'अनोखा गिफ्ट' कहकर पंकज ने शिल्पा को तलाक के कागजात दिए थे। शिल्पा ने पंकज को ऐसा कौन सा 'अनोखा गिफ्ट' दिया कि गिफ्ट देखकर वो पसीना-पसीना हो गया?
''अरे, इसे तुमने क्यों छुआ? क्या तुम्हें इतना भी पता नहीं कि ये पायल के सतमाहे के पूजा की सामग्री है और ऐसी पूजा सामग्री को बांझ औरत के छुने से अपशकुन होता है? तुम ये तो नहीं सोच रही हो कि तुम्हें बच्चे नहीं हुए तो तुम्हारी ननद को भी नहीं होने चाहिए? कहीं ऐसा तो नहीं कि ननद की खुशी तुमसे देखी नहीं जा रही?''
''मम्मी जी, मैं..." किसी तरह अपने आंसुओं को रोक कर शिल्पा इतना ही बोल पाई थी कि इतने में पायल जो उसकी ननद कम सहेली ज्यादा थी वो बोल उठी,''भाभी, आपसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी। आपको तो खुश होना चाहिए था कि मैं माँ बनने वाली हूं उलटे आप अपशकुन करने में लगी है!"
उसने आशा भरी नजरों से अपने पति पंकज की ओर देखा। उसे लगा कि पंकज तो मुझे बहुत प्यार करता है। वैसे भी हमारी लव मैरिज हुई थी। वो जरूर मेरी ओर से कुछ बोलेगा। लेकिन पंकज ने उल्टा शिल्पा को ही कहा,''तुम तो पायल को अपनी बहन ही मानती हो न! फ़िर तुम पायल के साथ ऐसा कैसे कर सकती हो?"
कोई भी महिला सास-ननद के ताने एक बार सहन कर सकती है लेकिन यदि उसका पति जिस पर उसने अपना सब कुछ निछावर कर दिया...जिसके साथ सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई...यदि वो ही ऐसे ताने मारे तो...शिल्पा रोते-रोते चुपचाप किचन में काम करने लगी। बांझ होने के नाते वो पूजा सामग्री को तो हाथ नहीं लगा सकती थी लेकिन एक बहू होने के नाते घर के सभी काम पूरी जिम्मेदारी के साथ पूरे करने थे...चाहे उसका मन अंदर ही अंदर कितना भी रो रहा हो! वो सोचने लगी कि वो माँ नहीं बन सकती इसमें उसकी क्या गलती है? माँ बनना या न बनना क्या नारी के खुद के हाथ में है? उसे अचरज इस बात का हो रहा था कि इतने पढ़े-लिखे परिवार के लोगों की भी सोच कितनी दकियानूसी है! उसकी सासू-माँ एक विद्यालय में पढ़ाती है। ननद सीए है। पंकज इंंजीनियर है। इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद इतनी दकियानूसी सोच कि पूजा की सामग्री को छूने मात्र से अपशकुन हो जाएगा!
उसे याद आया कि कैसे वो और पंकज पहली बार ऑफिस में मिले थे। शिल्पा ऑफिस में एक प्रेझेंटेशन दे रही थी। उसके प्रेझेंटेशन की बॉस के साथ-साथ सभी ने बहुत तारीफ की थी खासकर पंकज ने। पंकज उसके प्रेझेंटेशन से बहुत ही प्रभावित हुआ। एक ही ऑफिस में साथ-साथ काम करते हुए कब दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया दोनों को पता ही नहीं चला। दोनों एक ही जाति के होने से घर वाले भी मान गए और दोनों की शादी हो गई। सास-ससूर और ननद सभी का स्वभाव बहुत अच्छा था। इतना प्यार करने वाला पति पाकर तो शिल्पा अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगी थी।
पंकज ने पहले ही कह दिया था कि शादी के बाद दो साल तक बच्चा नहीं करेंगे। जिंदगी को थोड़ा इंजॉय करेंंगे फ़िर बच्चे की जिम्मेदारी लेंगे। इसलिए 2-3 साल तक परिवार में बच्चे के लिए किसी ने भी कुछ नहीं कहा। लेकिन पांच साल होते ही घर में सभी के ताने शुरू हो गए। बात-बात में परिवार वाले और रिश्तेदार सभी शिल्पा को बांझ कह कर ताने मारने लगे। पंकज पहले पहले तो कुछ नहीं बोला लेकिन अब वो भी शिल्पा से बेरुखी से पेश आने लगा था। ऑफिस में तो सबके सामने सामान्य रहता लेकिन घर आते ही चुप्पी साध लेता। सिर्फ़ काम पूरती बात करता जिससे दैनंदिन कार्यों में विघ्न न आए। ऐसा लगता ही नहीं कि वे दोनों पति-पत्नी है और एक ही घर में रहते है। शिल्पा का मन चीत्कार कर उठता लेकिन फरियाद करे भी तो किससे? मन मसोसकर रह जाती। उसे लगता था कि पंकज को भी बाप न बन पाने का दूख है थोड़े दिनों में वो सहज हो जाएगा।
आज शिल्पा की आठवीं सालगिरह थी। उसे लगा कि आज पंकज अपनी चुप्पी तोड़ कर उसे बधाई जरूर देगा। उसने पंकज की पसंद का नाश्ता बनाया। नई क्रॉकरी में नाश्ता दिया। लेकिन पंकज ने चुपचाप नाश्ता किया और बिना एक शब्द बोले ऑफिस के लिए निकल गया। शिल्पा ने तबीयत का बहाना करके ऑफिस से छुट्टी ले ली थी ताकि डिनर अच्छे से तैयार करके, बेडरूम को भी बहुत अच्छे से सजाकर वो पंकज को सरप्राइज देना चाहती थी। पंकज ने एक बार पूछा भी नहीं कि तुमने ऑफिस से छुट्टी क्यों ली? क्या तुम्हारी सचमुच तबीयत ख़राब है? शिल्पा ने डिनर में पालक पनीर, लौकी के कोफ्ते, भिंडी की सब्जी, पुलाव, पूरी, मटर की कचौरी, रसमलाई आदि बनाए। बेडरूम को फुग्गे, बंदरवार और फूल आदि से सजाया। खुद पंकज के पसंद की हरे रंग की साड़ी पहन कर अच्छे से तैयार हुई। उसे पूरी आशा थी कि आज पंकज जरूर अपनी चुप्पी तोड़ कर मुझ से बात करेगा। मैं उसे बच्चा गोद लेने के लिए मना लूंगी।
शाम को जब पंकज घर आया तो उसने शिल्पा की ओर नजर उठाकर भी नहीं देखा। उसने सोचा शायद बेडरूम में जाकर फ़िर विश करेगा। बेडरूम की इतनी सजावट देखकर भी पंकज चुप ही रहा। उसका वो रोज का रूटीन। मोबाइल और वो! उसने पहल करते हुए कहा,"सालगिरह की बहुत-बहुत बधाई पंकज!" फ़िर भी पंकज चुप! अब शिल्पा का धैर्य जवाब देने लगा।
''पंकज, मैं आपसे कुछ कह रही हूं। आज हमारे शादी की सालगिरह है। क्या तूम वो भी भूल गए?"
"वो मनहूस दिन मैं कैसे भूल सकता हूं। इसी दिन तो एक बांझ औरत मेरे गले पड़ी थी।"
''हम एक बच्चा गोद भी तो ले सकते है न?" किसी तरह अपने आप पर काबू रख कर शिल्पा ने कहा।
''इस विषय पर हमारी कई बार बहस हो चुकी है। मैं ने कितनी बार कहा है कि मैं किसी और के बच्चे को...किसी और के खून को नहीं अपना सकता। मुझे और मम्मी को मेरा अपना बच्चा चाहिए जो तुम नहीं दे पा रही हो। खैर, आज हमारी शादी की सालगिरह है इसलिए मैं तुम्हारे लिए एक अनोखा गिफ्ट लाया हूं!"
''अनोखा गिफ्ट!" शिल्पा सोचने लगी कि जो व्यक्ति मुझे लगातार खरी-खोटी सुना रहा है वो व्यक्ति मेरे लिए कौन सा अनोखा गिफ्ट लेकर आया होगा? पंकज ने उसे एक लिफाफा पकडाया। शिल्पा ने उत्सुकता से लिफाफा खोला तो उसमें तलाक के कागजात थे!
शिल्पा को विश्वास ही नहीं हो रहा था। जो पंकज प्यार की बड़ी-बड़ी डिंगे हांकता था...हर परिस्थिति में साथ देने की बात करता था..वो एक बच्चे के लिए उसे तलाक दे रहा है? शिल्पा की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। लेकिन जल्द ही उसने अपने आप पर काबू रख कर तुरंत तलाक के कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए। क्योंकि जिस व्यक्ति के दिल में उसके लिए रत्तिभर भी प्यार नहीं बचा उस व्यक्ति के साथ रहने में क्या फायदा?
दूसरे ही दिन शिल्पा ने वो घर छोड़ दिया। पंकज को उसकी मन मांगी मुराद मिल गई। थोड़े ही दिनों में कोशिश करके शिल्पा ने अपना ट्रांसफर कंपनी की दूसरी शाखा में करवा लिया क्योंकि अब पंकज के साथ एक ही ऑफिस में काम करके वो अपने काले अतित को याद नहीं करना चाहती थी। तलाक के एक महीने बाद ही पंकज ने दूसरी शादी कर ली। सालभर में ही पंकज को बेटा होने की ख़बर शिल्पा को मिली। शिल्पा को निचा दिखाने के लिए पंकज ने बेटा होने की खुशी में जो पार्टी रखी थी उस में उसने शिल्पा को भी निमंत्रण दिया। वो गर्व से शिल्पा को अपना बेटा दिखाना चाहता था।
पार्टी में पंकज ने शिल्पा से कहा,''देखा, तुमसे तलाक लेने का मेरा निर्णय सही था ना! मैं बाप बन गया हूं!!"
''पापा बनने की बहुत-बहुत बधाई, पंकज।'' शिल्पा ने सामान्य रहते हुए जवाब देकर उसे एक लिफाफा देते हुए कहा,''पापा बनने की खुशी में मेरी ओर से एक 'अनोखा गिफ्ट'।"
''अनोखा गिफ्ट!" शब्द सुनकर पंकज को झटका लगा। क्योंकि सालगिरह पर "अनोखा गिफ्ट" कहकर पंकज ने शिल्पा को तलाक के कागजात दिए थे। आज शिल्पा उसे क्या अनोखा गिफ्ट दे सकती है? ये सोचते हुए उसने लिफाफा खोला। जैसे ही लिफाफे में रखा कागज उसने पढ़ा तो उसके पैरों तले की जमीन खिसक गई। उसका खुद पर का कंट्रोल छुटने लगा। दिसंबर की कड़ाके की ठंड में भी वो पसीने से भीग गया। वो पंकज की मेडिकल रिपोर्ट थी जिसमें लिखा था कि पंकज कभी भी बाप नहीं बन सकता!! पंकज ने अपनी पत्नी की ओर देखा तो उसकी झुकी हुई नजरों ने मामला साफ़ कर दिया।
''पंकज, अब फैसला आपको करना है कि आप किसी और के बच्चे को...किसी और के खून को अपनाते हो या नहीं!'' इतना कह कर बिना खाने खाए शिल्पा वहां से चली गई।
दूसरे दिन पंकज और उसकी माँ दोनों शिल्पा के घर आए। दोनों अपने आप को बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहे थे। बात कहां से शुरू करे ये उनकी समझ में नहीं आ रहा था। आखिर पंकज ने ही बात शुरू की।
"वो मेडिकल रिपोर्ट..."
''आपको याद है हम दोनों ने अपनी मेडिकल जांच करवाई थी। किसी कारणवश आप रिपोर्ट लेने नहीं जा पाए थे। मैं अकेली ही रिपोर्ट लेने गई थी।''
''हां याद है। लेकिन तुमने तो घर आकर बताया था कि कमी तुम मे है। इस रिपोर्ट में तो...! तुमने तब झूठ क्यों बोला था? खुद में कोई कमी न होते हुए भी इतने साल क्यों तुमने सबके ताने सहे? मैं ने भी तुम्हें बहुत सताया। फ़िर भी तुम कुछ नहीं बोली। आखिर क्यों, शिल्पा?"
''क्योंकि मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती थी। यदि आपको सच्चाई पता चल जाती तो आप उसे बर्दाश्त नहीं कर पाते। आप अंदर ही अंदर टूट जाते। मैं अपने प्यार को टुटता हुआ नहीं देख सकती थी। मेरा क्या मुझे तो ताने सुनने की आदत पड़ गई थी। लेकिन सच बताऊं मैं सभी के ताने सुनने तैयार थी। लेकिन आपकी चुप्पी, आपके ताने सुनने की हिम्मत मुझ में नहीं थी।''
''जब मैं ने तलाक के कागजात दिए थे तब तो तुम सच्चाई बता सकती थी।''
''पंकज, गलती मेरी ही है। मुझे अपने प्यार पर विश्वास था। दुनिया चाहे जो बोले लेकिन मेरा पंकज कभी मुझे नहीं छोड़ सकता इस बात का विश्वास था मुझे। लेकिन जब आपने तलाक के कागजात दिए तो मेरा ये विश्वास टूट गया। जब आप मुझ से प्यार ही नहीं करते तो आपके साथ रहने में कोई मतलब नहीं था। इसलिए मैं ने तुरंत उन कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए थे।''
''बहू, हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। प्लीज हम सबको माफ़ कर दो और हमारे साथ अपने घर चलो...'' शिल्पा की सास ने कहा।
''शिल्पा, प्लीज मुझे माफ़ कर दो। पुरानी बाते सब भुल जाओ। चलो हम फ़िर से जिंदगी की एक नई शुरवात करते है।" पंकज ने कहा।
''बात माफ़ करने या न करने की नहीं है। बात है आत्मसम्मान की। अब ये संभव नहीं हो सकता कि मैं वापस उस घर में कदम रखूं। वैसे भी अगले महीने मेरी शादी है। मैंने तो वो अनोखा गिफ्ट आपको सिर्फ़ इसलिए दिया था ताकि देख सकू कि आप दोनों माँ-बेटे किसी दूसरे के खुन को अपनाते हो या नहीं।''
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 नवम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
मेरी रचना को पांच लिंको का आनंद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी।
हटाएंबहुत ही शानदार लघुकथा! पूरा दिन मेरे दिमाग में घूमती रही वास्तव में... . 👌👌
जवाब देंहटाएंशिल्पा सच में हिम्मती और आत्मसम्मान से लबरेज़ चरित्र वाली है । होना भी चाहिए ।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-11-22} को "कार्तिक पूर्णिमा-मेला बहुत विशाल" (चर्चा अंक-4606) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामीनी दी।
हटाएंबेहतरीन कहानी
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कहानी
जवाब देंहटाएंहमेशा से ही स्त्रियों पर ऐसे लांछन लगते आए हैं, बहुत ही संदेशप्रद और प्रशंसनीय कहानी ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब कहानी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही हृदयस्पर्शी एवं संदेशपरक।