मरने के बाद स्वर्ग पाने के लिए इंसान कितने पापड़ बेलता है! लेकिन क्या आपके मन में कभी भी यह शंका नहीं आई कि क्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क है या नहीं?
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स्वर्ग और नर्क क्या है?
हमारे धर्मपरायण लोगों ने अपनी तीव्र कल्पनाशक्ति से हमें विस्तार से बताया है कि स्वर्ग क्या है? स्वर्ग में क्या-क्या सुविधायें है और नर्क में कितना कष्ट होता है। उन्होने बताया कि स्वर्ग में इंद्र, वरुण, सूर्य...आदि देवता रहते है, पृथ्वी की सारी पुण्यात्मायें स्वर्ग में रहती है। देवता और पुण्यात्मायें मदिरापान करते हुए अप्सराओं का नृत्य देखते रहते है। स्वर्ग में सब आनंद ही आनंद, सुख ही सुख है। इसके विपरीत नर्क में पापियों को उनके पापों के अनुसार सजा यातनाएँ दी जाती है। गरम-गरम तेल की कढ़ाई में डाला जाता है, बिजली के शॉक लगाए जाते है और विभिन्न प्राणी दर्द से कराहते रहते है,चिल्लाते रहते है!! सामान्यत: स्वर्ग और नर्क बोले तो, यहीं दृश्य हमारे आंखों के सामने आता है।
स्वर्ग और नर्क कहां पर है?
कहा जाता है कि स्वर्ग उपर है और नर्क निचे है। लेकिन यदि स्वर्ग उपर अंतरिक्ष में कहीं पर है, तो आज इसरो और नासा जैसी संस्थाओं द्वारा अंतरिक्ष में इतने उपग्रह भेजे गए है और जब ये उपग्रह अंतरिक्ष में लाखों-करोड़ों किलोमीटर तक यात्रा करते है, तो इन्हें कहीं तो स्वर्ग दिखता!! ठीक उसी तरह ज़मीन के भीतर, समुद्र के अंदर सैकड़ों फूट तक खुदाई करने पर भी आज तक कहीं भी नर्क नहीं मिला! क्यों?
क्या विभिन्न धर्मों के लिए स्वर्ग और नर्क अलग-अलग है?
हिंदु धर्म में स्वर्ग की कल्पना में, एक सभागृह में देवतागण मदिरापान करते हुए बैठे हुए है और अप्सराओं का नृत्य चल रहा है, यही है। इसमें कहीं भी ईसा-मसीह, बुद्ध, मुस्लिमों या जैनियों के भगवान नहीं है! हिंदुओं के स्वर्ग में बाकि धर्मों के देवी-देवता क्यों नहीं रह सकते? इसी तरह मैने कहीं पर पढ़ा था कि जैनिओं के मंदिरों में स्वर्ग का हवाई चित्र बना हुआ रहता है। जिसमें सभी चौबीस तिर्थकरों के मकान बने हुए है। पर उनमें कहीं भी कृष्ण, बुद्ध, ईसा-मसीह का घर नहीं है। क्या जैनियों का स्वर्ग सिर्फ जैन साधुओं के लिए ही है? बाकि धर्मों के भगवान उनके स्वर्ग में नहीं रह सकते? या फिर धरती की तरह स्वर्ग में भी विभिन्न धर्मों में झगड़े होते है, अत: वहां पर भी अलग-अलग धर्मों के भगवान के लिए अलग-अलग स्वर्ग है? यदि स्वर्ग में भी धार्मिक भेदभाव है, तो क्या हम उसे स्वर्ग कह सकते है??
वास्तविकता
गीता में लिखा हैं कि
''आत्मा पर किसी भी चीज का कोई प्रभाव नहीं होता। आत्मा न पानी में डूब सकती हैं, ना हवा में उड़ सकती हैं और ना ही अग्नि में जल सकती हैं!” तो फ़िर आप ही सोचिए कि जब किसी पापी को नर्क में सजा दी जाती हैं तो कैसे दी जाती हैं? क्योंकि शरीर तो पृथ्वी पर क्या तो जला दिया जाता हैं या दफना दिया हैं। और आत्मा पर हवा, पानी एवं अग्नि किसी भी चीज का कोई असर होता ही नहीं! तो फ़िर नर्क में यातनाएं देंगे किसे? इस बात से साबित होता हैं कि स्वर्ग और नर्क सिर्फ़ हमारी कल्पनाएं हैं और कुछ नहीं!!!
वास्तव में, स्वर्ग और नर्क नाम के स्थान ब्रह्मांड में कहीं भी, है ही नहीं!! सुखों की प्राप्ति को स्वर्ग और दु:खों की प्राप्ति को नर्क कहते है! स्वर्ग हमारी आकांक्षाओं का सबूत है, तथ्यों का नहीं! वास्तविक स्वर्ग तो हमारे मन में है! जो यहां वास्तविक जीवन में संभव नहीं है, जो-जो बातें धरती पर इंसान करना चाहता है लेकिन कर नहीं सकता, उन सभी बातों को हम स्वर्ग में कर सकने का सपना देखते है। जैसे... यहां धरती पर हम रोजी-रोटी कमाने के लिए रात और दिन एक करते रहते है, चाह कर भी आराम से बैठ कर जिंदगी का मजा नहीं ले सकते। मदिरा पान करना, डांस बार में जाना गलत समझते है। जबकि इंसान की स्वाभाविक प्रवृती यह सब करने की होती है। इसलिए हम हमारी कल्पनाओं में, स्वर्ग में हमारे देवताओं को मदिरापान करते हुए और अप्सराओं का नृत्य देखते हुए आराम से बैठे हुए देखते है। जो लोग गर्म स्थानों पर रहते है, उनके स्वर्ग में ठंडी-ठंडी हवायें बहती है एवं जो लोग ठंडे इलाके में रहते है, उनके स्वर्ग में गर्मी रहती है। मतलब जो जो चीजें हमें यहां धरती पर नहीं मिलती, वो सब चीजों की कल्पना हम स्वर्ग में करते है!
गीता में लिखा हैं कि
''आत्मा पर किसी भी चीज का कोई प्रभाव नहीं होता। आत्मा न पानी में डूब सकती हैं, ना हवा में उड़ सकती हैं और ना ही अग्नि में जल सकती हैं!” तो फ़िर आप ही सोचिए कि जब किसी पापी को नर्क में सजा दी जाती हैं तो कैसे दी जाती हैं? क्योंकि शरीर तो पृथ्वी पर क्या तो जला दिया जाता हैं या दफना दिया हैं। और आत्मा पर हवा, पानी एवं अग्नि किसी भी चीज का कोई असर होता ही नहीं! तो फ़िर नर्क में यातनाएं देंगे किसे? इस बात से साबित होता हैं कि स्वर्ग और नर्क सिर्फ़ हमारी कल्पनाएं हैं और कुछ नहीं!!!
वास्तव में, स्वर्ग और नर्क नाम के स्थान ब्रह्मांड में कहीं भी, है ही नहीं!! सुखों की प्राप्ति को स्वर्ग और दु:खों की प्राप्ति को नर्क कहते है! स्वर्ग हमारी आकांक्षाओं का सबूत है, तथ्यों का नहीं! वास्तविक स्वर्ग तो हमारे मन में है! जो यहां वास्तविक जीवन में संभव नहीं है, जो-जो बातें धरती पर इंसान करना चाहता है लेकिन कर नहीं सकता, उन सभी बातों को हम स्वर्ग में कर सकने का सपना देखते है। जैसे... यहां धरती पर हम रोजी-रोटी कमाने के लिए रात और दिन एक करते रहते है, चाह कर भी आराम से बैठ कर जिंदगी का मजा नहीं ले सकते। मदिरा पान करना, डांस बार में जाना गलत समझते है। जबकि इंसान की स्वाभाविक प्रवृती यह सब करने की होती है। इसलिए हम हमारी कल्पनाओं में, स्वर्ग में हमारे देवताओं को मदिरापान करते हुए और अप्सराओं का नृत्य देखते हुए आराम से बैठे हुए देखते है। जो लोग गर्म स्थानों पर रहते है, उनके स्वर्ग में ठंडी-ठंडी हवायें बहती है एवं जो लोग ठंडे इलाके में रहते है, उनके स्वर्ग में गर्मी रहती है। मतलब जो जो चीजें हमें यहां धरती पर नहीं मिलती, वो सब चीजों की कल्पना हम स्वर्ग में करते है!
आवश्यकता
अब सवाल यह आता है कि जब स्वर्ग और नर्क वास्तव में है हीं नहीं, तब हमारे पुराणों में इसकी कल्पना क्यों की गई है? मुझे लगता है, इसके मुख्यत: दो कारण है। एक अच्छा और दूसरा बूरा। अच्छा कारण यह है कि स्वर्ग के सुख की काल्पनिक आशा और नर्क का डर, लोगों को लुभा कर अच्छे मार्ग पर ले आता है, सदाचार के लिए प्रेरित करता है। बुरा कारण यह है कि कुछ धंधे-बाज धर्मपरायण लोग, भोली-भाली जनता को स्वर्ग का लालच देकर और नर्क का भय दिखा कर अपनी दुकानदारी चलाना चाहते है! हमारे धर्मपरायण लोग न तो स्वर्ग में रह कर आए थे और न ही नर्क से गुज़रे थे। फिर असल में स्वर्ग और नर्क में क्या-क्या होता है, इन्हें कैसे पता?
जहां तक मृत्यु के बाद स्वर्ग और नर्क के प्राप्ति की बात है, तो वह बेमानी है। क्योंकि इस शरीर के नष्ट हो जाने के बाद स्वर्ग और नर्क की अनुभुती को बतलाने का कोई उपाय, आज भी विज्ञान के पास नहीं है। मरने के बाद आत्मा कहां जाती है, उसके साथ क्या होता है इसका आज तक कोई भी विश्वसनीय प्रमाण हमारे पास नहीं है! जो भी है सिर्फ कयास ही लगाए जाते है! यहां धरती पर ही जिस घर के लोगों में आपस में प्यार है, उस घर के लोगों को स्वर्ग के सुखों का एहसास होता है। और नर्क का लाइव देखना है तो किसी भी बड़े अस्पताल में जाने पर दर्द से कराहते लोग नर्क का एहसास करा देंगे! इसलिए ही, धरती पर हर इंसान स्वर्ग के सुखों की कामना तो करता है लेकिन स्वर्ग-वासी होना कोई नहीं चाहता!!!
डिस्क्लेमर-
वास्तव में स्वर्ग और नर्क है या नहीं यह आज तक एक रहस्य ही है। क्योंकि मरने के बाद का ज्ञान हमेंं नहीं है। फिर भी यह पोस्ट लिखने का मेरा उद्देश सिर्फ इतना ही है कि कुछ धंधेबाज धर्मपरायण लोगों के बहकावे न आकर हमें सिर्फ अपने स्वयं के आचरण पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। यदी हम किसी का अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर यहीं, धरती पर ही हमें स्वर्ग का सुख मिल सकता है! अंत में इतना ही कहुंगी,
"स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप और क्या पुण्य,
बस..............................................
किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाकि सब कुदरत पर छोड़ दो!!"
यह मेरे अपने विचार है। ज़रुरी नहीं कि आप इससे सहमत ही हो। आपको क्या लगता है? क्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क है?
Keywords: s warg-Nark, heaven and hell, existence of heaven and hell
डिस्क्लेमर-
वास्तव में स्वर्ग और नर्क है या नहीं यह आज तक एक रहस्य ही है। क्योंकि मरने के बाद का ज्ञान हमेंं नहीं है। फिर भी यह पोस्ट लिखने का मेरा उद्देश सिर्फ इतना ही है कि कुछ धंधेबाज धर्मपरायण लोगों के बहकावे न आकर हमें सिर्फ अपने स्वयं के आचरण पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। यदी हम किसी का अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर यहीं, धरती पर ही हमें स्वर्ग का सुख मिल सकता है! अंत में इतना ही कहुंगी,
"स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क का डर छोड़ दो,
कौन जाने क्या पाप और क्या पुण्य,
बस..............................................
किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाकि सब कुदरत पर छोड़ दो!!"
यह मेरे अपने विचार है। ज़रुरी नहीं कि आप इससे सहमत ही हो। आपको क्या लगता है? क्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क है?
क्या भगवान और शैतान होते हैं? हां होते हैं, मगर वो कोई आसमान के परे नहीं होते वो हमारे भीतर ही होते है। जब हम अच्छी और स्वस्थ सोच रखते है तब भगवान जागृत रहते है, जब बुरी संगति और गलत सोच में रहते है तब शैतान होते है वैसे ही जब हम अपने आस-पास का महौल खुशनुमा और आदर्श बनाये रखते हैं तब स्वर्ग जब हम माहौल घृणा और परनिंदा जैसा कृत करते है तब नर्क।
जवाब देंहटाएंज्योति जी सब कुछ इंसान के अंदर और उसके आस-पास ही हैं।
मनीषा जी, बिलकुल सही कहा आपने।
हटाएंYe baat sahi hai ki na aatma ko sastr kaat sakte hai na vayu sukha sakti hai na pani gila kar sakta hai na agni jala sakti hai kyu ki Yeh aatma parmatma ka hi ansh hai. Swarg aur nark mein jeevatma paap aur punye ka fal bhogti hai. Jab manushya marta hai to ye hi jeevatma uss aatamjot ke tukde ko lekar atharth aatma ko lekar aage jati hai aur Swarg aur nark me apne paap karmo ke falsawroop nark me dukh bhogti hai aur apne punye karmo ke falsawroop sukh bhogti hai.
हटाएंMere hisab se Bhagban bhi hote hain, swarg bhi hota hai aur narak bhi hota hai.....in sabhi ka ek hi sthan hota hai aur veh hai--Hamara man...hamare vichar....vaki kaun aur kahan hai....kuch pata nahi.....
जवाब देंहटाएंअमूल जी, बहुत ही कम और सही शब्दों में आपने विचार प्रगट किए है। सब कुछ हमारे मन के अंदर ही है।
हटाएंक्या वास्तव में स्वर्ग और नर्क है?किंतु ये हैं या नहीं ये प्रश्न ही गलत है दूसरी बात जो कहते हैं नहीं है वो किस आधार पर कहती हैं क्या उन्होंने ब्रह्मांड की तलाशी ली है तीसरी बात जो पुराणों में लिखी बातों को काल्पनिक मानते हैं उसका आधार क्या है आखिर जब आधुनिक विज्ञान 0 तब इन्हीं पुराणों में वर्णित विधियों सेआकाश स्थित ग्रहण आदि की जानकारी की जाती थी फिर काल्पनिक कैसे हुए पुराण उसमें वर्णित आयुर्वेद काल्पनिक है क्या , !इसलिए पढ़े लिखे लोग ऐसे प्रश्नों से बचते हैं और बचना चाहिए भी !
जवाब देंहटाएंशेष जी, यह सवाल सिर्फ इसलिए पूछा गया है ताकि स्वर्ग और नर्क के चक्कर में पड़कर हम कभी कभी हमारा वर्त्तमान ख़राब कर देते है, वो न हो। हमें यह बात अच्छी तरह समझनी होगी कि यह सब हमारे मन में ही है।
जवाब देंहटाएंज्योति जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ ।मनुष्य अपने अच्छे कर्मो द्वारा चाहे तो धरती को स्वर्ग बना सकता है और बुरे कर्मो द्वारा नर्क।
जवाब देंहटाएंज्योति जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ ।मनुष्य अपने अच्छे कर्मो द्वारा चाहे तो धरती को स्वर्ग बना सकता है और बुरे कर्मो द्वारा नर्क।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहम किसी का अच्छा नहीं कर सकते, तो कम से कम किसी का बुरा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर यहीं, धरती पर ही हमें स्वर्ग का सुख मिल सकता है" सहमत
जवाब देंहटाएंअगर कोई इन्सान अच्छे कर्म करता है, जितना है उतने में ही खुश है, और उसे भौतिक सुखों कि ज्यादा लालसा नहीं हैं तो उसके लिए यहीं पर स्वर्ग है .....ज्यादा भौतिक सुखों कि लालसा में इन्सान गलत काम करता है और गलत काम करने वालों को नरक यहीं पर भोगना पड़ता है
जवाब देंहटाएंइसके मुख्यत: दो कारण है। एक अच्छा और दूसरा बूरा। अच्छा कारण यह है कि स्वर्ग के सुख की काल्पनिक आशा और नर्क का डर, लोगों को लुभा कर अच्छे मार्ग पर ले आता है, सदाचार के लिए प्रेरित करता है। बुरा कारण यह है कि कुछ धंधे-बाज धर्मपरायण लोग, भोली-भाली जनता को स्वर्ग का लालच देकर और नर्क का भय दिखा कर अपनी दुकानदारी चलाना चाहते है! हमारे धर्मपरायण लोग न तो स्वर्ग में रह कर आए थे और न ही नर्क से गुज़रे थे। फिर असल में स्वर्ग और नर्क में क्या-क्या होता है, इन्हें कैसे पता? सटीक और दमदार बात यहां लिखी आपने ज्योति जी ! ये अवधारणा समाज को बुराइयों से बचाने और संगठित रखने के लिए अपनाई गयी होगी किन्तु इसका गलत उपयोग भी खूब हुआ !!
जवाब देंहटाएंसभी धर्मोंं में स्वर्ग और नर्क के बारे में बताया गया है। यह सच भी हो सकता है। क्योंकि इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं। समय समय पर इंसानों को परालौकिक ताकतों ने संदेश भी दिए हैं। अंतिम परालौकिक संदेश इस्लाम धर्म में मिलता हैं। पर वह बहुत ही वैज्ञानिक है। इस्लाम धर्म को माननेे वाले भी इसे ठीक ढंग से समझ नहीं पाए हैं। इसके बाद परालौकिक और ईश्वरीय शक्ति ने कभी इंसानों को अपना संदेश नहीं दिया है। बल्कि यह स्पष्ट भी किया है कि अब इंसानों को ऐसा कोई संदेश पुन: कभी प्राप्त नहीं होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट !
जवाब देंहटाएंहिंदीकुंज
Mera manana hai ki sawarg aur narak hoa hai. Kyoki isse hi logo ke andar dar ki bhawana hoti hai. aur wo acha kaam karne ke liye vivash hote hai.
जवाब देंहटाएंजो कुछ है वो यहीं ही लगता है ... जिसको अपने कर्मों द्वारा तय किया जाता है ...
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख है और आपकी बात से सहमत हूँ मैं भी ...
फ़र्क करता अगर वो बन्दों में ये ज़मी सबपे तन्ग हो जाती। होते सादिक ज़ुदा जो इन्सा के आसमानों पे ज़न्ग हो जाती (अग्यात)
जवाब देंहटाएंफ़र्क करता अगर वो बन्दों में ये ज़मी सबपे तन्ग हो जाती। होते सादिक ज़ुदा जो इन्सा के आसमानों पे ज़न्ग हो जाती (अग्यात)
जवाब देंहटाएंAll is Fake. #You say exactly right jyoti ji. केवल अच्छे कर्म कीजिये.और हमेशा दूसरों की मदद कीजिये. And first thing भगवान् उन्ही की मदद करता है जो कुछ करना चाहते है. इसलिए भगवान् के भरोषे मत बैठिये हो सकता है की भगवान् आपके भरोषे बैठा हो.
जवाब देंहटाएं"स्वर्ग का सपना छोड़ दो, नर्क का डर छोड़ दो,
जवाब देंहटाएंकौन जाने क्या पाप और क्या पुण्य,
बस..............................................
किसी का दिल न दुखे अपने स्वार्थ के लिए,
बाकि सब कुदरत पर छोड़ दो!!"
यही सच है।
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जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट …. sundar prastuti … Thanks for sharing this!! �� ��
जवाब देंहटाएंNice post keep visiting thank you for sharing
जवाब देंहटाएंRam ram
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