मन में सवाल आता है कि इस आजादी से हमें क्या मिला? आज कितने भी बिगड़े हालात पर हम खुलकर लिख-बोल सकते है, ये क्या कम है? दुनिया के बड़े से बड़े और शक्तिशाली देश अब हमारे साथ बराबरी का रिश्ता रखना चाहते है।
15 अगस्त याने स्वतंत्रता दिन के आसपास सोशल मीडिया पर देश की सकारात्मक छबी से ज्यादा नकारात्मक छबी पेश करनेवाली पोस्ट्स प्रकाशित होती है। वो सब पढ़कर मन में स्वाभाविक सवाल आता है कि आखिर इस आज़ादी से हमें क्या मिला? हमारे पूर्वजों ने क्या इसी आज़ादी के लिए खून बहाया था? हताशा में कई बुजुर्ग तो यहां तक कह देते है कि इससे तो अंग्रेजों का शासन ही अच्छा था! जिस देश में आए दिन बहन-बेटियों पर बलात्कार हो, युवा देश हित के कार्यों के बजाय सिर्फ नारेबाज़ी कर कर रातों रात हीरो बनना चाहते हो, वहां ये सवाल मन में उठना स्वाभाविक है। हाल ही में कश्मीर के संदर्भ में नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि “जिन युवाओं के हाथों में किताबें और लैपटॉप होने चाहिए, मन में सपने होने चाहिए, उनके हाथों में पत्थर होते है!”
आज कुछ मुट्ठी भर लोग, हम सवा सौ करोड़ भारतीयों की बुद्धि को ललकार रहें है। वो हमें क्षेत्रीयता और जातियता के नाम पर उकसा रहें है। और हम सवा सौ करोड़ भारतीय असलियत जानते-समझते हुए भी उनके चंगुल में फँस रहें है। आज अफ़ज़ल गुरु, बुरहान वानी जैसों को शहीद बताना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बन गई है। ट्रेन हो, मॉल हो या बाजार हो, कब छिपाकर रखा बम फट जाएगा बता नहीं सकते। सुबह घर से निकला इंसान, शाम को सही-सलामत घर लौटेगा की नहीं कुछ गारंटी नहीं। हमारे नेता लोग भी युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोज़गार देने के तरफ अपना ध्यान लगाने के बजाय युवाओं को आरक्षण का झुनझुना थमा रहें है।
इन सब बातों से ऐसा लगता है कि हमारे देश में सब गलत ही गलत हो रहा है। कहीं भी, कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि ये सब बातें सिक्के का सिर्फ एक पहलू है! हमारा मीडिया नकारात्मक खबरों को प्राधान्य देता है इसलिए हमारे मन में भी देश की नकारात्मक छबी पनपती है। सिक्के का दूसरा पहलू इससे और अधिक उजला एवं साफ है। कितने भी बिगड़े हालात पर हम खुलकर लिख-बोल सकते है, ये क्या कम है? किसी महान व्यक्ति ने कहा है “ये मत सोचों कि इस देश ने तुम्हें क्या दिया, बल्कि ये सोचों तुमने देश को क्या दिया?” ये पंक्तियां हमें हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराती है। जे एन यू में छात्र संघ ने जिस तरह से देशद्रोह के नारे लगाए, क्या ऐसे नारे लगाने की आज़ादी होनी चाहिए? हम जिस देश में रह रहें है, जिस देश का खा पी रहें है, उसी देश के खिलाफ कैसे हो सकते है? क्या ऐसा पाकिस्तान, सऊदी अरब और इरान में हो सकता है? इन लोगों का एक नारा यह भी था कि “हमें भारत से नहीं, भारत में आज़ादी चाहिए!” मैं उन लोगों से कहना चाहती हूं कि भारत में आज़ादी है इसलिए ही तो आप लोग देश विरोधी नारे लगाने के बाद भी आज़ाद घूम रहें हो! वास्तव में इन्हें खुद से आज़ाद होने की दरकार है, खुद के देश विरोधी विचारों से आज़ाद होने की आवश्यकता है!!
हमारे पूर्वजों ने जो खून बहाया था, वह निरर्थक नहीं गया क्योंकि दुनिया के बड़े से बड़े और शक्तिशाली देश अब हमारे साथ बराबरी का रिश्ता रखना चाहते है। अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को पाकिस्तान से नहीं, भारत से दोस्ती पर गर्व है। पहले अमेरिकी माँ अपने बच्चें को कहती थी, “भारत में बच्चें भूखे पेट सो रहें है और तू झूठा छोड़ रहा है?” आज कहती है “बेटा, खूब पढ़ाई कर लें, नहीं तो भारतीय आ रहें है!!” भारत दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को मैनेजर मुहैया करता है। जब अमेरिका आर्थिक मंदी की चपेट में आया तो उससे उबारने के प्रबंधन का प्रभारी, एक भारतीय मैनेजर को बनाया गया। भारतीय वैज्ञानिक, डॉक्टर, प्रबंधनकर्ताओं के बलबूते पर ही अमेरिका विश्व गुरू बना हुआ है। हम पहली बार में ही मंगल पर चले गए और वो भी बहुत कम लागत में! हमारे यहां 1.5 लाख से ज्यादा युवा नेशनल डिफेंस अकादमी के लिए एप्लीकेशन देते है। अपने एक बेटे को सीमा पर खोने के बाद, माँ दूसरे को भी सेना में भेज देती है! पंजाब की 15 साल की जान्हवी बहल कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने का खतरा मोल लेती है। क्यों? देश प्रेम के ही कारण ना! आज पूरे देश को इस बहादुर बेटी पर गर्व है।
सही मायने में आज़ादी का लुफ्त उठाने के लिए हमें अपना दायित्व समझना होगा। हमें सरकार को कोसना बंद कर, वोट देने जाना होगा। सर्वेक्षण बताते है कि पढ़े-लिखें और अमीर लोग वोट कम देते है। जब पढ़े-लिखें लोग अपना दायित्व समझकर बराबर वोट देंगे, तो संसद में अच्छे लोगों के जाने से देश की हालत सुधरेंगी। हमें सिविक सेंस का ध्यान रखकर निष्ठावान एवं स्वाभिमानी बनना होगा। जिस दिन हम सवा सौ करोड़ भारतीयों के दिल में अपना दायित्व बोध जागेगा, हम क्षेत्रियवाद एवं जातिवाद से उपर उठ कर सोचेंगे, उस दिन हमें विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकेगा! अंत में,
गुनाहों से दूर जाना, रमजान का संदेश है;
बुराईयों पर विजय पाना, दशहरा का संदेश है;
दिल से दिल मिलाना, वक्त का संदेश है;
जीवन भर याद रखना, भारत अपना देश है!!
गुनाहों से दूर जाना, रमजान का संदेश है;
बुराईयों पर विजय पाना, दशहरा का संदेश है;
दिल से दिल मिलाना, वक्त का संदेश है;
जीवन भर याद रखना, भारत अपना देश है!!
Keywords: 15 August, India's independence day, India, Freedom
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (15-08-2016) को "तिरंगे को सलामी" (चर्चा अंक-2435) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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आप सबको स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंAjadi par bahut accha lekh likha hai aapne! me aapki har baat se sehmat hoon lekin abhi hamare samne bahut se challenge hain....hame aage badte jana hai aur ek baar fir Bharat ko Vishvguru banana hai......
जवाब देंहटाएंअमूल जी, जहाँ चाह वहाँ राह। यदि हम सब भारतवासी ऐसा सोचते है और उस पर अमल भी करते है, तो वह दिन दूर नहीं जब हम आकाश की बुलंदियो को छुएंगे। मन में शंका कुशंका न रखते हुए अपनी आजादी पर गर्व करेंगे।
हटाएंसार्थक और विचारणीय है आज की पोस्ट ... आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंVery well-written, Jyotiji. Loved your sense of humour, "“बेटा, खूब पढ़ाई कर लें, नहीं तो भारतीय आ रहें है!!”...hehe... :-D
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक लेख की प्रस्तुति। आज देश जातिवाद, धार्मिक उन्मांद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार जैसे समस्याओं से ग्रस्त है। बेशक इसके लिए हम भारत वासी ही जिम्मेदार हैं। हमने कभी भी इन समस्याओं की और ईमानदारी से मंथन नहीं किया।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत पक्तियां ज्योति जी। ....आज़ादी तो हमें मिल गयी थी बाहरी दुश्मन से पर अब वक़्त है अपनों को सही राह पे लाने का.....
जवाब देंहटाएंअत्यंत सार्थक एवं प्रशंसनीय विचारभिव्यक्ति है यह । आभार एवं अभिनंदन ।
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