीनारों में बिकती है कहीं बाज़ारों में
    नंगी नचवाई जाती है अय्याशों के दरबारों में
    ये वो बे-इज़्ज़त चीज़ है जो बट जाती है इज़्ज़त-दारों में
    औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया

    मर्दों के लिए हर ज़ुल्म रवा औरत के लिए रोना भी ख़ता
    मर्दों के लिए हर ऐश का हक़ औरत के लिए जीना भी सज़ा
    मर्दों के लिए लाखों सेजें, औरत के लिए बस एक चिता
    औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया

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  17. मैं आपके विचारों से पूर्णतः सहमत हूँ ज्योति । नारी को वास्तव में उन दिनों में आराम की जरूरत होती है ....।

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  18. बहुत सही कहा आपने

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  19. बेहतरीन लेख लिखा आपने ज्योती जी

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  20. बहुत ही बढ़िया लिखा है ज्योति। ऐसे ही लिखते रहो।

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  21. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  22. Aisa Aj bhi hota dehradun k kuch Goan mei they treat me like jeshe pta nhi kya galt kaam krdiya Mujhe periods horhe hai toh mere pati puja nhi kr skte hmmmm periods Mujhe horhe mere pati ko nhi mandir nhi jate koi nhi lekin plzzz don’t treat like a dirty things..... we r a female, we r creater of this world , thsee five days r very painful for me .... plz stop it plzzz ������������

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    1. निमा दी, आपकी व्यथा पढ़ कर बहुत दुख हुआ। लेकिन जब तक समाज मे कम से कम पढ़े लिखे इंसान अपनी सोच नहीं बदलते टैब तक हालात नहीं सुधर सकते।

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  23. Aj ke samay me ved se hatana padega. Jyoti ji apka vichar sahi hai .

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  24. माता जी मैं एक ऐसे परिवार से जहां इस परम्परा को निभाया जाता हैं और घर की स्त्री को पूरा सम्मान मिलता है स्त्री का अपमान वही लोग करते है जो उन्हें कमजोर समझते और उनको सिर्फ बहाने चाहिए चाहे वो स्त्री की शिक्षा पर हो या शारिरिक कठोरता, या स्त्री की यह सोच की वह पीछे रहकर अपने संरक्षक का मान बढ़ाना,या धार्मिक बातो को आधार बनाकर उन्हें सिर्फ स्त्री को कमजोर समझना होता हैं परन्तु जिस घर में यह बताया जाता हो कि इनके कारण ही तुम्हारा जीवन सम्भव है और वो परिवार धार्मिक मान्यताओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझकर पालन करता हो उसे तो आप दोषी नही ठहरा सकती है आप चाहे तो मेडिकल साइंस के कुछ रिसर्च पढ़ सकती हैं जहां यह प्रमाणित किया गया है कि जब स्त्री रजस्वला होती हैं तो उस समय उनके शरीर से जो रक्त निकलता है उसमें हानिकारक विषाणु होते है जिसके कारण बीमारी होने का खतरा रहता है और आपने भी लिखा कि स्त्री को उस दौरान दर्द होता हैं तो क्या इन सब बातों का यह अर्थ नहीं कि पहले स्त्रियों का बहुत सम्मान था और उन्हें तथा उनके परिवार को सुरक्षित रखने का यह एक कारण था क्योंकि स्त्री मासिक धर्म के बाद सन्तान उत्पन्न करने के लिए तैयार होती क्योंकि वह एक नए जीव को जन्म देने वाली होती हैं तो गर्भ धारण से पूर्व शरीर के सभी विषाक्त तत्व बाहर हो जाते है और भूर्ण को कोई खतरा नहीं होता, माता जी कुछ और बात है जो मैं यहां नही लिख सकता हूँ पर आप अध्ययन कर सकती है अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो माफ करे।

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    1. हमारे शरीर से जो भी मल-मुत्र आदि बाहर निकलते हैं उसमें विषाणु होते ही हैं। लेकिन इस कारण हम इंसान को ही अशुद्ध नहीं मानते! फ़िर रक्तस्त्राव होने पर नारी को अशुद्ध मानने में क्या तुक हैं?

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  25. आदरणिया अनुजा ज्योति देहलीवाल बहिन जी मै जब गूगल प्लस चालू था तब से इस लेख को देख रहा हूँ ।।आदरणिया जी मल मुत्र यदी शरीर पर बहार लगा रहे दीर्घ शंका के पश्चात जब तक प्रक्षालन ना हो जाये तब तक मनुष्य चाहे स्त्री हो या पुरुष वह अपवित्र ही रहता है ।। ठीक रजस्वला स्त्री का रज चार दिन तक लगातार गिरता है , और शयनोपरांत तो ज्यादा गिरता है जो स्नानोपरांत भी नही रुकता चार दिन तक ।। इस लिये अपवित्र दशा होती है न कि अपवित्र स्त्री होती है ।। ऐसे मे उसे आराम करना ही चाहिए ।। मै समझता हूँ अब इस विषय को बन्द कर देना चाहिए,करीब तीन वर्ष से ये लेख चल रहा है

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  26. अभ्यंकर भाई,बहुत दिनों बाद आपको ब्लॉग पर देख कर खुशी हुई। रहा सवाल इस विषय को बंद करने का तो जब तक नारी को इन दिनों अपवित्र मानने का चलन खत्म नहीं होता तब तक ये विषय बंद कैसे हो सकता हैं?

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    1. रजस्वलावस्था अपवित्र होती है ना कि नारी ।। नारी तो माँ होती वो बालक को करीब दो तीन वर्ष तक अपने स्तनोदुग्ध का पान कराती तो इतने दिनो मे रजस्वला भी होती होगी तो वह माँ कैसे अपवित्र हुयी ।। बस आवश्यकता है उसे अपने अंग प्रक्षालन की बस ।।

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  27. Mataji..pehle toh mein apko pranam karta hoon.bahot late mein comment kar raha hoon isiliye kshyama karen.Apki lekh padhi.Apne bahot hi acha prashna kiya hai..par sath hi apne sashtron ki iss adesh ki ninda bhi ki hai.. pehele mein yaha kahna chahta hoon ki sashtra mithya nahin hein.. Manav jiban ko safal banane ke liye hi sashtra ki Ajna sarvopari hai..agar humare man mein kuch dwidha hai toh uss dwidha ka nibaran ke liye santon ki ya sashtra ki baani ka hi ashraya lena chahiye.. naa ki apne samajh ke anusar sashtra ki ninda karni chahiye.. aur rahi baat iss prashna ki..Abhayankar bhai ne joh kaha mein usme kuch jodna chahta hoon.. Aap ne yeh muhabara toh suna hi hoga.. "Jaisa khave arnn, Wesa howe man"
    Hum joh bhi khate hein uska asar humare man tatha uss se bhi sukshma chitta par padta hai.. mataon ke asudhabasta ke samay jab woh arnn banati hein aur khilati hein ya kisi bhi khadhya padartha ko chhuti hein, toh jo waha arnn khata hai uska man budhhi chhita par dusprabhav padta hi hai.Mein bhi nahin manta tha iss baat ko..par yaha baat humne khud apne jivan mein anubav ki hai..App agar keh rahi hein ki pooja mein kyon nahin allow kiya jaata..pooja ka matlab hi hai bhagban ka prasannata prapt karna..Agar bhagban ki prasannata isi mein hai ki app asudhhabasta ke samay pooja naa karen,toh apko woh avashya palan karni chahiye..Isse woh app par jyada prasanna honge..Yaha ek baat hai ki Nari sarvatha Pavitra hai.Jis ghar mein nari ka upekhshya kiya jaata hai wahan toh sare dev aur pitra karm nirarthak hai.par jahan pe bade burjurgon ke baar baar samjhane par bhi agar koi mata behen iska palan nahin kartin toh waha pe thoda kathor hone mein koi harz nahin.. Yaha bhi unke bhalai ke liye hi hai..aur ek baat.. Apko 4 din ka bishram ka samay diya jaa raha hai.. uss samay ko bhagabat chintan mein lagayen.. Apke pati ya putra ya aur koi sadashya uss samay bhojan banaye..Iss se ek faida aur hai..unko bhi bhojan kaise banayi jaati hai yaha maloon padega..agar kahin gharse door unko akele rahna pade yaa app bimar hon,toh woh khud khana bana sakenge..aur jab woh apki kaam karenge..toh apke prati unka shradha aur bhi badhega aur app kitna kast karke bhojan banati hai yaha unko maloom padega..aur bhi bahut baatein hein..sab kuch likhna sambhav nain..sesh bhagawat kripa.

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    1. मेरा विरोध सिर्फ औरतो को उस दौरान अछूत मानने से है।

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'रेप प्रूफ पैंटी',1,#मीटू अभियान,1,#साड़ीट्विटर,1,10 मिनट रेसिपी,1,14 नवम्बर,1,15 अगस्त,4,1अक्टुबर,1,25 दिसम्बर,1,26 जनवरी,1,5 मिनट रेसिपी,1,5000 रुपए किलों का गुड़,1,6 नमकीन रेसिपी,1,6 मिठाई रेसिपी,1,8 मार्च,5,9 वी सालगिरह,1,अंंधविश्वास,1,अंकुरित अनाज,1,अंगदान,1,अंगुठी,1,अंगूर,2,अंगूर की जेली,1,अंगूर की लौंजी,1,अंगूर की सब्जी,1,अंग्रेजी,2,अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस,7,अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस,2,अंतिम संस्कार,1,अंधविश्वास,22,अंधश्रद्धा,20,अंधश्रध्दा,4,अंश,1,अग्निपरीक्षा,1,अग्रवाल,1,अग्रसेन जयंती,1,अग्रसेन जयंती की शुभकामनाएं,1,अचार,15,अच्छी आदतें,1,अच्छी पत्नी,1,अच्छी पत्नी चाहिए तो...,1,अच्छी ससुराल,1,अच्छे काम,1,अजब-गजब,3,अजय नागर,1,अतित,1,अदरक,1,अदरक का चूर्ण,1,अदरक-लहसुन पेस्ट,1,अधिकमास,1,अनमोल वचन,10,अनरसा,2,अनास्तासिया लेना,1,अनियन रिंग्स,1,अनुदान,1,अनुप जलोटा,1,अनोखा गिफ्ट,1,अनोखी शादी,1,अन्न,1,अन्य,38,अन्याय,1,अपमान,1,अपाहिज,1,अपेक्षा,1,अप्पे,4,अभिमान,1,अमरुद,1,अमरूद की खट्टी-मीठी चटनी,1,अमावस्या,1,अमावस्या को बाल धोना,1,अमीरी,1,अमेजन,1,अयोध्या,1,अरबी,1,अरुणा शानबाग,1,अरुनाचलम मुरुगनांथम,1,अलगाव,1,अवधेश,1,अवार्ड,2,अशोक चक्रधारी,1,असली हीरो,24,अस्पताल,1,अस्पतालों में बच्चों की मौत,1,आंवला,9,आंवला अचार,1,आंवला कैंडी,2,आंवला गटागट,1,आंवला चटनी,2,आंवला चुर्ण,1,आंवला मुरब्बा,1,आंवला लौंजी,1,आंवला शरबत,1,आंवले का अचार,1,आंवले का शरबत,1,आंवले की गटागट,1,आंवले के 8 व्यंजन,1,आइसक्रीम,1,आईसीयू ग्रेंडपा,1,आग,1,आज के जमाने की अच्छाइयां,1,आजादी,3,आज़ादी,1,आटे की चकली,1,आठवी सालगिरह,1,आतंकवादी,2,आत्महत्या,6,आत्मा,1,आदित्य तिवारी,1,आप बीती,1,आम,12,आम का अचार,1,आम का जैम,1,आम का पना,2,आम का मुरब्बा,2,आम की बर्फी,1,आम पापड़,1,आमरस,1,आयशा खान,1,आयशा सुसाइड साबरमती,1,आरओ,1,आरक्षण,3,आरती मोर्य,1,आलिया भट्ट,1,आलू,10,आलू की पापडी,1,आलू की मठरी,1,आलू की सब्जी,1,आलू के फिंगर्स और बॉल्स,1,आलू के लच्छेदार पकोड़े,1,आलू को स्टोर करना,1,आलू पापड़,1,आलू पोहा अप्पे,1,आलू प्याज के स्टफ्ड पकोड़े,1,आलू मसाला पूरी,1,आलू मेथी की सब्जी,1,आलू साबूदाना पापड़,1,आलू सूजी के कुरकुरे फिंगर,1,इंसान,2,इंसानियत का पाठ,1,इंस्टंट डोसा,2,इंस्टंट पनीर मखनी,1,इंस्टंट मावा,1,इंस्टंट स्नैक्स,2,इंस्टट ढोकला,1,इंस्टेंट कलाकंद बर्फी,1,इंस्टेंट कुल्फी,1,इंस्टेंट नींबू का खट्टा मीठा अचार,1,इंस्टेंट नूडल्स,1,इंस्टेंट मिठाई,1,इडली,3,इन्डियन टाइम,1,इमली,2,इम्युनिटी बूस्टर रेसिपी,1,इरोम शर्मिला,1,इलायची,1,इलायची पाउडर,1,इलोजी,1,इसे कहते है हिम्मत,1,ईद,1,ईश्वर,7,ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना,1,ईसा मसीह,1,ईसाई,1,उटी,1,उपमा,3,उपवास,1,उपवास का हांडवो,1,उपवास की इडली,1,उपहार,3,उमा शर्मा,1,उम्र,1,उम्र का लिहाज,1,ऋषि पंचमी,1,ऋषि सुनक,1,एक सवाल,1,एल पी जी गैस,1,एल्युमिनियम फॉयल पेपर,1,एल्युमीनियम,1,एल्युमीनियम के बर्तन,1,ऐनी दिव्या,1,ऐश ट्रे,1,ऐस्टरॉइड,1,ऑनलाइन,1,ओट्स,1,ओट्स वेजिटेबल ढोकला,1,ओरियो स्वीट रोल,1,ओरैया,1,और इज्जत बच गई,1,औरंगाबाद हादसा,1,कंगन,1,कंघा,1,कंडेंस्ड मिल्क,1,कंसन्ट्रेट आम पना,1,कच्चा केला,1,कच्चे आम,2,कच्चे आम का चटपटा पापड़,1,कच्चे आम की चाटवाली चटनी,1,कछुआ,1,कटलेट्स,2,कढ़ी,1,कद्दु,1,कद्दु के गुलगुले,1,कद्दू,1,कद्दू का बेसन,1,कन्यादान,4,कन्यामान,1,कबीर सिंह मूवी,1,कम तेल की रेसिपी,2,कमाई,1,कमाने वाली बहू,1,करवा चौथ,2,करवा चौथ शायरी,1,करवा-चौथ,7,कर्नाटक स्कूल,1,कर्नाटक हिजाब 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येदियुरप्पा,1,बुढ़ापा,1,बुर्ज अल-अरब,1,बुर्ज खलीफा,1,बुलंदशहर गैंगरेप,1,बुलबुल के पंख,1,बूरा,1,बेटा,3,बेटा पढाओ,1,बेटियां,1,बेटी,9,बेटी बचाओ अभियान,2,बेटे का फ़र्ज,1,बेबस और निरीह जानवर,1,बेबी फार्मिंग,1,बेमेल आहार,1,बेसन,2,बेसन के लड्डू,1,बेसन वाली कुरकुरी हरी मिर्च,1,बैंगन,1,बोझ,1,बोर होना,1,ब्रम्हाजी,1,ब्रिटेन के प्रधानमंत्री,1,ब्रेकअप,1,ब्रेकिंग न्यूज,1,ब्रेड,7,ब्रेड की रसमलाई,2,ब्रेड के शक्करपारे,1,ब्रेड पकोडा,1,ब्रेड पिस्ता पेढे,1,ब्रेड मलाई रोल,1,ब्रेड सैंडविच ढोकला,1,ब्रेन हेमरेज,1,ब्लैकमेल,1,ब्लॉगअद्दा एक्टिविटी,1,ब्लॉगर ऑफ द इयर 2019,1,ब्लॉगर्स रिकोग्निशन अवार्ड,1,ब्लॉगिंग,8,ब्ल्यू व्हेल गेम,1,भक्ति,1,भगर,5,भगर की इडली,1,भगर के उत्तपम,1,भगर के कटलेट,1,भगवान,4,भजिए,2,भरता,1,भरवां मिर्च,1,भरवां शिमला मिर्च,1,भरवां हरी मिर्च का अचार,1,भाई दूज शायरी,1,भाकरवडी,1,भाकरवड़ी,1,भागीरथी अम्मा,1,भात गीत,1,भाभी,1,भारत,2,भारतीय नारी,1,भारतीय मसाले,1,भाविना पटेल,1,भिंडी,3,भिखारी,1,भुट्टे के पकोड़े,1,भूकंप,1,भूख,1,भोंदू,1,भोजन,1,भ्रुण हत्या,1,मंदसौर गैंग रेप,1,मंदिर,4,मंदिरों में ड्रेस 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आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल: क्या माहवारी (पीरियड्स) से होना नारी का गुनाह या पाप है??
क्या माहवारी (पीरियड्स) से होना नारी का गुनाह या पाप है??
इंसान चाहे चाँद पर जाए या मंगल पर पानी की खोज करे, नारी ऐसे-ऐसे अंधविश्वास की शिकार है कि जैसे नारी जानबूझ कर और पुरे होशो-हवास में रजस्वला होने का महापाप करती है।
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आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल
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