दोस्तों, क्या आप आरओ (RO) का पानी पीते हैं? यदि हां, तो यह लेख आप ही के लिए हैं। एक बार इसे अंत तक जरुर पढ़िएगा। क्योंकि जिस आरओ के पानी को आप शुद्ध और सेहतमंद समझकर पी रहे हैं, वो आपको नुकसान भी पहुंचाता हैं।
दोस्तों, क्या आप भी आरओ (reverse osmosis) का पानी पीते हैं? यदि हां, तो यह लेख आप ही के लिए हैं। एक बार इसे अंत तक जरुर पढ़िएगा। क्योंकि जिस आरओ के पानी को आप शुद्ध और सेहतमंद समझकर पी रहे हैं, वो आपको नुकसान भी पहुंचाता हैं।
विकसित देशों के समंदर के पानी में घुलित खनिजों (टीडीएस) की मात्रा बहुत ज्यादा रहती हैं। इसीलिए वहां पर समंदर के खारे पानी को पीने लायक बनाने के लिए आरओ का इस्तेमाल होता हैं। किंतु अब विकसित देशों में भी आरओ का इस्तेमाल कम करने पर जोर दिया जा रहा हैं। भारत में मौजुद पानी में टीडीएस की मात्रा कम होने के बावजूद पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक हैं ऐसा डर दिखा कर विभिन्न कंपनियां और डिलर्स धडल्ले से आरओ प्युरिफायर बेच रहे हैं। इन कंपनियों के झांसे में आकर भारत में आरओ की मांग दिन ब दिन बढ़ रही हैं। जब आरओ इलेक्ट्रॉनिक मशीन पानी को फिल्टर करती हैं, तो मशीन को अच्छे या बूरे मिनरल्स की कोई पहचान नहीं होती। इसीलिए वो अच्छे और बूरे सभी मिनरल्स को निकाल कर बाहर कर देती हैं।
TDS (Total dissolved Solid) क्या हैं?
इंडिया वॉटर क्लालिटी एसोसिएशन से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी की गुणवत्ता कई जैविक और अजैविक मापदंडो से मिल कर निर्धारित होती हैं। पानी में घुली हुई सभी चीजों को टीडीएस कहते हैं। टीडीएस पानी की गुणवत्ता निर्धारित करने वाले 68 मापदंडो में से सिर्फ़ एक मापदंड हैं। पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले जैविक तत्वों में कई प्रकार के बैक्टीरिया तथा वायरस हो सकते हैं। वहीं, अजैविक तत्वों में क्लोराइड, फ्लोराइड, आर्सेनिक, जिंक, सीसा, कैल्शियम, मैग्नीज, सल्फेट, नाइट्रेट जैसे खनिजों के साथ-साथ पानी का खारापन पीएच मान, गंध, स्वाद और रंग जैसे गुण शामिल हैं।
ब्यूरो ऑफ इंडीयन स्टैंडर्ड (BIS) के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियम) टीडीएस सहन कर सकता हैं। आरओ के पानी से सामान्यत: 18 से 25 पीपीएम टीडीएस मिल रहा हैं, जो काफ़ी कम हैं। टीडीएस का मानक स्तर 70-150 के बीच होना चाहिए। वरना पानी डिस्टिल वाटर बन जाता हैं।
आरओ वाटर प्युरीफायर के फायदे-
आरओ वाटर प्यूरीफायर का सबसे बड़ा फायदा यह हैं कि यह पानी का भारीपन दूर कर देता हैं। जिससे यह पचने में सही होता हैं और इस पानी से खाना भी जल्दी पकता हैं। जो साधारण फिल्टर होते हैं वह सिर्फ धूल मिट्टी को ही दूर करते हैं इससे पानी शुद्ध नहीं होता। RO water purifier न केवल धूल मिट्टी को खत्म करता है मगर वह कई प्रकार के बैक्टीरिया को भी खत्म कर देता हैं।
किन लोगों को आरओ की जरुरत नहीं हैं?
• जिन इलाकों में पानी ज्यादा खारा नहीं हैं, वहां आरओ की जरुरत नहीं हैं।
• जिन जगहों पर पानी के टीडीएस की मात्रा 500 मिलिग्राम प्रति लीटर से कम हैं, वहां पर घरों में सप्लाई होने वाले नल का पानी सीधे पीया जा सकता हैं।
• जिन जगहों पर पानी के टीडीएस की मात्रा 500 मिलिग्राम प्रति लीटर से कम हैं, वहां पर घरों में सप्लाई होने वाले नल का पानी सीधे पीया जा सकता हैं।
• यदि सरकारी एजेंसियों की नल की पाइप लाइने सही हैं, उनमें लीकेज नहीं हैं और पानी टैंक में स्टोर नहीं किया जा रहा हैं, तो आरओ की जरुरत नहीं हैं।
आरओ के पानी के नुकसान-
• सेहत के लिए नुकसानदायक-
आरओ से पानी में मौजुद जरुरी कैल्शियम तथा मैग्नेशियम 90-99% तक नष्ट हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति के पाचनतंत्र पर बूरा प्रभाव पड़ता हैं, हड्डी, लीवर, किडनी, बीपी, और दिल की बीमारी हो सकती हैं और तो और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती हैं।
• पानी का अपव्यय-
आरओ से पानी साफ़ होने की प्रक्रिया में पानी का बहुत ज्यादा अपव्यय होता हैं!
आरओ जैसी मशीनों से हर दिन करोड़ो लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। आरओ सिस्टम से हर एक लीटर पानी साफ करने के पीछे तीन लीटर पानी वेस्ट होता है। वेस्ट जाने वाले 75 प्रतिशत पानी को कई कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। सिर्फ 5 प्रतिशत ही लोग आरओ से निकले पानी को इस्तेमाल करते हैं। भारत में 16 करोड़ 30 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें पीने के लिए साफ़ पानी नहीं मिलता। यह संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह हैं कि क्या हमें आरओ से इतना पानी बरबाद होने देना चाहिए?
• आरओ का पानी बहुत महंगा पड़ता हैं-
आरओ वाटर पानी को साफ़ तो कर देता हैं लेकिन इसकी पानी साफ़ करने वाली मेम्ब्रेन कुछ ही दिनों में ख़राब हो जाती हैं। जिस कारण इसे बार-बार बदलना पड़ता हैं। मेम्ब्रेन का खर्चा और बिजली का बिल कुल मिला कर आरओ का पानी बहुत महंगा पड़ता हैं!
• आरओ पानी में भी बैक्टीरिया का ख़तरा रहता हैं!!
आरओ पानी को तब तक ही शुद्ध करता हैं, जब तक इसके सभी पार्ट्स सही रहते हैं। लेकिन जैसे ही आरओ के पार्ट्स पुराने हो जाते हैं, इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती हैं। जिससे पानी का टीडीएस बढ़ जाता हैं और बैक्टीरिया का भी ख़तरा रहता हैं। आरओ के पानी की टंकी और पाइप में कचरा जमा हो जाने से भी कुछ दिन के बाद ही संक्रमण का ख़तरा पैदा हो सकता हैं।
वास्तव में एक बार आरओ मशीन लगाने के बाद जब तक वो ख़राब नहीं होती लोग उसकी सर्विसिंग करवाना भुल जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर पांच महीने बाद आरओ की सर्विसिंग करवाना जरुरी हैं। क्योंकि पांच महीने बाद पानी का टीडीएस अपने आप बढ़ जाता हैं। फिल्टर के दौरान मेम्ब्रेन में ऑटोमेटिक मिनरल मिलाने की जो तकनीक होती हैं वो फेल हो जाने से पानी में जो थोड़े बहुत मिनरल्स हमें मिलते हैं, वो भी नहीं मिलते।
दोस्तों, आरओ के पानी को सॉफ्ट वाटर भी कहा जाता हैं, जो प्यास तो बुझा सकता हैं, पानी को शुद्ध तो करता हैं लेकिन आपके स्वास्थ्य की रक्षा नहीं कर सकता। अत: अब आप ही सोचिए कि आरओ का पानी पीना चाहिए या नहीं?
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज 27 एप्रिल 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,यशोदा दी।
हटाएंसत्य को उदभाषित करता उपयोगी आलेख।
जवाब देंहटाएंआर ओ पानी पर अत्यंत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने।
जवाब देंहटाएंयह जानकारी कि आरओ से पानी में मौजुद जरुरी कैल्शियम तथा मैग्नेशियम 90-99% तक नष्ट हो जाते हैं। जिससे व्यक्ति के पाचनतंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं, हड्डी, लीवर, किडनी, बीपी, और दिल की बीमारी हो सकती हैं और तो और रोगप्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती हैं, -अत्यंत ही आवश्यक है।
आरो से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने ...
जवाब देंहटाएंसच में एक दुविधापूर्ण निर्णय है सोच समझ कर लेने वाला निर्णय ...
बहुत ही लाभदायक जानकारी दी आपने ज्योति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी साझा की आपने वो भी इतने सरल शब्दों में। हम भी वही इस्तेमाल कर रहे हैं विवशता से क्यूंकि यहां राजधानी में इसके अतिरिक्त सिर्फ एक ही विकल्प है वो है बोतल बंद पानी।
जवाब देंहटाएंआर ओ पानी के बारे में बहुत ही अच्छी और महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने ज्योति जी!
जवाब देंहटाएंलेकिन क्या करें मजबूरी अब आदत बन गयी सालों से आर ओ का ही पानी पीते हैं दूसरा ऑप्शन ही नहीं है। पर जहाँ सम्भव हो वहाँ इस आर ओ से दूर ही रहना चाहिये।
बहुत ही महत्वपूर्ण लेख।
सुधा दी, सेहत अच्छी रखनी हैं तो आदत बदली भी जा सकती हैं। स्वयं विचार कीजिए।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंयह भी धोखा-धड़ी का व्यापार है
जवाब देंहटाएंhttps://kuchhalagsa.blogspot.com/2019/05/blog-post_74.html
विडंबना यहीं हैं कि पढ़े लीखे लोग भी इस धोखा धडी को नहीं समझ पाते।
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