वैलेंटाइन डे मनानेवाले और विरोध करनेवाले दोनों ही सच्चाई से अनजान है। जानिए, क्या है वैलेंटाइन डे की सच्चाई...!!!
वैलेंटाइन डे का असली मतलब
लोगों को लगता है कि ऋषि वैलेंटाइन ने प्यार करनेवालों को हरी झंडी दिखाई थी...उन्हें प्यार करने की आज़ादी दी थी! वैलेंटाइन डे मानो प्यार करने की स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता का प्रतीक बन गया है। कॉलेज पढ़ने वाले लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे को वैलेंटाइन कार्ड दे रहे है जिस पर लिखा रहता है “Would you be my valentine” जिसका असली मतलब होता है “क्या आप मुझसे शादी करेंगे”। लेकिन इन लोगों को लगता है कि इसका मतलब है “क्या आप मुझसे प्यार करती/करते हो” इस तरह असली मतलब पता न होने से इन लोगों को तो लगता है कि वैलेंटाइन याने प्यार करने की आजादी! और आजादी पाने के लिए तो इंसान कूछ भी करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए ही आज का युवावर्ग इसे जोरशोर से मना रहा है। कुछ लोगों को तो लगता है कि वैलेंटाइन याने 'प्यार'... फ़िर वो चाहे युवक-युवतियों का हो, भाई-बहन का हो या माँ-बेटे का हो! इसलिए वे यह कार्ड माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी सभी को देते है! अब आप ही बताइए, क्या आप अपने माँ-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी को यह कहेंगे कि “क्या आप मुझसे शादी करेंगे??” सिर्फ़ ऐसा सोचकर ही इस नासमझी पर हंसी आती है। कितने भेडचाल के रुप में चलते है हम!! कोई वैलेंटाइन डे मना रहा है तो हमें भी मनाना है...बिना यह जाने कि यह क्यों मनाया जाता है!
जिन लोगों को लगता है कि समाज में लोगों को प्यार करने की खुल्लमखुल्ला आज़ादी नहीं मिलनी चाहिए... इससे समाज में अराजकता फैलेगी...हमारी संस्कृति का विनाश होगा...वे लोग इसका विरोध करते है। जबकि वैलेंटाइन ने खुल्लमखुल्ला प्यार का विरोध किया था। उन्होंने प्यार करनेवालों की बाक़ायदा शादियाँ करवाई थी!
वास्तव में, वैलेंटाइन डे का असली मतलब है, यूरोप की ‘लीव इन रीलेशनशिप’ का विरोध और भारत की ‘शादी’ जैसी पवित्र संस्था का समर्थन! ‘लीव इन रीलेशनशिप’ का मतलब है,"बिना शादी किए पति-पत्नी की तरह रहना"
वैलेंटाइन डे की कहानी
ऋषि वैलेंटाइन का जन्म 478 A D (after death) याने ईसा के मृत्यु के 478 साल बाद हुआ था। उन दिनों यूरोप और अमेरिका के लोगों को ‘शादी’ की परंपरा के बारे में जानकारी नहीं थी। वे नहीं जानते थे कि व्यक्ति की एक पत्नी हो सकती है या किसी महिला का एक ही पति हो सकता है। जिनसे जन्म लेनेवाले संतानो के साथ मिलकर एक ‘परिवार’ का निर्माण होता है। वे ‘परिवार’ की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। युरोपिय दार्शनिक प्लेटो ने लिखा है कि “मेरा 20-22 स्त्रियों से संबंध रहा है।“ अरस्तु का कथन है कि उसने कितने ही स्त्रियों से संपर्क किया। देकार्ते भी यहीं कहते है! रुसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि “एक स्त्री के साथ रहना तो कभी भी संभव नहीं हो सकता!” उन दिनों यूरोप में महिलाओं को एक इंसान के रुप में मान्यता नहीं थी। दार्शनिकों के मुताबिक स्त्री में आत्मा ही नहीं होती थी। उन्हें मेज-कुर्सी के समान माना जाता था। जब पुरानी से मन भर जाए तो नई ले आओ! यूरोप और अमेरिका में शायद ही ऐसा कोई पुरुष या महिला थी जिसकी शादी हुई हो! ऋषी वैलेंटाइन ने देखा कि लोग पशुओं की भांती रहते है और उन्ही की भांती संभोग करते है। जब वैलेंटाइन ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता का अध्ययन किया तब उन्हें पता चला कि भारत में ‘शादी’ होती है जिससे ‘परिवार’ नाम की पवित्र संस्था का निर्माण होता है। परिवार के अंतर्गत एक स्त्री को एक पुरुष के साथ आजीवन के लिए बंधना पड़ता है। परिवार के फ़ायदे उनके ख्याल में आए। सबसे बड़ा फायदा यह कि एक ही स्त्री या पुरुष से बंधे रहने के कारण सेक्स जनित रोग नहीं होंगे। इस तरह भारतीय परंपरा ‘शादी’ और ‘परिवार’ का महत्व समझ में आने से उन्होनें इसे पूरे यूरोप में लागू करने की ठानी। वे पूरे यूरोप में घूम घूम कर लोगों को जागृत करते। लोगों को उनकी बातें समझ में आने लगी। उनकी प्रतिभा को देखकर उन्हें चर्च का पादरी बनाया गया। जिन लोगों को उनकी बातें सही लगती वे चर्च में आकर उनसे अपनी शादी करवाने लगे। उस समय रोम का राजा क्लौडियस था। क्लौडियस का मानना था कि विवाह करने से पुरुषों की शक्ति एवं बुद्धि खत्म हो जाती है। इसी वजह से उसने पूरे राज्य में आदेश जारी किया था कि उसका कोई भी सैनिक या अधिकारी शादी नहीं करेगा। क्लौडियस ने वैलेंटाइन को शादी करवाने का कार्य रोकने की हिदायते दी। लेकिन महापुरुष कहां किसी धमकी से डरते है! तब राजा ने उन्हें यूरोपियन समाज को, भारतीय विवाह प्रणाली को अपनाकर अपसंस्कृति फ़ैलाने के आरोप में 14 फरवरी 498 A D को सार्वजनिक रुप से फ़ांसी दी। फाँसी के वक्त उनकी उम्र सिर्फ़ 20 साल थी।
जिन बच्चों ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दु:खी हुए और उन लोगों ने ही उनकी याद में वैलेंटाइन डे मनाना शुरु किया। इसका साफ़-साफ़ मतलब है कि शादी करनेवाले लोग वैलेंटाइन डे मनाते है। भारत में तो शादी होना आम बात है...फ़िर कॉलेज के युवक-युवतियां वैलेंटाइन डे क्यो मनाते है और विरोध करनेवाले विरोध क्यों करते है?? आजकल 14 फरवरी के दिन हर तरफ़ वैलेंटाइन डे का जो जश्न दिखाई देता है, जो दिवानगी दिखाई देती है वो बाजारवाद की देन है। ये बाजारवाद है, जो गंजे को भी कंघे बेचता है। अपना सामान बेचने हेतु ये लोग वैलेंटाइन डे का इतना प्रचार करते है कि जनता उनकी बातों में फ़ंस जाती है। फरवरी महिने के शुरवात में ही हर तरफ़ वैलेंटाइन डे संबंधीत विभिन्न विज्ञापनों, जोक्स एवं मैसेजेस की भरमार हो जाती है।
एक जोक्स पढ़िए,
दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे...
पहला- भाई ये 14 फरवरी को क्या है?
दूसरा- तेरे पास बीवी है या गर्लफ्रेंड?
पहला- बीवी है।
दूसरा- तो फ़िर महावीर जयंती है।
इस तरह के जोक्स ये ही बात साबित करते है कि हम वैलेंटाइन डे का गलत मतलब निकाल रहे है। दरअसल वैलेंटाइन डे शादी-शुदा लोग ही मनाते है। प्यार पहले भी होता था। हमारे पिता ने भी हमारी माँ से प्यार किया था तो हमारी माँ ने भी हमारे पिता से प्यार किया था। लेकिन उनका प्यार किसी वैलेंटाइन डे का मोहताज नहीं था! अत: खुद सोचिए...भारत में, जहां शादी होना आम बात है, वहां के लोगों ने बाजारवाद के शिकार होकर क्या इसे मनाना चाहिए? और जिन वैलेंटाइन ने ‘लीव इन रिलेशनशिप’ का विरोध कर भारतीय परंपरा “शादी या विवाह” का समर्थन किया था उन वैलेंटाइन का विरोध करना चाहिए??
एक जोक्स पढ़िए,
दो दोस्त आपस में बात कर रहे थे...
पहला- भाई ये 14 फरवरी को क्या है?
दूसरा- तेरे पास बीवी है या गर्लफ्रेंड?
पहला- बीवी है।
दूसरा- तो फ़िर महावीर जयंती है।
इस तरह के जोक्स ये ही बात साबित करते है कि हम वैलेंटाइन डे का गलत मतलब निकाल रहे है। दरअसल वैलेंटाइन डे शादी-शुदा लोग ही मनाते है। प्यार पहले भी होता था। हमारे पिता ने भी हमारी माँ से प्यार किया था तो हमारी माँ ने भी हमारे पिता से प्यार किया था। लेकिन उनका प्यार किसी वैलेंटाइन डे का मोहताज नहीं था! अत: खुद सोचिए...भारत में, जहां शादी होना आम बात है, वहां के लोगों ने बाजारवाद के शिकार होकर क्या इसे मनाना चाहिए? और जिन वैलेंटाइन ने ‘लीव इन रिलेशनशिप’ का विरोध कर भारतीय परंपरा “शादी या विवाह” का समर्थन किया था उन वैलेंटाइन का विरोध करना चाहिए??
Hahaha...do doston wali baat gajab hai! Sahi matlab samjhaya aapne
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,आलोक!
हटाएंबहुत अच्छी पोस्ट ज्योति मैम ....सच में आज लोगों को वैलेंटाइन का असली मतलब पता ही नहीं है.... वैलेंटाइन का सही मतलब बताने के लिए आपनी बहुत मेहनत की है ...काफी रोचक और जरुरी जानकारियां दी हैं...जो हर किसी को पता होनी चाहिये ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,पुष्पेंद्र।
हटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन जन्मदिन भी और एक सीख भी... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
हटाएंसुन्दर पोस्ट।
जवाब देंहटाएंदो दोस्त आपस में बात कर रहे थे...
जवाब देंहटाएंपहला- भाई ये 14 फरवरी को क्या है?
दूसरा- तेरे पास बीवी है या गर्लफ्रेंड?
पहला- बीवी है।
दूसरा- तो फ़िर महावीर जयंती है।
हाहाहा ! बढ़िया सन्दर्भ है ! बढ़िया पोस्ट को हलके फुल्के अंदाज में लिखा है आपने ! मेरे लिए भी महावीर जयंती ही है :)
योगी जी, यह आपके अपने हाथ में है कि आप क्या मनाते है। उत्सव तो होते ही मनाने के लिए। लेकिन...बस थोड़ा सोच समझ कर...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख है आपका ज्योति जी । मेरा मानना तो यही है कि स्त्री-पुरुष के हृदयों में सच्चा प्रेम है तो प्रत्येक दिन ही वैलेंटाइन डे है और प्रत्येक दिन ही मदनोत्सव है । आप निस्संदेह मुझसे अधिक ही ज्ञान रखती होंगी लेकिन मैं अपना भी कुछ ज्ञान इस संदर्भ में आपके साथ बाँट रहा हूँ । मेरे संज्ञान के अनुसार वैलेंटाइन डे केवल रूमानी प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए ही नहीं है, इस दिन माता-पिता और सन्तानें भी, भाई-बहन भी, गुरु-शिष्य भी तथा अभिन्न मित्र (एवं सहेलियाँ) भी अपने पारस्परिक प्रेम, आदर एवं सद्भाव को अभिव्यक्त कर सकते हैं तथा उसके प्रतीक-स्वरूप एक-दूसरे को उपहार दे सकते हैं । प्रेम किसी भी रूप में हो तथा किसी के भी लिए हो, वैलेंटाइन डे को उसे समर्पित किया जा सकता है । मैं तो प्रत्येक प्रेमी-हृदय को शुभकामनाएं ही देता हूँ । शर्त केवल इतनी ही है कि उसका प्रेम शुद्ध होना चाहिए, पवित्र होना चाहिए, निष्काम एवं निस्वार्थ होना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंजीतेन्द्र जी, मैं अपने लेख के माध्यम से यही तो बताना चाह रही हूं कि वैलेंटाइन डे प्यार की अभिव्यक्ति का दिन नहीं है। वैलेंटाइन डे शादी शुदा लोग मनाते है। अतः इस दिन के नाम पर माता पिता, भाई बहन या अन्य रिश्ते के प्यार को अभिव्यक्त करने का कोई तुक ही नहीं है।
हटाएंप्यार को हम साल के किसी भी दिन व्यक्त कर सकते है। लेकिन वैलेंटाइन डे के नाम पर ...यह सिर्फ बाजारवाद के शिकार होकर की गई हमारी नासमझी ही कहलाएगी।
वाह! ज्योति जी बहुत ही सही लिखा है आपने मै भी आपसे सहमत हूँ प्यार का कोई दिन होना प्यार की असीमितता को बाँधने जैसा है।प्यार को व्यक्त करने के लिये किसी दिन / शब्द या उपहार की आवश्यकता नहीं है।
जवाब देंहटाएंप्रेम अलौकिक और आत्मिक होता है।वेलेंटाइन के नाम पर आज प्रेम के मायने बदल रहे है।
आपकी रचना सराहनीय है।
This one is a superb and strong pot in the eve of Valentine days, some people have the habit to follow it blindly without knowing the original reason,though they are Educated....
जवाब देंहटाएंWish this post will be an eye opener for few people, yes few coz...in the gorgeousness of celebration most people has became blind.
Aur waise bhi aajakal muhabbat hoti kaha hai...iss valentine kisi ek ke saath toh aagle saal kisi aur ke saath.
बहुत सही और प्रेरक लेख है ज्योति जी . हर व्यक्ति के पढ़ने और समझने की बात है .
जवाब देंहटाएंBahut accha article likha aapne.....valentine day ko kuch log samajh nahi pate, Love ke asli means ko veh nahi samajh pate....aapne acchi tarah explain kar diya.....thanks.......
जवाब देंहटाएंsaaf-suthare shabdo se likhi .
जवाब देंहटाएंsundar rachna .
जितना भी मैंने अभी तक internet से पढ़ा है पहली बार किसी ने Valentine के बारे में बिलकुल सही-सही लिखा .अन्य तो यही कहते रहते है कि Valentine सभी के साथ मनाईये ,हर एक को तोहफा दे सकते है ,यह वो .....पढ़कर बहुत ही हंसी आती थी ,लेकिन आज पहली बार internet पर बिलकुल सही लेखा पढ़ा .
जवाब देंहटाएंValentine कोई मजाक नहीं ,जैसे आज कल mostly हर एक युवा मनाता है या फिर सोचता है कि यह भी मेरा/मेरी वैलेंटाइन वो भी मेरा/मेरी वैलेंटाइन . हम इंसान है न कि कोई जानवर जो हर एक के साथ ही ...... करते रहे .
लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे भारत को ,हमारी सभ्यता को बाहरली सभ्यता ने ब्रह्म में डाल दिया है और आज कल लोग कहते है कि हर एक औरत ,हर एक आदमी को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए कि वह किसी के साथ भी कुछ भी कर सके ,अगर दोनों की सहमति हो .
क्या हम कभी अपना शरीर बदल सकते है ? क्या हमारी आत्मा एक-शरीर से दुसरे शरीर में जा सकती है ? नहीं , तो फिर जो हमारे शरीर का आधा हिस्सा है ,उसे छोड़कर हम कैसे किसी अन्य को अपना हिस्सा बना सकते है . पत्नी को अर्धांगिनी कहते है ,यानी की हमारे शरीर का आधा हिस्सा ,कोई भी पति सिर्फ अपनी पत्नी के साथ ही संपूर्ण हो सकता है क्यूंकि वह ही उसका आधा अंग है . अगर किसी अन्य के साथ भी कोई सम्पूर्ण होने का सोचेगा तो कैसे हो सकता है ,क्यूंकि कोई अन्य उसका है ही नहीं . अगर फिर भी कुदरत के नियमो के खिलाफ जाएगा तो फिर चिंता ही हाथ लगेगी और life भी विपरीत हो जायेगी .
आपने आज के युवाओं को सही समझ देने के लिए बहुत ही बढ़िया लिखा . आशा करता हूँ कि आपने जो लिखा उसे सभी लोग समझे और इस पर अमल भी करे और दूसरों को भी सही-सही समझ दे ताकि हम एक बार फिर से कह सके ,मेरा भारत महान और भारतीय सभ्यता से बेहतर कोई नहीं .
एक और बात ,चुटकला तो मजेदार है ,लेकिन कभी भी महावीर जयंती feb month में नहीं आती .
निखिल जी, बिलकुल सही कहा आपने। हम भारतीय वैलेंटाइन का गलत मतलब निकाल रहे है। इसलिए ही हर किसी को चाहे वह माता पिता ही क्यों न हो उसे हमारा वैलेंटाइन बता रहे है। इसलिए यह छोटी सी कोशिश थी सही मतलब बताने की।
हटाएंजहा तक महावीर जयंती की बात है तो मुझे यह चुटकुला व्हाट्स एप पर मिला था। चुटकुले बनाने वाले कहा असलियत को जानने ली कोशिश करते है। उन्हें तो बस हास्य बनाना होता है।
प्रशंसनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंJyoti ji bhut hi sahi steek jaankari hai aur knowledge able .
जवाब देंहटाएंMai aapke is lekh ki kuch lines share kAr rahi hoon .
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति Valentine Day के ऊपर .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंbhut hi accha artical likha aap ne jyoti ji orr mere blog per aane ke liye bhut bhut thxx
जवाब देंहटाएंWell written post , seems you have done good research on the topic , I really appreciate your work :-)
जवाब देंहटाएंज्योंति जी आपने बिल्कुल सही कहा । वैलेंटाइन डे का आज जो रुप है वो बाजारवाद की देन है । प्यार तो प्यार होता है और सच्चे प्यार के लिए किसी वैलेंटाइन की नही बल्कि वैलेंटाइन के अर्थ को समझना जरुरी है । धन्यवाद इस उम्दा लेख के लिए ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति ,इतनी अच्छी जानकारी देने हेतु ।
जवाब देंहटाएंवाह !! बहुत सुन्दर सखी|
जवाब देंहटाएंआप का बहुत- बहुत आभार लेख लिखने के लिए |
सादर
ज्योति, तुमने वैलेंटाइन डे पर अच्छी जानकारी दी है.
जवाब देंहटाएंहम जब विद्यार्थी थे, तब हम यह जानते भी नहीं थे कि वैलेंटाइन डे किस चिड़िया का नाम है.
वैसे वैलेंटाइन डे और महावीर जयन्ती वाला चुटकुला मुझे भी पसंद नहीं आया क्योंकि इस से हम जैन धर्मावलम्बियों की भावनाएं आहत हुई हैं.
गोपेश भाई, क्या जैन धर्म या कोई भी धर्म इतना सस्ता है कि छोटे मोटे जोक्स से धर्म का नुकसान हो सकता है?
हटाएंबहुत ही सुंदर लेख!
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