क्या फेंगशुई के लोकप्रिय उत्पादों से सचमुच सुख-समृद्धि होती है?? क्या फेंगशुई अंधविश्वास है??या अपना माल भारतीय बाजार में बेचने की चीन की यह साजिश है?
फेंगशुई चीनी वास्तुशास्त्र है, जो चीन की धार्मिक किताब ‘टोयो’ पर आधारित ज्ञान है। चीन में फेंग का अर्थ होता है ‘वायु’ और शुई का अर्थ है ‘जल’ अर्थात फेंगशुई का मतलब होता है ‘जलवायु’। दुनिया के अनेक देशों में फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। वास्तव में फेंगशुई का वास्तुशास्त्र और भारत का वास्तुशास्त्र दोनों में बहुत अंतर है, जैसे कि भारत में दक्षिण दिशा को अशुभ माना जाता है, तो फेंगशुई के अनुसार दक्षिण दिशा शुभ है। इसके बावजुद फेंगशुई ने भारत में भी अपने पांव पसार लिए है। आजकल कई घरों में, बड़ी-बड़ी दुकानों में और ऑफिसों में हमको फेंगशुई के कई उत्पाद दिखाई देते है। एक अनुमान के अनुसार भारत में फेंगशुई का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से भी ज्यादा का है। इसी कारोबार के सहारे चीनी उत्पादों ने भारत के उत्पादों पर 50% तक कब्जा कर लिया है। सवाल ये है कि क्या फेंगशुई के लोकप्रिय उत्पादों से सचमुच सुख-समृद्धि होती है?? क्या फेंगशुई अंधविश्वास है?? क्या फेंगशुई, अपना माल भारतीय बाजार में बेचने की चीन की एक साजिश है?? आइए, जानते है क्या है सच्चाई...
चीन में कितने लोकप्रिय है फेंगशुई उत्पाद?
चीन में आज सांस्कृतिक क्रांति (1960 के दशक की) की वजह से एक तिहाई से भी कम आबादी फेंगशुई में विश्वास करती है। खासकर शहरी चीनी युवा फेंगशुई में बहुत कम विश्वास करते है। कम्युनिज्म इन सब चीजों को अंधश्रद्धा मानता है, लेकिन करोड़ों फेंगशुई उत्पाद अन्य देशों में बेचता है!!
कुछ लोकप्रिय फेंगशुई उत्पाद-
• लाफिंग बुद्धा
महात्मा बुद्ध के एक जापानी शिष्य थे, होतई। मान्यता है कि ज्ञान प्राप्त होने के बाद होतई जोर-जोर से हंसने लगे और तभी से उन्होंने लोगों को हंसाना और खुश देखना अपने जीवन का एकमात्र उद्देश बना लिया था। इसी वजह से जापानी और चीनी लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा कहने लगे। जिस तरह भारत में कूबेर को धन का देवता माना जाता है, ठीक उसी तरह चीनी, लाफिंग बुद्धा को धन का देवता मानते है। मान्यता है कि लाफिंग बुद्धा की मुर्ति घर में रखने से सकारात्मक उर्जा और गुड लक आता है। जरा सोचिए, क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरे शिष्य होतई की इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? एक बेजान मोटे पेट वाले चाइनीज पुतले (लाफिंगबुद्धा) को हमने अपने घरों में स्थापित कर दिया। अब तो कई दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं! क्या यही हमारी तरक्की है? आज कितने घरों में कुबेर की मुर्तियां है? जिस तरह कुबेर की मुर्ति घर में रखने से धन नहीं आता ठीक उसी प्रकार लाफिंग बुद्धा की मुर्ति रखने से धन नहीं आ सकता!
• आग उगलने वाली चायनीज छिपकली यानी ड्रेगन-
मान्यता के अनुसार, घर में ड्रेगन की मुर्ति लगाने से घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं करती और रोगों से मुक्ति मिलती है! जरा सोचिए, क्या कोई भी भारतीय अपने घर में इतनी भयानक और आग उगलने वाली चाइनीज छिपकली यानी ड्रेगन (dragon) को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? यदि घर में ड्रेगन रखने मात्र से रोगों से मुक्ति मिल सकती तो इतने डॉक्टरों की जरुरत ही क्यों रहती? किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे, उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?
• कछुआ-
चीनी मान्यता के अनुसार कछुआ पानी में रखने से कर्ज से मुक्ति मिलती है! जरा सोचिए, यदि ऐसा होता तो लोग ढेर सारा कर्ज लेते... कछुए को पानी में रख देते...और बहुत मौज करते!! क्योंकि उन्हें कर्ज से मुक्ति तो कछुए के कारण मिल ही जाती!! क्या बकवास है!!!
• सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक-
सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन में वृद्धि होती है। मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना क्या सही है? क्या दुनिया का कोई भी मेंढक सिक्का खा सकता है? वैसे भी हम भारतीय तो किसी भी देवता की खंडित मुर्ति की पूजा नहीं करते, तो फ़िर तीन पैर वाले मेंढक को शुभ कैसे मान सकते है? वैसे यदि ऐसा होता तो मेहनत कर कमाई करने की क्या जरुरत रहती? क्या चीनी लोग खुद मेहनत न कर सिर्फ़ सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक घर में रख कर धन अर्जित करते है?
फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग (Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी कम्युनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेते? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीज सिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
• चीनी देवता फुक, लुक और साऊ
जिस तरह ब्रम्हा, विष्णु और महेश हमारे त्रिदेव है उसी तरह चीनी देवता है फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। क्या भारत में फैले 33 प्रकार के देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है? दोस्तो, जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है? हमें रोगों से मुक्ति कैसे मिल सकती है? हमारे घर में सुख-समृद्धि कैसे आ सकती है? यदि ये सच होता तो आज बड़े-बड़े वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की जरुरत ही नहीं होती!!
वास्तव में चीन फेंगसुई का इस्तेमाल कर अपने उत्पाद दूसरे देशों में बेच रहा है। वो अपने उत्पादों की मार्केटिंग इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से करता है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता होने से लोग इन उत्पादों को खरीदते है। हमारे कई कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक लोग बेकारी के शिकार हो रहे हैं। अब युद्ध पारंपरिक हथियारों से मैदानों पर नहीं होते! अब पूरी योजना से शत्रु के पास जाकर उसके दिमाग को अपने पक्ष में किया जाता है। फेंगशुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है।
इसलिए दोस्तो, अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत कर चीन की इस चाल को समझना जरुरी है। समय रहते स्वयं को, अपने परिवार को और अपने मित्रों को इस अंधे कुएं से निकालकर अपने देश की मूल्यवान मुद्रा को कम्युनिष्ट चाइना के फैलाए षड्यंत्र की बलि चढ़ने से बचाइए।
चीन की चाल को पहचानिए...
वास्तव में फेंगशुई के लोकप्रिय उत्पादों से सुख-समृद्धि नहीं होती है! फेंगशुई अंधविश्वास ही है!! फेंगशुई, अपना माल भारतीय बाजार में बेचने की चीन की एक साजिश है!!!
सहमत
जवाब देंहटाएंज्योति, बहुत ही प्रगतिशील और व्यावहारिकता से परिपूर्ण पोस्ट !
जवाब देंहटाएंतन्त्र-मन्त्र, चमत्कारों और टोटकों में हमारी आस्था हमारे पतन का अनादिकाल से कारण रही है. हमारी अपनी सामाजिक-धार्मिक बीमारियाँ क्या कम हैं जो हम चीन से भी ऐसी बीमारियाँ आयात कर रहे हैं?
सही कहा गोपेश भाई की हमारे देश पहले से ही के तरह के अंधविश्वासों से जकड़ा हुआ है। ऐसे में हमें चीन की की इस चाल से बचना ही होगा।
हटाएंसहमत
जवाब देंहटाएंचीनी अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए मनगढ़ंत कहानियां शुरू से बनाते रहे हैं
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 24 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिव्या।
हटाएंसही है..पर बकवास भी है
जवाब देंहटाएंहर एक देश का वास्तुशास्त्र
अलग-अलग होता है
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-11-2020) को "कैसा जीवन जंजाल प्रिये" (चर्चा अंक- 3896) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
हटाएंबहुत हई सुन्दर संदेशप्रद लेख लिखा है ज्योति जी आपने.....।घर की सजावट के उद्देश्य से यदि लेना ही चाहो तो अपने देश के कलाकारों द्वारा बनाए यही खिलोने अपनी मिट्टी के बने भी बाजारों में उपलब्ध हैं....बशर्ते अन्धश्रद्धा से बाहर निकलना होगा।
जवाब देंहटाएंसुधा दी, इंसान विज्ञापनों के मायाजाल में फंस कर विदेशी चाल को ही नही समझ पाता। हमारे ही देश मे एक से एक चीजे है सजावट की भी और वास्तु क्व हिसाब से शुभ भी। लेकिन शायद हम उनकी मार्कर्टिंग बराबर नही कर पाएं।
हटाएंवाह!ज्योति ..बहुत ही सुंदर पोस्ट है । यदि इन सब चीजों के प्रयोग से सुख समृद्धि मिल जाती तो कोई गरीब ,फटेहाल न होता । इस अंधश्रद्धा से बाहर निकलना जरूरी है ।
जवाब देंहटाएंBilkul sahi Didi....we need to understand how all this is a very clever business strategy n stop following superstitions.
जवाब देंहटाएंBilkul sahi Didi....we need to understand how all this is a very clever business strategy n stop following superstitions.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लिखा आदरणीय ज्योति बहन।सहमत है आपके विचार से।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही अर्थपूर्ण व सामयिक प्रसंग पर लिखा गया लेख, चीन की कुटिल आर्थिक व राजनैतिक पहलुओं को उजागर करती है, स्वदेशी चीज़ों का अधिक से अधिक उपयोग करने से देश आर्थिक दृष्टि से शक्तिशाली बनेगा, हमें अपने कुटीर उद्योगों पर गर्व होना चाहिए, आयातिक कोई सामान हो या संस्कृति, अपनी सभ्यता को तिलांजलि दे कर उन्हें कभी नहीं स्वीकारा जा सकता है, देश हित सर्वोपरि होना चाहिए - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने ज्योतिजी, सम सामयिक विषय पर सुंदर लेखन..।
जवाब देंहटाएंसुंदर व्याख्यात्मक लेख ।
जवाब देंहटाएंश्रृद्धा आस्था और अंध अनुशरण का मंत्व स्पष्ट करती पोस्ट।
बधाई ज्योति बहन।
सार्थक लेखन अन्धविश्वास को पहचान कर उससे मुक्त होना होगा
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आपने ज्योति जी।
जवाब देंहटाएंजागरूकता पैदा करने की आपकी कोशिश अवश्य रंग लायेगी । आभार ।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता दी।
हटाएंबड़े सटीक तर्क दिए हैं आपने। लोगों के सामने एक और चीनी षडयंत्र की पोल खोलने में सक्षम लेख।
जवाब देंहटाएंआपसे सहमत। कोरा अंधविश्वास।
जवाब देंहटाएंफेंगशुई से कहीं बेहतर भारत की प्राचीन स्थापत्य कला है जिसका निर्माण कार्यों में अंश मात्र भी प्रयोग कर लिया जाए तो तस्वीर ही बदल जाए।
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